देहरादून,रवि कैंतुरा: उत्तराखंड में कोरोना महामारी ने रिवर्स पलायन करा दिया है. उत्तराखंड से बाहर गए लोग वापस अपने घरों को लौट आए हैं. सरकार के द्वारा ऐसे लोगों को क्वारंटीन किया गया है, लेकिन क्वारंटीन सेंटरों में हो रही मौतें सरकार की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर रही हैं. हद तो तब हो गई जब नैनीताल की एक छोटी सी मासूम को क्वारंटीन सेंटर में सांप ने काट लिया और उसकी मौत हो गई.
ना रूकने का ठोर, ना ही खाने का ठिकाना बस चलते जाना है. इस समय मंजिल है अपना घर. अपने गांव को छोड़ बाहर बसे लोग इस समय वापस लौट रहे हैं, उनके लिए सबसे सुरक्षित जगह इस वक्त उनका घर है, लेकिन जहां लोग अपनी जान बचाने के लिए आ रहे हैं, वहींं उनकी मौतों के सिलसिले ने सरकार के दावों को कटघरे में खड़ा कर दिया है.
प्रवासियों के लौटने का सिलसिला जारी
जब से कोरोना काल में प्रवासियों के लौटने का सिलसिला शुरू हुआ है, तब से क्वारंटीन सेंटरों में खामियों की खबरें, लोगों की मौत की खबरों ने सरकार के हवा-हवाई दावों की हकीकत को सामने रख दिया है. अभी राज्य में डेढ़ लाख से कुछ अधिक लोग आ चुके हैं और इतने ही लोगों ने अपने घर आने के लिए आवेदन किया है. ऐसे में जितने भी लोग वापस लौट रहे हैं, उनके लिए सरकार बार-बार ये बात कहती दिखाई दे रही है कि उनके पास पूरी व्यवस्थाएं हैं, लेकिन अगर व्यवस्थाएं होती तो शायद एक मासूम को क्वारंटीन सेंटर में सांप नहीं डसता और शायद वो आज जिदा होती.
देहरादून के जिलाधिकारी का कहना
वहीं, देहरादून के जिलाधिकारी से जब क्वारंटीन सेंटर्स में व्यवस्थाओं के बारे में पूछा गया तो उनका कहना है कि वहीं क्वारंटीन सेंटर्स बनाए जा रहे हैं, जहां पर उचित व्यवस्थाएं हैं. साथ ही, यहां पर पीआरडी जवानों की ड्यूटी भी लगाई गई है. डीएम का कहना है कि कोशिश की जा रही है, सबको अच्छी सुविधाएं मिलें. ये बात तो राजधानी देहरादन की है, जहां पूरा शासन-प्रशासन बैठता है, लेकिन उन पहाड़ों का क्या जहां पूरी जिम्मेदारियां ग्राम प्रधानों पर छोड़ दी गई हैं. क्या पहाड़ के लोगों को उचित व्यवस्थाएं नहीं चाहिए. क्या यूं ही मौतों की ख़बरों पर मातम मनाएंगे या कुछ करेंगे भी.
विपक्ष का आरोप
वहीं, विपक्ष ने भी सरकार की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार की व्यवस्थाएं हवा-हवाई हैं. सरकार को इस दौर में विपक्ष से भी संवाद करना चाहिए, लेकिन सरकार अपनी हठधर्मिता पर बनी हुई है.
राज्य में भले ही सरकार बार-बार ये बात कह रही है कि प्रवासियों के लिए उनकी व्यवस्थाएं पूरी हैं, लेकिन उत्तराखंड में जिस तरह से गंभीर मामले सामने आ रहे हैं, वो सरकार की व्यवस्थाओं पर प्रश्नचिन्ह खड़े जरूर करती हैं. अभी तो आधे ही प्रवासी राज्य में लौटे हैं. हालात अभी से खराब हैं. ऐसे में जिस तरह से कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, ये स्थिति प्रदेश के लिए सरकार की अव्यवस्थाओं के बीच चिंता बढ़ा रही है.
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