बरेली: उत्तर प्रदेश के बरेली में निजी अस्पतालों ने कोरोना काल में कोविड मरीजों से लूट मचा रखी है. कोरोना के मरीजों से लाखों रुपये वसूले जा रहे हैं. ताजा मामला बरेली का है जहां बीजेपी नेता और बरेली शहर के नामचीन व्यापारी अनुपम कपूर के विनायक हॉस्पिटल में कोविड के मरीज से 3 दिन का 96 हजार रुपये वसूला गया और मरीज की मौत भी हो गई. 


वसूली के लिए सुर्खियों में है ये अस्पताल
विनायक हॉस्पिटल बरेली सिटी रेलवे स्टेशन के सामने है और पिछले साल ही कोरोना काल में ही खुला था. लेकिन, जब से ये अस्पताल खुला है तब से वसूली के लिए सुर्खियों में है. इस अस्पताल में इन दिनों कोरोना के मरीजों से मनमानी फीस वसूली जा रही है. अगर आपके पास पैसा नहीं है तो यहां बेड नहीं है और अगर पैसा है तो सारे इंतजाम हो जाएंगे. मरीजों से अवैध वसूली की वजह से यहां आए दिन हंगामा भी होता रहता है और पुलिस तक को आना पड़ता है. 


मामले की जांच होनी चाहिए
सनसिटी कॉलोनी निवासी मुकेश अग्रवाल की कोरोना की वजह से 7 मई को मौत हो गई थी. उन्हें विनायक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. मुकेश अग्रवाल 3 दिनों तक विनायक हॉस्पिटल के जनरल वार्ड में भर्ती रहे और फिर उनकी मौत हो गई. वहीं, उनके परिजनों से तीन दिन का बिल 96 हजार रुपये लिया गया. इस मामले की शिकायत उन्होंने सीएमओ से की है. स्थानीय पार्षद गौरव सक्सेना का कहना है कि जिले में निजी अस्पतालों ने इस आपदा को अवसर बनाने का काम किया है. निजी अस्पताल मरीजों को लूट रहे है, इसलिए इस मामले की जांच होनी चाहिए.
 
जांच के बाद होगी कार्रवाई
वहीं, इस पूरे मामले को लेकर सीएमओ डॉ एसके गर्ग का कहना है कि विनायक हॉस्पिटल की शिकायत आई थी जिसमें उन्होंने मरीज से ज्यादा रुपये ले लिए थे. मामले में मरीज के रुपये वापिस करवा दिए गए है. साथ ही एक कमेटी का गठन किया गया है जिसमे आईएमए के डॉक्टर और जिला अस्पताल के डॉक्टरों का पैनल तैयार किया जा रहा है जो विनायक हॉस्पिटल जाकर सभी मरीजों के बिल चेक करेंगे. उसके बाद अगर ये पाया जाता है कि अस्पताल में कोविड मरीजों से अधिक रुपये लिए जा रहे है तो कार्रवाई की जाएगी. साथ ही हॉस्पिटल में कोविड मरीजों का इलाज बंद कर दिया जाएगा. 


निजी अस्पतालों ने मचा रखी है लूट 
बरेली में विनायक हॉस्पिटल ही नही जितने भी निजी अस्पतालों को कोविड मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी दी गई है वो सभी मरीजों से लूट मचाए हुए हैं. मरीजों के तीमारदार कहीं से भी रुपयों का इंतजाम करते हैं ताकि उनके अपने सही हो जाएं. लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि सबकुछ ठीक ही होगा.


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