Uttar Pradesh News: जहां एक तरफ केंद्र और प्रदेश सरकार हर गरीब के सिर पर छत देने का दावा कर रही हैं तो वहीं यूपी के रायबरेली (Raebareli) जनपद में पांच सौ से अधिक ऐसे प्रधानमंत्री आवास हैं जो अधूरे पड़े हैं जबकि तीन माह के भीतर प्रधानमंत्री आवास बनकर तैयार होने का नियम बनाया गया है. वहीं जब ग्राम्य विकास आयुक्त ने इसकी रिपोर्ट मांगी तो महकमे में खलबली मच गई और आनन-फानन में अधूरे पड़े आवासों की लिस्ट तैयार की जाने लगी. मुख्य विकास अधिकारी प्रभास कुमार की मानें तो तीन सौ के आसपास आवास ऐसे हैं जो अभी अधूरे हैं जिनको जल्द ही पूरा करा दिया जाएगा.
अधिकारियों की लापरवाही है वजह
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को छत मुहैया कराने की जिम्मेदारी डीआरडीए और विकास विभाग को दी गई थी. तीन माह के भीतर चयनित लाभार्थियों का आवास पूरा कराने का लक्ष्य दिया गया था लेकिन पिछले पांच सालों के आंकड़ों को देखा जाए तो पांच सौ से अधिक ऐसे प्रधानमंत्री आवास योजना वाले घर अधूरे पड़े हैं जिनको समय रहते ही पूरा कर दिया जाना चाहिए था. विभागीय अधिकारियों की लापरवाही और उदासीनता के चलते अभी भी ढेर सारे आवास ऐसे हैं जो अधूरे पड़े हैं. शहरी क्षेत्र के बस्तेपुर, छजला पुर, देवानंदपुर सहित ग्रामीण क्षेत्रों के अधूरे पड़े आवास इसके उदाहरण हैं.
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पीएम-सीएम के सपने को लगा रहे पलीता
डिस्ट्रिक्ट रूरल डेवलपमेंट अथॉरिटी और विकास विभाग में प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर जबरदस्त गड़बड़झाला चल रहा है. प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के हर गरीब के सिर पर छत होने के सपने को रायबरेली का विकास विभाग पलीता लगा रहा है. यही कारण है कि तीन माह में बन जाने वाले प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर अभी भी अधूरे पड़े हैं. जैसे ही ग्राम्य विकास आयुक्त ने अधूरे पड़े आवासों की सूची मांगी तब विभाग के अधिकारियों की नींद टूटी और आनन-फानन में लिस्टिंग करना शुरू कर दिए. अधूरे पड़े आवासों का पूरा ना हो पाना कहीं ना कहीं कमीशन खोरी की भेंट चढ़ जाना माना जा रहा है. अगर जांच कराई जाए तो इसमें कई ऐसे अधिकारी और कर्मचारी मिलेंगे जो इस खेल में संलिप्त पाए जाएंगे.
मुख्य विकास अधिकारी ने क्या कहा
मुख्य विकास अधिकारी प्रभास कुमार का कहना है कि, जनपद रायबरेली में प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 2020-21 में 20,383 आवासों का लक्ष्य दिया गया था. हम लोगों ने 99% आवास पूरे कर लिए हैं. 155 आवास अभी ऐसे हैं (2020/21 के सापेक्ष) जो अभी पूरे नहीं हो पाए हैं. इसके अलावा अगर वर्ष 21 और 22 की बात करें तो 11,796 था इसके सापेक्ष 98% बल्कि दो पर्सेंट ही आवास अभी अधूरे हैं. 263 की संख्या अभी ऐसी है कि कंप्लीशन की स्टेज पर हैं, जो अभी कंप्लीट नहीं हो पाए हैं.
मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि, कुल मिलाकर पिछले दो वर्षों में देखें तो लगभग तीन सौ से 350 आवास अभी ऐसे हैं जो कंप्लीट नहीं हो पाए हैं. इनके कई कारण हैं जैसे कुछ लोगों के पास जमीन उपलब्ध नहीं हो पाई है तो उसके लिए पट्टा दिलाने का काम किया जा रहा है. कुछ लोग मृतक हो गए हैं या कुछ लोग बाहर चले गए हैं इसलिए उनका आवास समय से पूरा नहीं हो पाता है. हम लोग प्रतिदिन कोशिश कर रहे हैं. पिछले एक महीने के अंदर अधूरे आवास पर काफी तेजी से काम किया गया है. अगले एक महीने के भीतर जो आवास अधूरे पड़े हैं उनको पूरा करा दिया जाएगा.