मथुरा, एबीपी गंगा। बरसाना और रावल के राधा रानी मंदिर में सादगी के साथ राधा अष्टमी का उत्सव मनाया गया. कोरोना के चलते श्रद्धालुओं के आगमन पर पहले प्रतिबंध लगा हुआ है. इस दौरान मंदिर के सेवायतों ने विधि विधान और परंपरागत तरीके से पूजा अर्चना की.


श्रीराधारानी का जन्मोत्सव श्रद्धाभक्ति एवं सादगीपूर्वक मनाया गया. बुधवार को ब्रह्म मुहूर्त में श्रीराधा रानी का पंचामृत से अभिषेक किया गया. हालांकि कोरोना संक्रमण के चलते इस बार जन्मोत्सव में श्रद्धालुओं की संख्या नगण्य रही. पूर्व में देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु श्रीराधा जी के अभिषेक के साक्षी होते थे लेकिन इस बार मंदिर के सेवायत और सुरक्षाकर्मी ही जन्मोत्सव में शामिल हुए.


राधाष्टमी पर बुधवार को ब्रह्म मुहूर्त में सुबह चार बजे श्रीराधा रानी के विग्रह का अभिषेक किया गया. हालांकि कोरोना के कारण इस पल का साक्षी बनने के लिए इस बार देश-दुनिया के भक्त नहीं पहुंचे. चंद सेवायतों एवं ड्यूटी पर तैनात सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी में राधारानी का अभिषेक किया गया. इस बार राधारानी का 5247वां जन्मोत्सव मनाया गया है.


वृषभानु नंदिनी राधा रानी जी ने भाद्रप्रद के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को अनुराधा नक्षत्र तथा मूल नक्षत्र में जन्म लिया था. मूल नक्षत्र में जन्म लेने से राधारानी की मूल शांति के लिए सेवायतों ने मंगलवार रात दो बजे 27 कुओं के जल, 27 पेड़ों की पत्ती, 27 तरह की औषधियां, 27 मेवा तथा 27 ब्राह्मण, सोने चांदी की मूल-मूलनी और कांस्य के बने तेल के छाया पात्र के साथ हवन किया. दूध, दही, शहद, बूरा, इत्र, घी, गुलाब जल, गो घृत, पंच मेवा, पंच नवरत्न, केसर आदि से श्रीजी के श्रीविग्रह का अभिषेक गोस्वामियो, सेवायतों के सानिध्य में किया गया.


ये भी पढ़ेंः
यहां गंगा और यमुना मचाती हैं ज़बरदस्त तबाही, फ़िर भी बाढ़ आने के लिए की जाती है प्रार्थना, जानें वजह


यूपी: निवाड़ी में ओरछा के रामराजा मंदिर के आज से खुलेंगे पट, सुबह 8 से रात 10 बजे तक होंगे दर्शन