Raebareli: लकड़ी के पुल पर हुआ था बच्चे का जन्म, 12 साल बाद भी पुल बनने का इंतजार, जान जोखिम में डाल रहे लोग
UP Elections: रायबरेली के मपुर बघेल गांव के पास से गुजरने वाला लकड़ी का पुल जर्जर हो गया है. जिस बच्चे के नाम पर इस पुल का नाम दिया गया था, वो अब 12 साल का हो गया है लेकिन अबतक ये पुल नहीं बन सका है.
Raebareli News: एक ऐसे बच्चे की कहानी जिसकी पैदाइश लकड़ी के पुल (बंधे) पर हुआ था जिसके बाद बच्चे का नाम बंधालाल पड़ गया. गांव सहित विद्यालय के लोग भी अंकुश को बंधा लाल के नाम से ही जानते और पुकारते हैं. सदर विधानसभा क्षेत्र के रामपुर बघेल गांव के पास से गुजरने वाली ड्रेन पर लकड़ी का पुल बना हुआ है, जिससे लोग पैदल आते जाते हैं. बंधा लाल की प्रशव से पीड़ित थी और अस्पताल जा रही थी. तभी जैसे ही बंधे पर पहुंची वहीं नवजात ने जन्म लिया. तब से लोग नवजात का नाम बँधालाल रख दिया.
रामपुर बघेल गांव के पास महाराजगंज ड्रेन नाम की एक छोटी नदी बहती है. जिस पर ग्रामीण लकड़ी का पुल खुद बनाते हैं और उसी से हजारों लोग पर आते जाते हैं. आज से 12 साल पहले उसी पुल से पार्वती गुजर रही थी जो प्रसव पीड़ा से पीड़ित भी थी. जैसे ही लकड़ी के पुल अर्थात बंधे पर पहुंची वैसे ही नवजात शिशु बंधे पर ही पैदा हो गया. जच्चा बच्चा दोनों सुरक्षित थे. जब दोनों वापस आए तो ग्रामीणों ने नवजात का नाम बंधा लाल रख दिया. जबकि उसका वास्तविक नाम अंकुश है. लेकिन विद्यालय और गांव में सभी लोगों से बंधा लाल के नाम से ही जानते हैं. आज बंदा लाल लगभग 12 साल के ऊपर का हो चुका है और उसे कहीं ना कहीं बंधा लाल नाम खटकता भी है. बंधा लाल की मंशा है जो लकड़ी का पुल कई दशकों से ग्रामीण बनाते चले आ रहे हैं उसे सरकार पक्के पुल के रूप में परिवर्तित कर दें, जिससे कि लोगों को आने जाने में कोई समस्या ना हो.
इस पुल से हर दिन गुजरते हैं हजारों लोग
रामपुर बघेल गांव के पास ड्रेन पर गांव वाले हर साल लकड़ी का पुल बनाते हैं और बरसात में वह लकड़ी का पुल बह जाता है. बरसात खत्म होते ही गांव वाले फिर से पुल का निर्माण करते हैं, जिससे लगभग एक दर्जन गांव के लोगों का आवागमन शुरू हो जाता है. हजारों की संख्या में लोग गुजरते हैं. ग्रामीणों ने कई बार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से पुल बनवाने की गुहार लगाई है लेकिन किसी की भी नजरें इनायत अभी तक नहीं हो पाई. अभी भी लोग जान हथेली पर रखकर उस लकड़ी के हिलते हुए पुल से गुजरते हैं. चूंकि बंधे पर ही बच्चे की पैदाइश ही थी इसलिए बंधा लाल भी चाहता है कि पुल का निर्माण हो जाए जिससे कि लोगों के आवागमन का रास्ता सहज हो जाए. अब देखना यह है बंधा लाल की पुकार सफेदपोशों और अधिकारियों के कानों तक पहुंचती है या फिर लकड़ी का पुल जस का तस बना रहता है.
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