CAA को लखनऊ यूनिवर्सिटी के सिलेबस में शामिल करने की तैयारी, मायावती बोलीं- ये गलत है, विरोध करेंगे
CAA को लखनऊ यूनिवर्सिटी के सिलेबस में शामिल करने की तैयारी की जा रही है। हालांकि, इस पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि ये गलत है, हम विरोध करेंगे।
लखनऊ, एबीपी गंगा। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर चल रहे विरोध और समर्थन के प्रदर्शन के बीच लखनऊ यूनिवर्सिटी ने अब एक नई बहस को जन्म दे दिया है। लखनऊ यूनिवर्सिटी CAA को सिलेबस का हिस्सा बनाने की तैयारी कर रहा है। इसको लेकर पोलिटिकल साइंस विभाग प्रस्ताव तैयार कर रहा है। इसके अलावा CAA पर डिबेट कम्पटीशन कराने की भी तैयारी की जा रही है, जिसमें कई कॉलेजों के छात्र-छात्राओं को शामिल किया जाएगा।
आगामी सत्र से सिलेबस का हिस्सा बन सकता है CAA
जानकारी के मुताबिक, सीएए को को लेकर फरवरी के दूसरे हफ्ते में यूनिवर्सिटी में ये कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। पोलिटिकल साइंस विभाग द्वारा भारतीय राजनीति में सम-सामयिक मुद्दे विषय के पेपर में CAA को शामिल करने की तैयारी की जाएगी। इसको लेकर प्रस्ताव तैयार होने के बाद बोर्ड ऑफ़ स्टडीज में ले जाया जायेगा। बताया जा रहा है कि सीएए आगामी सत्र से सिलेबस का हिस्सा बन सकता है।
अगर प्रस्ताव पास हो जाता है तो...
लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र की हेड ऑफ डिपार्टमेंट शशि शुक्ला का कहना है कि इस वक्त सीएए देश में सबसे बड़ा सम-सामयिक विषय है, जिसको लेकर लोगों को जागरूक करना जरूरी है। इसके लिए सबसे बेहतर विकल्प खुद छात्र और छात्राएं हैं। उन्होंने बताया कि हम एक पेपर लाएंगे, जिसका विषय भारतीय राजनीति में सम-सामयिक मुद्दे होगा। हम इस मुद्दे को सिलेबस में शामिल करेंगे और बोर्ड में प्रस्ताव के रूप में रखेंगे। अगर ये प्रस्ताव पास हो जाता है, तो इसे एकेडमिक काउंसिल के पास भेजा जाएगा। वहां से भी अगर इसे मंजूरी मिल जाती है, तो इस विषय पर पढ़ाई शुरू होगी। उन्होंने ये भी बताया कि छात्रों की ये मांग है कि वार्षिद वाद-विवाद प्रतियोगिता में सीएए पर भी चर्चा हो।
मायावती ने जताई आपत्ति
हालांकि, इस पर राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, ' सीएए पर बहस आदि तो ठीक है, लेकिन कोर्ट में इसपर सुनवाई जारी रहने के बावजूद लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा इस अतिविवादित व विभाजनकारी नागरिकता कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करना पूरी तरह से गलत व अनुचित। बीएसपी इसका सख्त विरोध करती है तथा यूपी में सत्ता में आने पर इसे अवश्य वापस ले लेगी।'
सीएए पर बहस आदि तो ठीक है लेकिन कोर्ट में इसपर सुनवाई जारी रहने के बावजूद लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा इस अतिविवादित व विभाजनकारी नागरिकता कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करना पूरी तरह से गलत व अनुचित। बीएसपी इसका सख्त विरोध करती है तथा यूपी में सत्ता में आने पर इसे अवश्य वापस ले लेगी।
— Mayawati (@Mayawati) January 24, 2020
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