गाजियाबाद में बढ़ी लोगों की दिक्कतें, प्राइवेट फिटनेस सेंटर सहूलियत कम मुसीबत का सबब बन गया है
गाजियाबाद परिवहन कार्यालय ने गाड़ियों की फिटनेस चेक करने की जिम्मेदारी प्राइवेट कंपनी के हवाले कर दी है. वहीं, इस व्यवस्था से लोगों के सामने कई दिक्कतें आ रही हैं.
गाजियाबाद: गाजियाबाद में जहां एक तरफ प्रदेश सरकार ने गाड़ियों की फिटनेस को लेकर लोगों की सुविधा के अनुसार प्राइवेट फिटनेस केंद्र खोल कर लोगों को कहीं ना कहीं सहूलियत देने का काम किया था, तो वहीं लोगों को सहूलियत मिलने की बजाय परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
प्रदेश सरकार ने गाड़ियों की फिटनेस अब प्राइवेट कंपनी को दिया है. ये शहर से बहुत ही दूर है. एबीपी गंगा की टीम ने प्राइवेट फिटनेस केंद्र का जायजा लिया तो सब कुछ सामने आ गया.
प्राइवेट फिटनेस सेंटर से दिक्कतें
हालांकि गाड़ी मालिकों और ड्राइवरों का कहना है कि, सरकारी परिवहन कार्यालय में जो फिटनेस हुआ करती थी. वह एकदम सही और सही समय पर हो जाया करती थी. मगर जब से सरकार ने प्राइवेट फिटनेस केंद्र खोला है, परेशानियों का अंबार लग गया है. सबसे पहले तो फिटनेस सेंटर पर कार्यरत कर्मचारी उनकी गाड़ियों को खुद अंदर लेकर जाते हैं. उसके बाद दुनिया भर की कमियां गाड़ी में दिखाकर उन्हें वापस कर देते हैं. यानी कि, एक बार फीस कटने के बाद चार बार फीस को देना पड़ता है. सुविधा होने के बजाय लोगों की जेब पर डाका डालने का कार्य प्राइवेट फिटनेस केंद्र कर रहा है. फ़िटनेस करने आये लोगों का सबसे बड़ा दर्द फीस का है, अगर कोई कमी पाई जाती है, तो फिर से फीस क्यों ली जाती है, फिर से वही प्रकिया की जाती है. रात्रि तक यहां ठहरना पड़ता है, मूलभूत सुविधा नज़र नहीं आती है.
जल्द होगा समस्याओं का निस्तारण
लोगों का कहना है, कि फ़िटनेस कराने में प्राइवेट कंपनी से बहुत समस्या आ रही है, उन्होंने बताया इसकी भी समीक्षा की जा रही है. जल्द से जल्द इन समस्याओं का निस्तारण किया जाएगा.
गाज़ियाबाद में जहां फ़िटनेस को लेकर लोगों की सुविधा के लिए केंद्र बनाया गया था. वहीं, लोगों का दर्द जाना तो उन्हें बहुत ही समस्या हो रही है. फिटनेस का जो केंद्र बनाया गया है, वह शहर से बहुत ही दूर है, अगर जरा सी भी समस्या आ जाए, उसके लिए गाड़ियों को वापस लौटा दिया जाता है और फिर उन्हें वापस आना पड़ता है. इससे उनकी जेब पर इसका गहरा असर पड़ता है. सबसे बड़ी बात उन्हें फीस भी दोबारा देनी पड़ती है. परिवहन विभाग भी प्राइवेट सिस्टम के आधार पर ही कार्य करने की बात कह रहा है, और प्रदेश से जो दिशा निर्देश मिल रहे है उसका पालन किया जा रहा है.
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