UP Politics: अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने जम्मू कश्मीर के पुंछ में ड्यूटी के दौरान अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है. फिलहाल अग्निवीर अमृतपाल सिंह ड्यूटी के दौरान गोली लगने से शहीद हो गए. वहीं सेना की ओर से उन्हें सलामी नहीं दिए जाने को लेकर उत्तर प्रदेश की सियासत काफी गरमा गई है. बताया जा रहा है कि पंजाब के रहने वाले अमृतपाल सिंह अपने पिता के इकलौते बेटे थे, जो दिसंबर 2022 में अग्निवीर बनकर भारतीय सेना में भर्ती हुए.


जानकारी के अनुसार 10 अक्टूबर को गोली लगने के कारण उनकी मौत हो गई. वहीं अग्नीवीर अमृतपाल सिंह की मौत की खबर सुनकर पंजाब में शोक की लहर छा गई. फिलहाल इस दौरान शहीद हुए सैनिक के शव को भारतीय सेना की ओर से सलामी नहीं दी गई. इस पर अब सियासत काफी गरमा गई है. इसे लेकर बिहार के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक और राष्ट्रीय लोक दल ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाए हैं.






सत्यपाल मलिक ने केंद्र सरकार पर उठाए सवाल


पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक्स अकाउंट से पोस्ट कर लिखा 'आज शहीद अग्निवीर अमृतपाल सिंह का पार्थिव शरीर उनके गांव कोटली कलां आया, जिसे 2 फ़ौजी भाई प्राइवेट एंबुलेन्स से छोड़कर गए! जब ग्रामीणों ने पूछा तो उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की नई नीति के तहत अग्निवीर को शहीद का दर्जा नहीं दिया गया है, इसलिए सलामी नहीं दी जाएंगी!' उन्होंने अपने अगले पोस्ट में कहा 'फिर SSP साहब से गांव वालों ने बात कर पुलिसकर्मियों से सलामी दिलवाई. ये घटना साबित करती है कि अग्निवीर इसलिए बनाएं है ताकि शहीद का दर्जा ना दिया जाएं और फौज ख़त्म हो जाए. केंद्र सरकार को शर्म आनी चाहिए कि वो शहीद का दर्जा नहीं दे रही है.'






RLD ने बताया शहीदों का अपमान


वहीं आरएलडी ने भी अग्निवीर अमृतपाल सिंह को शहीद का दर्जा नहीं देने और उसे सेना की ओर से सलामी नहीं देने पर इसे शहीदों का अपमान बताया है. पार्टी के एक्स अकाउंट से पोस्ट करते हुए लिखा गया 'अग्निवीर के तौर पर सेना में भर्ती हुए पंजाब के अमृतपाल सिंह कश्मीर में देश के लिए लड़ते हुए शहीद हो गए. शत् शत् नमन, ये विडंबना ही है कि अग्निवीर से भर्ती होना, उन्हें देश पर जान न्योछावर करने के कर्तव्य तो बता गया लेकिन एक शहीद को मिलने वाले सम्मान से उन्हें वंचित कर गया. शहीद अमृतपाल सिंह को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई भी नहीं दी गई. उनका पार्थिव शरीर आर्मी वाहन के बजाए प्राइवेट एंबुलेंस से एक आर्मी हवलदार और दो जवान लेकर आए. ये देश के शहीदों का अपमान नहीं तो और क्या है?'


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