Independence Day 2022 Special: जब निहत्थे किसानों पर अंग्रेजों ने बरसाई गोलियां, सरई नदी का पानी खून से हो गया था लाल
Raebareli News: 7 जनवरी 1921 को आंदोलित निहत्थे किसानों पर अंग्रेजों ने गोलियां बरसाई थी और जिनके रक्त से सई नदी का पूरा पानी लाल हो गया था. सई नदी तट पर आज भी शहीदों की याद में मेले लगते हैं.
![Independence Day 2022 Special: जब निहत्थे किसानों पर अंग्रेजों ने बरसाई गोलियां, सरई नदी का पानी खून से हो गया था लाल Raebareli News When the British fired bullets at the agitating unarmed farmers the water of the Sarai river had turned red ANN Independence Day 2022 Special: जब निहत्थे किसानों पर अंग्रेजों ने बरसाई गोलियां, सरई नदी का पानी खून से हो गया था लाल](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/08/13/91f8d59633742e2a4fb0b38301532df21660378018132448_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Raebareli News: आज भी जिनके बलिदान पर मौन दिशाएं आरती उतारती हैं, हवाएं चंदन वन के सौरभ से अभिषेक करती हैं. सई का पानी चरण पखारता है, उदित होते ही भास्कर की रश्मियां जिसे नमन करती हैं, यह उन्हीं अमर देश भक्तों की पुण्य स्थली है. जहां 7 जनवरी 1921 को आंदोलित निहत्थे किसानों पर अंग्रेजों ने गोलियां बरसाई थी और जिनके रक्त से सई नदी का पूरा पानी लाल हो गया था. इसीलिए आज भी मुंशीगंज स्थित सई नदी तट पर शहीदों की याद में मेले भी लगते हैं और उन्हें लोग श्रद्धा सुमन अर्पित करने भी पहुंचते हैं.
आंदोलित निहत्थे किसानों पर अंग्रेजों ने बरसाई थी गोलियां
देश में जब चारों तरफ आजादी के लिए जंग छिड़ी हुई थी उस दौर में रायबरेली भी अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई लड़ने में पीछे नहीं रहा. देश के इतिहास में रायबरेली जिले का किसान गोलीकांड एक बड़ा ऐतिहासिक महत्व रखता है लेकिन देश के इस बड़े किसान गोलीकांड को इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान नहीं मिल सका. मौजूदा सरकार अमर शहीदों का उनके स्मारकों को अक्षुण बनाए रखने के लिए प्रयासरत हैं. बताते चलें कि लगान बंदी के खिलाफ किसानों में काफी गुस्सा था.
सई नदी का पूरा पानी हो गया था लाल
रायबरेली के गंगा तट पर स्थित भगवंतपुर चंदनिया गांव के किसान नेता पंडित अमोल शर्मा ने स्थानीय तालुकेदार से लगान बंदी का विरोध किया था. यह विरोध करने के कारण अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें नजरबंद कर लिया था. यह खबर जब किसानों और नौजवानों को हुई तब अंग्रेजी हुकूमत से अपने नेता को छोड़ने के लिए मांग करने लगे और आंदोलित हो उठे. इसके परिणाम स्वरूप 7 जनवरी 1921 को बड़ी संख्या में किसानों ने रायबरेली कूच किया था लेकिन किसानों का यह जत्था मुंशीगंज सई नदी तट के पास पहुंचा ही था और विरोध प्रदर्शन कर ही रहा था कि इसी दौरान अंग्रेजी हुकूमत की ओर से देश के किसी गद्दार ने फायर कर दिया.
इस फायर को अंग्रेजी सिपाहियों ने फायरिंग का आदेश समझकर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. भारी गोलीबारी में बड़ी संख्या में नौजवान और किसान शहीद हो गए. किसानों और नौजवानों के लहू से सई नदी का पानी लाल हो चला था. यह खबर देश के नेता पंडित जवाहरलाल नेहरू को दी गई थी लेकिन वह रायबरेली नहीं पहुंच सके थे. उन अमर सपूतों की याद में रायबरेली के मुंशीगंज सई नदी तट पर भव्य स्मारक का निर्माण किया गया था. जहां प्रतिवर्ष स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस समेत सभी राष्ट्रीय पर्वों पर जनपद वासी श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए वीर सपूतों को नमन करते हैं.
ये भी पढ़ें:-
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)