फिरोजाबाद, एबीपी गंगा। लॉकडाउन के दौरान सरकार लाख दावे करे कि प्रदेश में कोई भी भूखा नहीं सोएगा लेकिन फिलहाल तो ये खोखले सिद्ध हो रहे हैं। हुआ यूं कि फिरोजाबाद के शिकोहाबाद शहर में नहर के किनारे भूखे लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई। इसके बाद इन लोगों ने थानाध्यक्ष शिकोहाबाद की गाड़ी को घेर लिया और खाना दिए जाने की गुहार लगाई। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का तो पालन हुआ ही नहीं साथ ही बहुत से लोगों ने तो मुंह भी नहीं ढका था। इनमें कई दर्जन की संख्या में महिला और बच्चे भी शामिल थे।
हालत यह थी कि थानाध्यक्ष भी अपनी गाड़ी को इनसे बचाते हुए नजर आए। हालांकि, बाद में सामाजिक संस्थाओं ने इन भूखे लोगों को केले बांटे। लेकिन सवाल ये है कि आगे इन भूखों के लिए भोजन का इंतजाम कौन करेगा।
बता दें कि बड़ी संख्या में मजदूर वर्ग के लोग छैकुर रेलवे रोड पर नहर के किनारे ही झुग्गी झोपड़ी डालकर रहते हैं। यह वैसे ये दिहाड़ी मजदूर हैं लेकिन लॉकडाउन के चलते सभी काम बंद हैं। इसलिए इनको मजदूरी नहीं मिल पा रही है और इनके सामने खाने का संकट पैदा हो गया है। आज भूख के कारण ये लोग लॉकडाउन तोड़ने पर मजबूर हो गए।
गौरतलब है कि फिरोजाबाद में कोरोना वायरस पॉजिटिव मरीजों की संख्या 56 तक पहुंच गई है। जिसमें से एक इमाम की मौत भी हो चुकी है। अट्ठारह मोहल्लों को हॉटस्पॉट के रूप में चिन्हित कर सील कर दिया गया है। हालांकि, पूरे जनपद को सेंसिटिव माना जा रहा है।
हालांकि शिकोहाबाद की तहसील में सरकार की तरफ से प्रांगण कम्युनिटी किचन चलाई जा रही है। जिस इलाके में महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं, वह वह इलाका यहां से से सिर्फ 3 किलोमीटर दूर स्थित है लेकिन फिर भी इन तक खाना न पहुंचना सरकारी कर्मचारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है।
भूख भी सीमा विवाद में !
उधर, जैसे ही मीडिया में भूखे लोगों के प्रदर्शन करने की ख़बर सामने आई तो रोटी बैंक चलाने वाले समाजसेवी ने कहा कि फिलहाल तो हम केले लेकर आए हैं लेकिन अगर एसडीएम कहें तो हम इनका इंतजाम कर सकते हैं, हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि ये लोग उनके सेवा सीमा क्षेत्र में नहीं आते। ऐसे में देखना ये होगा कि इन गरीबों तक सरकारी मदद कैसे पहुंचती है।
उधर, एसडीएम ने कहा कि भूख के कारण प्रदर्शन कर रहे लोगों तक पका हुआ खाना भिजवाया जा चुका है, हालांकि वो लोग कच्चे राशन की डिमांड कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कच्चा राशन भी इन लोगों तक जरूर भिजवाया जाएगा। उधर, महिलाओं का कहना है कि उन्हें कोई सरकारी सहायता नहीं मिल रही है।