प्रयागराज. पूर्व बाहुबली सांसद धनंजय सिंह की रिहाई को लेकर बड़ा मामला सामने आया है. आरोप है कि धनंजय सिंह की रिहाई में नियमों की अनदेखी की गई है. दरअसल, धनंजय की रिहाई का आदेश स्पीड पोस्ट के जरिए फर्रुखाबाद जिले के फतेहगढ़ सेंट्रल जेल भेजा गया था जबकि नियम के मुताबिक रिहाई परवाना और मुचलका आदेश प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल भेजा जाना चाहिए था.
स्पेशल कोर्ट ने 5 मार्च को धनंजय को न्यायिक हिरासत में प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल ही भेजा था. इस आधार पर रिहाई आदेश नैनी सेंट्रल जेल भेजा जाना चाहिए था. नैनी सेंट्रल जेल से स्पेशल मैसेंजर द्वारा फतेहगढ़ जेल आदेश भेजा जाता है. रिहाई आदेश आमतौर पर पैरोकार के जरिए उस जेल में भेजा जाता है जहां कोर्ट बंदी को रखने का आदेश देती है. ऐसे में रिहाई आदेश को फतेहगढ़ जेल सीधे तौर पर भेजे जाने सवाल उठ रहे हैं. मामला सुर्खियों में ना आए इस वजह से गुपचुप तरीके से डाक द्वारा रिहाई आदेश भेजे जाने का शक जताया जा रहा है.
25 मार्च को हुआ था आदेश जारी
एबीपी के पास धनंजय की रिहाई आदेश के डिस्पैच रजिस्टर की कॉपी एक्सक्लूसिव तौर पर मौजूद है. धनंजय की रिहाई में भी सरकारी अमले की मिलीभगत होने का शक जताया जा रहा है. बता दें कि 25 मार्च को प्रयागराज की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट ने धनंजय सिंह की जमानत बहाल कर रिहाई आदेश जारी किया था. नये जमानतदार द्वारा बॉन्ड पेश किए जाने पर धनंजय सिंह की जमानत बहाल हुई थी. 31 मार्च की सुबह गुपचुप तरीके से धनंजय की जेल से रिहाई कराई गई थी.
अजीत सिंह मर्डर केस में वांटेड है धनंजय सिंह
धनंजय सिंह लखनऊ के अजीत सिंह मर्डर केस में मोस्ट वांटेड है. इस मामले में धनंजय पर 25 हजार का इनाम भी घोषित है. उसकी रिहाई के मामले में लखनऊ पुलिस की लापरवाही भी सवालों के घेरे में है.
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