शनि अमावस्या पर प्रयागराज के संगम तट पर भक्तों की भारी भीड़, जानें -कैसे आप भी कर सकते हैं शनिदेव को प्रसन्न
हिंदी कैलेंडर के सभी महीनों में अमावस्या पड़ती है, लेकिन जिस बार की अमावस्या शनिवार के दिन पड़ती है, उसे शनि अमावस्या कहा जाता है। धार्मिक आधार पर शनि अमावस्या का खासा महत्व है।
प्रयागराज, एबीपी गंगा। शनि अमावस्या का पर्व कुंभ के शहर प्रयागराज में भी श्रद्धापूर्वक मनाया जा रहा है। इस मौके प्रयागराज में गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी हुई है। देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाकर शनिदेव से कृपा बरसाने व शांत रहने की प्रार्थना कर रहे हैं।
दान का है महत्व
संगम स्थित लेटे हुए हनुमान मंदिर में भी भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है। संगम आने वाले श्रद्धालु शनिदेव की साढ़े साती से बचने के लिए काले कपड़ों-तिल व दूसरी काली वस्तुओं का दान कर रहे हैं।
शनि अमावस्या का महत्व
वैसे तो हिंदी कैलेंडर के सभी महीनों में अमावस्या पड़ती है, लेकिन जिस बार की अमावस्या शनिवार के दिन पड़ती है, उसे शनि अमावस्या कहा जाता है। धार्मिक आधार पर शनि अमावस्या का खासा महत्व है।
नहीं पड़ती बुरी नजर
मान्यता है कि इस दिन शनिदेव की पूजा अर्चना व पवित्र नदियों में स्नान करने वालों पर शनि की बुरी नजर नहीं पड़ती। शनिवार का दिन बजरंग बली हनुमान जी का भी होता है, इसलिए इस खास दिन तमाम भक्त हनुमान मंदिरों में पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं। शनिदेव के पिता भगवान सूर्य को बजरंग बली का गुरु भी माना जाता है।
शनि अमावस्या के दिन ऐसे करें पूजा
सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें। इसके बाद घर या मंदिर में जाकर शनिदेव की पूजा करें। अगर आप भी इस मान्यता को मानते हैं कि घर में शनि देव की मूर्ति नहीं रखनी चाहिए तो सच्चे मन से शनि देव का ध्यान करें। याद रखें शनि देव की पूजा करते समय हमेशा सरसों के तेल का दीया जलाएं।
शनि अमावस्या के दिन इन चीजों का करें दान
शनि अमावस्या के दिन काली उड़द, काले जूते, काले वस्त्र, काली सरसों का दान करें। 800 ग्राम तिल तथा 800 ग्राम सरसों का तेल दान करें। काले कपड़े, नीलम का दान करें।