रायबरेली: स्वास्थ्य विभाग के लचीलेपन से जिले में प्राइवेट अस्पताल बेलगाम चल रहे हैं. गरीबों को शिकार बनाकर अस्पताल लाने का काम उनके एजेंट लगातार कर रहे हैं. ग्रमीण लोगों को बेवकूफ बनाकर इलाज के नाम पर मोटी रकम वसूलने का काम भी प्राइवेट अस्पताल कर रहे हैं. ऐसा ही एक मामला बछरावां कस्बे के एक प्राइवेट अस्पताल का सामने आया है जहां प्रसूता के परिजनों ने प्राइवेट अस्पताल प्रशासन पर अंग तस्करी का बड़ा आरोप लगाया है. हालांकि, पुलिस ने तहरीर के आधार पर प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज कर ली है और मृत प्रसूता के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है.


परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप
बछरावां थाना क्षेत्र के चुरुवा के रहने वाली उर्मिला अपनी बेटी सरिता को प्रसव के लिए बछरावां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गई. यहां घूम रहे दलालों ने उर्मिला को बछरावां स्थित प्राइवेट अस्पताल गोविंद हॉस्पिटल ले जाने की सलाह दी. वहां पहुंचकर सरिता को आनन-फानन में एडमिट कराया गया और परिजनों से 25 हजार की डिमांड की गई. ऑपरेशन के बाद सरिता की हालत बिगड़ने लगी तो गोविंद अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे लखनऊ ले जाने की सलाह दी. लखनऊ ले जाकर एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज चल ही रहा था कि उसकी मौत हो गई. परिजनों का आरोप है कि गोविंद अस्पताल के डॉक्टरों ने सरिता की किडनी सहित अन्य अंग निकाल लिए हैं.


मौन है स्वास्थ्य विभाग
जिले में प्राइवेट अस्पतालों का मकड़जाल इस तरह फैला है जैसे जंगल में बबूल के पेड़. हर प्राइवेट अस्पताल के अपने दलाल होते हैं जो मरीजों को सरकारी अस्पतालों से या फिर गांव से पहले ही सीधे प्राइवेट अस्पताल पहुंचाने का काम करते हैं. इसके बदले दलालों को अस्पताल प्रशासन की तरफ से मोटी रकम भी दी जाती है. इस पर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से मौन नजर आता है. यही कारण है कि आए दिन प्राइवेट अस्पतालों में मौतें होती हैं और वहां तोड़-फोड़ के साथ-साथ शोषण के आरोप भी लगते हैं.


पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार
मामला चाहे जो भी हो लेकिन प्रसूता के परिजन अस्पताल प्रशासन पर प्रसूता के आंतरिक अंग निकालकर उसे बेचने की बात कह रहे हैं. अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही साफ हो पाएगा की प्रसूता के आंतरिक अंग निकाले गए थे या फिर नहीं. यही कारण रहा कि पुलिस के आला अधिकारी भी अभी इस पर कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है. पुलिस भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने का इंतजार कर रही है.



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