अमर शहीद राम प्रसाद बिस्मिल के बलिदान दिवस पर गोरखपुर जेल में आयोजित हुए कार्यक्रम
गोरखपुर मंडलीय कारागार स्थित पंडित राम प्रसाद बिस्मिल शहीद स्मारक पर हर साल 19 दिसंबर के दिन गुरुकृपा संस्थान की ओर से पंडित राम प्रसाद बिस्मिल बलिदानी मेला एवं खेल महोत्सव का आयोजन किया जाता है. अखिल भारतीय क्रांतिकारी संघर्ष मोर्चा का भी इसमें पूरा सहयोग रहता है.
गोरखपुरः अमर शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के शहादत दिवस पर उनकी बलिदान स्थली गोरखपुर जेल में मेला लगाया गया. इसके साथ ही वहां पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. 19 दिसंबर 1927 को पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर जेल में फांसी दी गई थी. काकोरी कांड के महानायक शहीद बिस्मिल की याद में हर साल 19 दिसंबर को यहां पर मेला और विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है.
हर साल 19 दिसंबर को किया जाता है मेले का आयोजन
गोरखपुर मंडलीय कारागार स्थित पंडित राम प्रसाद बिस्मिल शहीद स्मारक पर हर साल 19 दिसंबर के दिन गुरुकृपा संस्थान की ओर से पंडित राम प्रसाद बिस्मिल बलिदानी मेला एवं खेल महोत्सव का आयोजन किया जाता है. अखिल भारतीय क्रांतिकारी संघर्ष मोर्चा का भी इसमें पूरा सहयोग रहता है. 19 दिसंबर की सुबह 6.30 बजे संस्था के पदाधिकारियों ने शंखनाद किया. क्योंकि शहीद राम प्रसाद बिस्मिल को उसी समय फांसी दी गई थी. इसके बाद पदाधिकारियों ने सुबह 7 बजे मंडलीय कारागार के कक्ष संख्या 7 में भारत माता, शहीद बिस्मिल की आरती और गीता पाठ किया गया. इसी कमरे में शहीद बिस्मिल ने 4 माह 10 दिन गुजारे थे.
गोरखपुर जेल में राम प्रसाद बिस्मिल को दी गई थी फांसी
प्रातः 9 बजे से 12 बजे तक सार्वजनिक मंच पर सामूहिक वंदेमातरम गायन के साथ पुष्पांजलि, स्वरांजलि, श्रद्धांजलि के साथ पूर्वांचल के विभिन्न जनपदों से आए राष्ट्रभक्तों द्वारा सामूहिक राष्ट्र गान का आयोजन किया गया. इस अवसर पर गुरु कृपा संस्थान के अध्यक्ष बृजेश राम त्रिपाठी ने कहा कि 15 अगस्त 1947 को देश को आजादी मिली थी. आजादी के लिए हमारे देश के लाखों लोगों ने अपनी जान दी थी. काकोरी कांड के नायक राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी, अशफाक उल्ला खां जैसे कई क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी. गोरखपुर जेल में 19 दिसंबर को पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को फांसी दी गई थी.
पर्यटन स्थल के रूप में किया जा रहा विकसित
उन्होंने बताया कि पिछले 11 वर्षों से ये आयोजन किया जा रहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उसे आम जनता के दर्शनार्थ खोल दिया है. इसे एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए कार्य किया जा रहा है. ये पर्यटक स्थल युवाओं के लिए तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाएगा. पूर्वी यूपी में जिन भी क्रांतिकारियों ने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है, उनमें ये बलिदान स्थल स्वर्णिम अक्षरों मे लिखा गया है. उसे भावी पीढ़ी पठन-पाठन और क्रिया कलापों के माध्यम से जानेगी और आत्मसात करेगी.
जनता के लिए खोला गया है बलिदान स्थल
गोरखपुर मंडलीय कारागार के वरिष्ठ जेल अधीक्षक डा. रामधनी ने कहा कि 19 दिसंबर को पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को इसी जेल में फांसी दी गई थी. उनके इस बलिदान दिवस पर मेले का आयोजन किया गया था. उन्होने बताया कि इस बलिदान स्थल को जनता के लिए भी खोल दिया गया है. जिससे यहां पर लोग आकर उनके बलिदान को समझ सकें और प्रेरणा ले सके. लोक गायक राकेश श्रीवास्तव ने कहा कि गोरखपुर बहुत ही गौरवान्वित है. इस वीर सपूत को 19 दिसंबर के दिन यहां पर फांसी दी गई थी. उन्होंने कहा कि पूरा विश्व ये जानता है कि यहां पर पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को फांसी दी गई थी. हमारा सौभाग्य है कि हम यहां पर उन्हें याद कर नमन करने के लिए जुटे.
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