(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
नागरिकता संशोधन बिल पर मचा सियासी घमासान, राहुल और प्रियंका गांधी ने बताया संविधान पर हमला
नागरिकता संशोधन बिल को लेकर राहुल और प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार पर वार किया है। प्रियंका ने कहा कि कहा कि, 'हम सरकार के उस एजेंडे के खिलाफ लड़ेंगे जो हमारे संविधान को व्यवस्थित ढंग से खत्म कर रहा है'
नई दिल्ली, एजेंसी। नागरिकता संशोधन बिल को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के बाद मंगलवार को सरकार पर 'कट्टरता' का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार के संविधान को नष्ट करने के 'व्यवस्थित एजेंडे' के खिलाफ लड़ेगी।
प्रियंका ने ट्वीट कर कहा कि, 'बीती रात लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के साथ भारत कट्टरता एवं संकुचित विचारों वाले अलगाव से भारत के वादे की पुष्टि हुई। हमारे पूर्वजों ने हमारी स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण दिये। उस स्वतत्रंता में समता का अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार निहित है। हमारा संविधान, हमारी नागरिकता, एक मजबूत एवं एकजुट भारत के हमारे सपने से हम सभी से जुड़े हुए हैं।' कांग्रेस महासचिव ने कहा, 'हम सरकार के उस एजेंडे के खिलाफ लड़ेंगे जो हमारे संविधान को व्यवस्थित ढंग से खत्म कर रहा है तथा उस बुनियाद को खोखला कर रहा है जिस पर हमारे देश की नींव पड़ी।'
Last night at midnight, India’s tryst with bigotry and narrow minded exclusion was confirmed as the CAB was passed in the Lok Sabha. Our forefathers gave their lifeblood for our freedom.
In that freedom, is enshrined the right to equality, and the right to freedom of religion. — Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) December 10, 2019
प्रियंका के साथ-साथ राहुल गांधी ने भी केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है। राहुल ने ट्वीट कर कहा कि- 'नागरिकता संशोधन बिल भारतीय संविधान पर हमला है। अगर कोई इसका समर्थन कर रहा है तो वह हमारे देश की बुनियाद को नष्ट करने की कोशिश कर रहा है।'
The #CAB is an attack on the Indian constitution. Anyone who supports it is attacking and attempting to destroy the foundation of our nation.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 10, 2019
गौरतलब है कि लोकसभा ने सोमवार रात नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है।