प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) मंगलवार को पूर्वांचल एक्सप्रेस वे (Purvanchal Expressway) को जनता को समर्पित करेंगे. यह उत्तर प्रदेश का चौथा एक्सप्रेस वे होगा. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश देश में सबसे अधिक एक्सप्रेस वे वाला राज्य हो जाएगा. 340 किमी लंबा पूर्वांचल एक्सप्रेस वे देश का सबसे लंबा एक्सप्रेस वे होगा. उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेस वे के विकास में सभी सरकारें शामिल रही हैं. मायावती (Mayawati) से शुरू हुआ एक्सप्रेस वे का सफर अखिलेश (Akhilesh Yadav) की सरकार से होते हुए योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की सरकार तक जारी है. आइए हम आपको बताते हैं उत्तर प्रदेश के तीन सबसे बड़े एक्सप्रेस वे के बारे में.पूर्वांचल एक्सप्रेस वे राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच)-731 पर स्थित लखनऊ के गांव चांद सराय से शुरू होगा. और एनएच राष्ट्रीय राजमार्ग 19 पर स्थित गाजीपुर जिले के गांव हैदरियां तक पहुंचकर खत्म होगा. 

कहां कहां से होकर गुजरेगा पूर्वांचल एक्सप्रेस वे

पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 जुलाई 2018 को आजमगढ़ में शिलान्यास किया था. छह लेन के इस एक्सप्रेस वे की लंबाई 340.82 किमी है. उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस वे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी के मुताबिक इसके निर्माण पर 22 हजार 494 करोड़ रुपये की लागत आई है. यह एक्सप्रेस वे प्रदेश के 9 जिलों-लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, अम्बेडकरनगर, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर से होकर गुजरता है.  

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यह एक्सप्रेस वे करीब 40 महीन में बनकर तैयार हुआ है. एक्सप्रेस वे के एक ओर 3.75 मीटर चौड़ी सर्विस लेन भी बनाई गई है. इस पर 271 अंडर पास बनाए गए हैं यानि कि हर 1.27 किलोमीटर पर एक अंडर पास बनाया गया है. पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर 7 रेलवे ओवर ब्रिज, 7 बड़े पुल और 114 छोटे पुल और 18 फ्लाई ओवर बनाए गए हैं. आपातस्थिति में लड़ाकू विमानों के उतरने और उड़ान भरने के लिए सुल्तानपुर में 3.2 किमी लंबी हवाई पट्टी का निर्माण भी किया गया है.

उत्तर प्रदेश के अन्य एक्सप्रेस वे

यमुना एक्सप्रेस वे: 2002 में तत्कालीन बसपा सरकार ने ग्रेटर नोएडा से आगरा तक ताज एक्सप्रेस-वे के निर्माण का फैसला लिया था. मुख्यमंत्री मायावती ने 7 फरवरी, 2003 को लखनऊ में ताज एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास किया था. लेकिन एक साल बाद उनके इस्तीफे के बाद आई मुलायम सिंह यादव की सरकार में यमुना एक्सप्रेस-वे का निर्माण रुक गया. मायावती 2007 में जब फिर मुख्यमंत्री बनीं तो ताज एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य फिर शुरू हुआ. बाद में इसका नाम बदलकर यमुना एक्सप्रेस-वे कर दिया गया. बसपा ने 2012 के चुनाव में इसे अपनी उपलब्धियों में शामिल किया था. लेकिन मायावती फिर मुख्यमंत्री नहीं बन सकीं. उनके बाद मुख्यमंत्री बने अखिलेश यादव ने 9 अगस्त 2012 में यमुना एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन किया.

यमुना एक्सप्रेस वे 165.53 किमी की लंबा छह लेन का हाईवे है. इसके निर्माण पर करीब 13 हजार करोड़ रुपये की लागत आई थी. इसे बनाने वाले जेपी ग्रुप के पास इसपर 36 साल तक टोल टैक्स वसूलने का अधिकार है. यमुना एक्सप्रेस वे- गौतमबुद्ध नगर के ग्रेटर नोएडा और जेवर, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा और आगरा जिले को आपस में जोड़ता है. यह ग्रेटर नोएडा के परी चौक से शुरू होकर आगरा के कुबेरपुर में खत्म होता है. इस एक्सप्रेस वे पर 4 टोल प्लाजा, 41 पुल और 70 अंडर पास हैं.  

अखिलेश यादव नहीं लौटे सत्ता में

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 23 नवंबर 2014 को इसका उद्घाटन किया था. इसे 22 महीने में बनकर तैयार होना था. लेकिन यह 36 महीने में बनकर तैयार हुआ. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 21 नवंबर 2016 को आगरा लखनऊ एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन किया था. साल 2017 के चुनाव में अखिलेश यादव ने चुनाव में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे को अपनी बड़ी उपलब्धि बताया. लेकिन सत्ता में उनकी वापसी नहीं हुई.

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे 302.22 किमी लंबा है. इसके निर्माण पर 11 हज़ार करोड़ रुपये से ज़यादा की लागत आई थी. लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे के बन जाने के बाद दिल्ली और लखनऊ को जोड़ने का तीसरा रास्ता मिल गया. यह आगरा जिले के एत्मादपुर के मदरा गांव से शुरू होता है और लखनऊ में सरोसा-भरोसा गांव के पास खत्म होता है. यह आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, शिकोहाबाद, औरैया, कन्नौज, कानपुर, हरदोई, उन्नाव और लखनऊ जिले से होकर गुजरता है. इस एक्सप्रेस वे पर 2 टोल प्लाजा हैं. 

नोएडा-ग्रेटर एक्सप्रेस वे : नोएडा के ग्रेटर नोएडा को जोड़ने वाला यह एक्सप्रेस वे 24.53 किमी लंबा है. इसके निर्माण पर करीब 400 करोड़ रुपये की लागत आई थी. यह नोएडा के सेक्टर-37 के पास से शुरू होता है और ग्रेटर नोएडा के परि चौक पर जाकर खत्म होता है. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को पूर्वांचल एक्सप्रेस वे को जनता को समर्पित करने वाले हैं. उत्तर प्रदेश में इस समय चुनाव का माहौल है. ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी अपनी सरकार को बचा पाती है या नहीं. हालांकि चुनावी सर्वे में बताया जा रहा है कि बीजेपी यूपी में अपनी सरकार बचा पाने में कामयाब होगी. 

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