रायबरेली: जिलाधिकारी और सीएमओ की लड़ाई की धमक शासन स्तर तक पहुंच चुकी है. घमासान देख लखनऊ मंडल के कमिश्नर मुकेश मेश्राम रायबरेली पहुंचे और दोनों अधिकारियों से अलग-अलग बात करके मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की. बैठक के बाद कमिश्नर ने जिलाधिकारी की गलती को स्वीकारा और भविष्य में इसके पुनरावृति न होने की बात भी कही. हालांकि जिलाधिकारी और सीएमओ दोनों पक्षों के संगठन चाहे वो पीएमएस संघ हो या फिर पीसीएस संघ दोनों गुटबाजी में आमने सामने नजर आए.


अधिकारियों का विवादों से है पुराना नाता
रायबरेली जिले के नवागंतुक जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव जिले में कदम रखते ही विवादों से घिर गए. बैठक में अधिकारियों को बेइज्जत करना उनकी आदत में शुमार है. बीते 4 सितंबर को मुख्य चिकित्सा अधिकारी के साथ जिले के अन्य अधिकारियों की बैठक ले रहे थे जिसमें मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने महानिदेशक स्वास्थ्य लखनऊ को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने उन्हें भरी बैठक में अपमानित किया इतना ही नहीं सबके सामने उन्होंने गधा बोला और खाल खिंचवाने की भी धमकी दी.


प्रशासनिक अमले में मचा हड़कंप
मुख्य चिकित्सा अधिकारी का ये पत्र वायरल होते ही जिले के प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया. जहां एक तरफ स्वास्थ्य विभाग के संगठन चाहे वो नर्सेज संगठन हो या फिर पीएमएस संघ दोनों मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पक्ष में खड़े होकर तीन दिवस के भीतर जिला अधिकारी पर कार्रवाई की मांग करने लगे. वहीं, अपने आपको घिरता देख कर जिलाधिकारी ने भी बैटिंग शुरू की और पीसीएस संघ को अपनी लड़ाई के मोर्चे पर लगा दिया. कलेक्ट्रेट के कर्मचारी संघ भी डीएम के पक्ष में खड़े नजर आए.


डीएम और सीएमओ में बना रहेगा आंतरिक मतभेद
डीएम और सीएमओ के लड़ाई की धमक शासन तक पहुंची जिसके बाद आनन-फानन में लखनऊ मंडल के कमिश्नर मुकेश मेश्राम रायबरेली पहुंचे और दोनों अधिकारियों से अलग-अलग बैठक करके बातचीत की. जिसके बाद दोनों अधिकारियों को समझाते-बुझाते हुए मुकेश मेश्राम ने कहा कि सभी को कोरोना काल में मिलकर काम करना चाहिए. मुकेश मेश्राम ने डीएम की गलती को स्वीकारा और ये जताने की कोशिश की कि इस मामले पर डीएम को भी काफी दुख है और भविष्य में इस तरह की कोई भी गलती दोहराई नहीं जाएगी. कमिश्नर मुकेश मेश्राम के इस बयान के बाद मामले का पटाक्षेप तो सार्वजनिक रूप से नजर आ रहा है लेकिन जिलाधिकारी और सीएमओ के बीच आंतरिक मतभेद और लड़ाई जारी रहने की पूरी उम्मीद है.


पीएमएस संघ और पीसीएस संघ आमने-सामने
बता दें कि जैसे ही डीएम ने सीएमओ के खिलाफ अभद्रता की उसी के ठीक बाद सीएमओ ने डीएम के खिलाफ पत्र लिखकर मोर्चा खोल दिया. पत्र वायरल होने के कुछ ही समय बाद पीएमएस संघ के अध्यक्ष डॉक्टर अल्ताफ हुसैन की तरफ से एक पत्र जारी होता है और उसमें मामले के पटाक्षेप की बात कही जाती है. लेकिन, कुछ ही समय बाद डॉ अल्ताफ को उनके पद से हटा दिया जाता है और डॉक्टर एलपी सोनकर को पीएमएस संघ का तत्काल प्रभाव से अध्यक्ष नियुक्त कर दिया जाता है.


शुरू हुई डीएम के खिलाफ मुहिम
पीएमएस के अध्यक्ष की तरफ से एक पत्र जारी करके 3 दिन के भीतर जिला अधिकारी पर कार्रवाई की मांग की जाती है न करने के एवज में आंदोलन की चेतावनी दी जाती है. वहीं, पीएमएस संघ के ललकारने पर पीसीएस संघ भी मैदान में कूद जाता है और सीएमओ के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जाती है. इस तरह घटनाक्रम की गूंज शासन स्तर तक पहुंच गई जिसके बाद मुकेश मेश्राम को मामले के पटाक्षेप के लिए रायबरेली भेज दिया जाता है.



अधिकारियों की जंग में पिसेगी आम जनता
नवागंतुक जिलाधिकारी का पीलीभीत में विवादों से पुराना नाता है तो सीएमओ भी पूरे करोना काल में विवादों में रहे और जनता से उनकी दूरी बराबर बनी रही. दोनों के बीच जंग जारी है. इन दोनों अधिकारियों की जंग में आम जनता पिसेगी क्योंकि दोनों एक दूसरे के काम में दिलचस्पी लेने की बजाय अड़ंगा डालेंगे. लिहाजा, आम जनता से जुड़े विकास कार्यो में बाधा पड़ेगी. अब देखना है कि सूबे के मुखिया इन विवादित अधिकारियों पर किस तरह का चाबुक चलाते हैं.


सभी को मिलकर काम करना चाहिए
मुकेश मेश्राम ने कहा कि कोरोना काल में सभी को मिलकर काम करना चाहिए. दोनों अधिकारियों से अलग-अलग बात की है. मांमले को लेकर दुख है और डीएम को भी इस बात का अफसोस है. भविष्य में इस तरह की बात दोहराई नहीं जाएगी, सभी को एक टीम का हिस्सा बन कर काम करना चाहिए जिससे की आम जनता का भला हो सके.


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