आगरा: कोरोना की विभिषिका तो कम हुई है, लेकिन अब अस्पताल संचालकों द्वारा मनमानी कीमत इलाज के नाम पर वसूलने की लगातार शिकायतें प्रशासन तक पहुंच रही हैं. आगरा में आज एक युवक जिसका नाम हिमांशु है, उसने शिकायत की, कि यशवंत हॉस्पिटल संचालक ने उसके पिता के कोविड-19 के इलाज के नाम पर साढ़े 9 लाख वसूल लिए और जान भी नहीं बची. हिमांशु के मुताबिक दवाइयों को देने का तरीका भी बिल्कुल गलत था. जो नियम भारत सरकार ने बनाए हैं, उसके विपरीत ये मनमाने तरीके से पैसे लिए गए और इलाज किया गया. हिमांशु के मुताबिक उसके पिता दिनेश प्रताप सिंह यशवंत हॉस्पिटल में 17 दिन एडमिट रहे और इसके एवज में उनसे साढ़े 9 लाख वसूले गए. जिसमें हॉस्पिटल का 5 लाख 60 हजार और दवाइयों का 3 लाख 88 हजार के करीब बिल बना.
 


एडीएम से की शिकायत


Covid से जिन दिनेश प्रताप सिंह की जान गई उन्हें दो मई को भर्ती किया था और 19 मई को उनकी मौत हो गई. हिमांशु ने अपनी शिकायत एडीएम सिटी प्रभाकांत अवस्थी को सौंपी हैं.


अस्पताल संचालक ने दी सफाई


वहीं, इसको लेकर हॉस्पिटल संचालक सुरेंद्र भगौर की सफाई सामने आई है. उनके मुताबिक भले ही सरकार ने अधिकतम 18 हजार रुपए से ज्यादा खर्चा नहीं लिए जाने का शासनादेश निर्धारित किया हो लेकिन ऑक्सीजन प्लांटों के मालिकों ने इतनी महंगी ऑक्सीजन दी, साथ ही कम प्रेशर दिया और हालत ये रही कि एक मरीज पर 24 घंटे में 20 सिलिंडर तक खर्च हो गए. ऐसे में इलाज का खर्चा बढ़ना स्वाभाविक है. साथ ही जिस युवक ने महंगे इलाज की शिकायत प्रशासन से की है, वो हमसे एलआईसी क्लेम में फायदा लेने के लिए खुद बिल बढ़वा रहा है ताकि उसे फायदा मिल सके.


एडीएम का बयान


वहीं, एडीएम, जिनको लिखित शिकायत मृतक के बेटे ने दी है, उनके मुताबिक अभी तक छह शिकायतें उनके पास आईं हैं. जिस पर हाईकोर्ट के निर्देश पर गठित महामारी लोकशिकायत समिति फैसला लेती है. दो मामलों में अस्पताल संचालकों ने पैसे लौटाए हैं. जिसमें महात्मा गांधी मार्ग स्थित विम्स अस्पताल ने रीता गर्ग नाम की महिला के इलाज में अतिरिक्त वसूले 4 लाख रुपए लौटाए हैं.


ऐसे में सवाल उठता है कि अस्पतालों ने आपदा में अवसर तलाशे हैं या अस्पतालों की तरफ से दी जा रही दलीलों में भी दम है. 


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