एटा. कोरोना काल में स्कूली छात्रों की पढ़ाई सरकार के लाख प्रयासों के बाद भी सफल नहीं हो पा रही है. कोरोना काल में स्कूल छह महीने से भी ज्यादा बंद रहने पर पहले तो सरकार ने स्कूलों के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षा देने की कोशिश कर छात्रों को नुकसान से बचाने की कोशिश की लेकिन ये कोशिश कामयाब नहीं हुई. छात्रों के साथ कई तर की दिक्कतें हैं. छात्रों के लिये अलग से एंड्रायड मोबाइल फ़ोन, और ऑनलाइन कक्षाओं के लिए पर्याप्त डाटा उपलब्ध नहीं था. इसके साथ साथ मोबाइल नेटवर्क के काम न करने और स्पीड न आने से भी ऑनलाइन क्लास बड़े शहरों के बड़े स्कूलों तक ही सीमित रह गयी. एक बड़े तबके के छात्रों तक नहीं पहुंच पाई.


इसके असफल होने के बाद सरकार ने सबसे ज्यादा क्षेत्र में पहुंच और नेटवर्क रखने वाले दूरदर्शन और स्वयं प्रभा चैनल के माध्यम से कक्षा 9, 10,11,12वीं के छात्रों को वर्चुअल कक्षाएं प्रदान करने की कोशिश की.


इसके अतिरिक्त कक्षा 1 से 8 तक दूरदर्शन और आकाशवाणी के माध्यम से छात्रों को वर्चुअल कक्षाएं प्रदान करने की कोशिश भी की लेकिन सरकार के लाख दावों के बाद भी ये दोनों ही कोशिशें वर्तमान में सफल नहीं हो पा रही है.


बिजली नहीं आती, न ही मोबाइल का नेटवर्क 
कारण ये है कि कक्षाओं के बीच में बिजली चली जाती है तो कभी नेटवर्क नहीं आता. इसके अलावा लोगों के घरों में आज भी टीवी नहीं है, मोबाइल नहीं है. इसके अतिरिक्त गावों में छात्रों के मां बाप खेतों में काम करने चले जाते हैं, ऐसे में घर में बचे अकेले बच्चे टीवी में वर्चुअल क्लास करने के बजाय कार्टून नेटवर्क या फिल्में देखना ज्यादा पसंद करते हैं. उनके ऊपर क्लासरूम की तरह का कोई दृश्य या अदृश्य अनुशासन नहीं होता इसलिए वे दूरदर्शन और स्वयं प्रभा चैनल के जरिये अपने सिलेबस की पढ़ाई नहीं करते.


पंचायत घरों में लगे टीवी


एटा के जिला विद्यालय निरीक्षक मिथिलेश कुमार ने स्वीकार किया कि वर्चुअल क्लास के दौरान बिजली चली जाने की समस्या आम है. जिससे छात्रों की क्लास बीच में ही छूट जाती है. इसके लिए वे कहते हैं कि बिजली विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखकर ये अनुरोध करेंगे कि क्लास के दौरान विद्युत आपूर्ति निर्बाध रूप से चालू रखी जाए. वे एक और सुझाव भी देते हैं कि गांव के प्रधानों को एक पत्र लिखकर उनसे कहेंगे कि सार्वजनिक पंचायत घरों में टीवी लगवाए और जिन छात्रों के घर पर टीवी नहीं है, वे वहां जाकर दूरदर्शन और स्वयं प्रभा चैनल की क्लास ले सकें. वे मानते हैं कि ऑनलाइन टीचिंग और वर्चुअल क्लास जिसे ई ज्ञान गंगा कहा गया है पूरी तरह से सफल नही हैं, जिसका मुख्य कारण इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव है. वे सरकारी आंकड़ों के हिसाब से इसे 89 फीसदी सफल मानते हैं पर ये आंकड़ा सिर्फ आंकड़ा ही है.


बीएसए ने भी माना कमियां हैं


इसी प्रकार से एटा के बेसिक शिक्षा अधिकारी भी मानते हैं कि बिजली की खराब आपूर्ति के कारण दूरदर्शन और आकाशवाणी से कक्षा 1 से 8 तक की कक्षाएं पूरी तरह से सफल नहीं हो पा रही हैं. वे भी कहते हैं कि बिजली विभाग के अधिकारियों को एक पत्र लिखकर क्लास के समय में बिजली सप्लाई सुचारू रखने की मांग रखेंगे.


कार्यक्रम की जानकारी नहीं


कुल मिलाकर शिक्षा विभाग के पास इस प्रकार का कोई सिस्टम नहीं है, जिससे वे ये बता सकें कि दूरदर्शन, स्वयं प्रभा चैनल और आकाशवाणी द्वारा प्रदान की जा रही कक्षाओं को घरों में कितने छात्र अटेंड कर रहे हैं, कर भी रहे हैं कि नहीं. एबीएसए भारती शाक्य कहतीं हैं कि कोरोना काल में मजबूरी में वर्चुअल कक्षाएं देनी पड़ रही हैं. कई जगह नेटवर्क न आने, बिजली न आने और अन्य वजहों से ये पूरी तरह से सफल नहीं हो पा रहा है.


अभिभावकों का क्या है कहना


बुजुर्ग अभिभावक केबी सिंह कहते हैं कि दूरदर्शन, मोबाइल पर क्लास नाम मात्र की है, उसका कोई फायदा नहीं. ऐसा लगता है कि शिक्षक केवल इशारे में समझा रहे हैं ,इससे छात्रों का समय और खराब हो रहा है. उसमें पढ़ाने वाले भी कुशल नहीं हैं. उन्होंने कहा कि बच्चे तो क्या बड़े बड़े लोगों तक को इन क्लासों में कुछ भी समझ में नहीं आता.


छात्रों की समस्या


कक्षा 9 के छात्र देवांश प्रताप सिंह कहते हैं कि पढ़ते पढ़ते अचानक बिजली चली जाती है और ऐसा रोज होता है जिससे क्लास बीच में ही छूट जाती है, काम भी अधूरा छूट जाता है. फिर किसी से दूसरे दिन कॉपी मांग कर पूरा करना पड़ता है.


सबसे बड़ी बात तो ये है कि यहां बिजली आने जाने का कोई पूर्व निर्धारित रोस्टर नहीं है. जब मन आता है बिजली कट जाती है.


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