UP News: राधास्वामी मत के 5वें गुरु अगम प्रसाद माथुर का निधन, अनुयायियों में शोक की लहर
Agra News: दादा जी महाराज ख्यातिप्राप्त धर्मगुरु, शिक्षाविद, इतिहासवेत्ता, लेखक, साहित्यकार के तौर पर पहचाने गए. उन्होंने कई किताबें लिखी हैं और उनके अनुयाई उनका मार्गदर्शन प्राप्त करते रहे.
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Agam Prasad Mathur Passes Away: राधास्वामी मत के पांचवें गुरु अगम प्रसाद माथुर (दादा जी महाराज) अब इस दुनिया में नहीं रहे. उनका गुरुवार (25 जनवरी) को 92 साल की उम्र में निधन हो गया. अगम प्रसाद माथुर आगरा के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे हैं. जानकारी हो कि राधा स्वामी मत के दुनियाभर में बड़ी संख्या में अनुयाई है. दादा जी महाराज के निधन की खबर से अनुयायियों में शोक की लहर है. हुजूरी भवन पीपल मंडी आगरा में अगम प्रसाद माथुर का आवास था उनकी अंतिम यात्रा 27 जनवरी को ताजगंज मोक्ष धाम के लिए प्रस्थान करेगी. अभी से ही आगरा में उनके अंतिम दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी है.
दादा जी महाराज ने लिखी हैं कई किताबें
बता दें कि दादा जी महाराज का जन्म 27 जुलाई साल 1930 को आगरा के हजूर भवन में हुआ था. उन्होंने उन्होंने सेंट जोंस कालेज से शिक्षा ग्रहण की. वर्ष 1952 में उन्होंने आगरा कॉलेज से अध्यापन का कार्य शुरू किया. इसके बाद शिक्षा के क्षेत्र में विशेष पहचान बनाई, वह ख्यातिप्राप्त धर्मगुरु, शिक्षाविद, इतिहासवेत्ता, लेखक, साहित्यकार के तौर पर जीवन पर पहचाने गए. उन्होंने कई किताबें लिखी हैं और उनके अनुयाई पूरी दुनिया में रहकर उनका मार्गदर्शन प्राप्त करते रहे.
दो बार रहे कुलपति
अगम प्रसाद माथुर वर्ष 1982 से 1985 तक और 1988 से 1991 तक आगरा विश्वविद्यालय (अभी डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय) के दो बार कुलपति रहे. इससे पहले दादा जी महाराज ने वर्ष 1980 में उन्होंने यादगार-ए-सुलह-ए-कुल का आयोजन आगरा किला और फतेहपुर सीकरी में करावाया था.
हजूर महाराज ने बनवाया था हजूरी भवन
जिस हजूरी भवन में दादा जी महाराज का जन्म हुआ उसे राधा स्वामी मत के दूसरे आचार्य हजूर महाराज ने वर्ष 1885 में बनवाया था. उन्होंने आगरा के पीपल मंडी स्थित अपनी जन्मस्थली के पास ही स्थित तीन टीलों को खरीदकर सात चौक वाला मकान बनवाया था. आचार्य हजूर महाराज की कर्मस्थली को ही राधास्वामी के मतावलंबी हजूरी भवन के नाम से पुकारते हैं. यहां पर हजूर महाराज, राधा स्वामी मत के तृतीय आचार्य लालाजी महाराज, चतुर्थ आचार्य कुंवरजी महाराज की समाधी, लीला स्थली और निज कक्ष, हजूरी रसोई और हजूरी आवास आज भी मौजूद हैं.
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