नई दिल्ली, एबीपी गंगा। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर आरक्षण बिल लोकसभा में पेश किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि ये बिल किसी को खुश करने के लिये नहीं है बल्कि ये उनके लिये है जो अन्तर्राष्ट्रीय सीमा के पास रहते हैं। गृह मंत्री ने कहा कि इन इलाकों में रहनेवाले लोग सबसे ज्यादा गोलीबारी का शिकार होते हैं, उन्हें आरक्षण का लाभ मिलना चाहिये। दो दिन के कश्मीर दौरे से लौटे अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में क्षेत्रीय असंतुलन को बड़ा मुद्दा बताया। इसके अलावा शाह ने राज्य में राष्ट्रपति शासन को छह महीने और बढ़ाने का प्रस्ताव रखा।


लोकसभा में कश्मीर के हालात पर बोलते हुये उन्होंने कहा कि अब जनता महसूस कर रही है कि जम्मू और लद्दाख भी राज्य का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की बहाली के हो इसके लिये हमारी सरकार प्रतिबद्ध है। सदन में अपील करते हुये उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शासन के प्रस्ताव का समर्थन करें।


आतंकवाद के मुद्दे पर बोलते हुये शाह ने कहा कि हमारी सरकार ने जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। साथ ही उन्होंने कहा कि आतंकवाद को उखाड़ फेंकने के लिये सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। उन्होंने कहा कि हालात ऐसे थे कि कई साल तक पंचायत चुनाव नहीं कराये गये। लेकिन एक साल के भीतर वहां पंचायत चुनाव कराये गये। चालीस हजार पदों के लिये चुनाव हुआ और एक भी जान नहीं गई।


लोकसभा में जानकारी देते हुये गृह मंत्री ने कहा कि सीमावर्ती इलाकों मे बंकर बनाये जा रहे हैं और तय समय सीमा के भीतर ये काम पूरा कर लिया जाएगा। हमारे लिये हर जान कीमती है। सदन में बोलते हुये उन्होंने कहा कि राज्य में साल के अंत में चुनाव कराये जाएंगे। चुनाव आयोग इसकी जानकारी देगा। शाह ने कहा कि पहले रमजान का पवित्र महीना था और अब अमरनाथ यात्रा होनी है, इसलिये मौजूदा वक्त में चुनाव नहीं कराये जा सकते थे।