Sambhal News Today: उत्तर प्रदेश के संभल इन सुर्खियों में बना है. संभल के चंदौसी इलाके में हालिया दिनों में रानी की बावड़ी की खुदाई चल रही है. इसी तरह से संभल की जामा मस्जिद से सिर्फ तीन किलोमीटर की दूरी पर एक और बावड़ी मिलने का दावा किया जा रहा है. 


बताया जा रहा है कि इस बावड़ी का निर्माण 900 साल पहले सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने कराया था. यह बावड़ी काफी खास था. सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने सन् 1180 में बावड़ी का निर्माण कराया था. इस प्राचीन बावड़ी के पास ही बरगद का पेड़ है, जहां पूजा पाठ भी होती है.


जामा मस्जिद से 3 किमी है दूर
यह खास बावड़ी संभल के कबलपुर इलाके में मौजूद शाही जामा मस्जिद से महज 3 किलोमीटर दूर स्थित है. इसी तरह से चंदौसी में भी बावड़ी की खोज जारी है. इन सबके बीच एबीपी न्यूज को अपनी पड़ताल में संभल के भीतर 900 साल पुरानी बावड़ी मिली है.


सम्राट पृथ्वीराज चौहान के जरिये बनवाई गई इस बावड़ी का निर्माण का तरीका खास है. यह प्राचीन बावड़ी 2 मंजिला है और 5 गलियारे हैं. इसकी ऊंचाई लगभग 15 फीट है. संभव है कि समय बीतने के साथ बावड़ी वीरान होती गई. यही वजह है कि आज बावड़ी तो मौजूद है, लेकिन बावड़ी का कुआं पाट दिया गया है.


बावड़ी में होती है पूजा
बावड़ी के ठीक बाहर बरगद का पेड़ है, जहां भगवान की मूर्ति बनी हुई है और यहां पूजा पाठ के भी निशान हैं. आज वक्त के साथ ना सिर्फ बावड़ी वीरान हो गई बल्कि सरकारी लापरवाही ने ऐतिहासिक बावड़ी को खंडहर में तब्दील कर दिया है. धीरे-धीरे यह इलाके में 'डाकू का कुआं' बन गया. 


बावड़ी का है ऐतिहासिक महत्व
इतिहासकारों की मानें तो इस ऐतिहासिक बावड़ी का सम्राट पृथ्वीराज चौहान के जीवनकाल में बेहद महत्वपूर्ण स्थान रहा है. स्थानीय हिंदुओं का आज भी बावड़ी से विशेष लगाव है, यहां वो अब भी पूजा करते हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक बावड़ी 7 मंजिला है, लेकिन इस बावड़ी को पाटने की वजह से अब सिर्फ डेढ़ मंजिल बची है.


फिलहाल संभल के चंदौसी में प्रशासन के जरिये बावड़ी की खुदाई और जांच पड़ताल की जा रही है. दूसरी तरफ बड़ी संख्या में लोग इस बावड़ी को लेकर प्रशासन की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं.


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