नई दिल्ली, एबीपी गंगा। वित्तीय संकट से घिरे पंजाब एंड महाराष्ट्र बैंक (पीएमसी) को लेकर जिस तरह की खबरें सामने आ रही हैं उसकी वजह से देशभर के लोग बैंकों में जमा अपने पैसों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर किसी बैंक में आपका पैसा डूबता है यानी कोई बैंक कंगाल, दिवालिया या बंद होता है तो डिपोजिट इंश्योरेंस एक्ट 1961 के तहत जमा पैसे पर 1 लाख रुपए का इंश्योरेंस कवर दिया जाता है। डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (डीआईसीजीसी) लिक्वीडेटर के माध्यम से यह कवर आरबीआई से संचालित सभी बैंकों के खाताधारकों को देता है।


अब इसी को लेकर सरकार नियमों में बदलाव भी कर सकती है। सरकारी बैंकों में डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर एक लाख से बढ़ाकर 2 से 5 लाख रुपये तक किया जा सकता है। इसका मतलब है कि अगर किसी बैंक के अपने अकाउंट में कस्टमर ने 5 लाख रुपये जमा किए हैं और किसी कारणवश वह बैंक डूब जाता है तो कस्टमर को सिर्फ 1 लाख रुपये मिलने की गारंटी होती है। लेकिन, अब नियम बदलने से ग्राहकों को ज्यादा लाभ होगा।


यहां यह भी बता दें कि, डिपोजिट इंश्योरेंस कवर के रूप में मिलने वाली रकम साल 1968 में 5 हजार रुपए थी जिसे 1970 में बढ़ाकर 10 हजार रुपए कर दिया गया था। साल 1976 में सरकार ने कवर की सीमा बढ़ाते हुए 20 हजार रुपए की जो साल 1980 में 30 हजार रुपए हो गई। साल 1993 में रकम में बढ़ोतरी करते हुए इसे 1 लाख रुपए कर दिया गया, जिसके बाद यानी आज तक कवर में मिलने वाली रकम को नहीं बढ़ाया गया है।


इस समय PMC बैंक घोटाले के चलते लोगों का भरोसा बैंकिंग सिस्टम पर कम हुआ है। बैंकिंग सेक्टर को लेकर अफवाहों का बाजार भी गर्म है। हालांकि आरबीआई कई बार कह चुका है कि किसी भी बैंक को बंद नहीं किया जाएगा। उसने लोगों से अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की अपील भी की है।



सरकार फाइनैंशल रिजॉल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस (FRDRI) बिल को भी नए रूप में लाने का प्रयास कर सकती है। इसके तहत सरकारी बैंकों को यह अधिकार दिया जा सकता है कि डूबने या दिवालिया होने पर वे जमाकर्ताओं को गारंटी की रकम देने के बाद शेष राशि का कैसे इस्तेमाल करेंगे। इसमें जमाकर्ताओं के पैसों का इस्तेमाल बैंकों को उबारने का प्रावधान भी हो सकता है।