कांग्रेस ने प्रियंका गांधी वाड्रा को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी का चेहरा बनाया है. प्रियंका उत्तर प्रदेश में उन्हीं रास्तों पर चलती हुई नजर आ रही हैं, जिनसे होकर उनके भाई राहुल गांधी गुजरे हैं.


प्रियंका गांधी पहले रायबरेली और अमेठी में अपनी मां और भाई के चुनाव प्रचार तक ही खुद को सीमित रखती थीं. उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सक्रिय राजनीति में इंट्री की. उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी महासचिव बनाया गया था.


राहुल गांधी ने जब उत्तर प्रदेश में सक्रिय हुए थे तो वो दलितों के घर जाते थे और उनके साथ खाना खाते थे. इसे अपने खोए हुए दलित वोट बैंक को वापस पाने की कोशिश के तौर पर देखा गया. राहुल की ही तरह प्रियंका गांधी भी दलितों को कांग्रेस के पाले में करने की कोशिश करती नजर आ रही हैं. लखनऊ की एक दलित बस्ती के वाल्मीकि मंदिर में झाड़ू लगाना और आगरा में पुलिस हिरासत में हुई दलित के परिजनों से मिलना भी दलितों को लुभाने की कोशिश माना जा रहा है. इसी तरह पुलिस की रोकने की लाख कोशिशों के बाद भी वो बलात्कार पीड़िता के परिजनों से मिलने हाथरस गई थीं.


ग्रेटर नोएडा के भट्टा पारसौल गांव में मई 2011 में पुलिस और किसानों की भिड़ंत में दो किसान और दो पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी. मायावती सरकार ने राहुल को भट्टा पारसौल जाने से रोकने की हर कोशिशें की. लेकिन वो सबको चमका देकर बाइक से वहां पहुंचे थे. उसी तरह इस साल 3 अक्तूबर को लखीमपुर खीरी में एक केंद्रीय मंत्री के बेटे की गाड़ी ने कथित तौर पर 4 किसानों को कुचल दिया था. प्रियंका उसी रात लखनऊ से लखीमपुर खीरी के लिए निकल पड़ीं. पुलिस ने उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की. प्रियंका को गिरफ्तार कर सीतापुर में 4 दिन तक रखा गया. इस दौरान वो गेस्ट हाउस के एक कमरे में झाड़ू लगाती नजर आईं. बाद में पुलिस ने उन्हें लखीमपुर खीरी जाकर पीड़ित परिवारों से मिलने की इजाजत दी.


राहुल और प्रियंका की इन कोशिशों को खुद को किसानों का हमदर्द बताने की कोशिश के तौर पर देखा गया. राहुल के भट्टा पारसौल जाने का चुनावी लाभ कांग्रेस को नहीं मिला. लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि किसान प्रियंका पर कितना भरोसा जताते हैं. 


राहुल गांधी ने 2017 के विधानसभा चुनाव प्रचार की शुरूआत देवरिया के दुग्धेश्वर मंदिर में पूजा-पाठ से की थी. कांग्रेस ने 2022 के चुनाव प्रचार के आगाज के लिए वाराणसी में 10 अक्तूबर को 'किसान न्याय रैली' की थी. रैली में जाने से पहले प्रियंका ने बनारस के मंदिरों में पूजा-पाठ किया. उन्होंने रैली की शुरुआत 'जय माता दी' कहकर की थी. 


ऐसा नहीं है कि प्रियंका गांधी केवल राहुल गांधी के बनाए रास्ते पर ही चलती नजर आती हैं. कई बार वो राहुल से कुछ अलग भी करती नजर आती हैं. उत्तर प्रदेश में अपनी यात्राओं के दौरान प्रियंका गांधी महिलाओं से विशेष तौर पर संवाद बनाती हैं. इस दिशा में एक बड़ी पहल करते हुए कांग्रेस ने घोषणा की है कि वो 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देगी. इसके साथ ही कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में सरकार बनने पर छात्राओं को मोबाइल फोन और स्कूटी देने का वादा किया है.


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