LOP Rahul Gandhi: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपने पूर्व अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के रायबरेली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद राहुल गांधी से आग्रह किया था कि वह निचले सदन में नेता प्रतिपक्ष का जिम्मा संभालें. इस पर राहुल गांधी ने कांग्रेस कार्यसमिति में कहा था कि वह इस पर विचार करेंगे. अब मंगलवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ऐलान किया कि राहुल गांधी ही नेता प्रतिपक्ष होंगे. लोकसभा में अगर किसी दल को कुल सीटों का 10 फीसदी या उससे ज्यादा हासिल होता है तो वह विपक्षी दल का दर्जा हासिल करता है. साल 2014 के बाद पहली बार कांग्रेस को लोकसभा में विपक्ष का दर्जा मिलेगा. साल 2014 में कांग्रेस को 44 और साल 2019 में 52 सीटें मिलीं थीं. 


लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के लिए राहुल गांधी के नाम की चर्चा होने के बाद यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अपनी मां सोनिया गांधी के रास्ते पर चलेंगे? संभव है कि इंडिया अलायंस को भविष्य में भी मजबूत और आक्रामक बनाए रखने के लिए राहुल संसद में अपने सहयोगी और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को भी अहम जिम्मेदारी दे सकते हैं.


क्या किया था सोनिया गांधी ने?
साल 1999 में जब सोनिया गांधी ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का जिम्मा संभाला तब उन्होंने कई कमेटियां बनाई थीं. सोनिया ने मनमोहन सिंह, अर्जुन सिंह, सलमान खुर्शीद, प्रणब मुखर्जी, मणि शंकर अय्यर, आनंद शर्मा, पृथ्वीराज चव्हाण, जयराम रमेश, सुरिंदर सिंह सिंगला, नटवर सिंह, मार्ग्रेट अल्वा, सुखबंस कौर भिंडर, राजेश पायलट, बलराम जाखड़, एसएस सुरजेवाला, पीसी चाको, को अलग-अलग मंत्रालयों के काम-काज देखने और लोकसभा सत्र के दौरान जरूरी मुद्दे उठाने की जिम्मेदारी दी थी.


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इससे पहले साल 2014 में भी जब कांग्रेस के इतिहास में सबसे कम सीटें आईं थीं, तब भी पार्टी ने शैडो कैबिनेट सरीखी एक टीम बनाई थी. कांग्रेस ने उस वक्त सरकार के कामकाज पर निगरानी रखने के लिए सात शैडो कैबिनेट कमेटियां बनाई गईं थीं. इसे उस वक्त के कांग्रेस नेता रहे गुलाम नबी आजाद (अब डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष), एके एंटनी, मल्लिकार्जु खरगे (मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष), ज्योतिरादित्य सिंधिया (अब बीजेपी में) आनंद शर्मा, राजीव साटव, अजीत जोगी, कमलनाथ और श्रीप्रकाश जयसवाल अलग-अलग विभागों और मंत्रालयों का काम की निगरानी में लगे थे. 


INDIA अलायंस को भी करें शामिल- राशिद किदवई
इस मामले पर एबीपी लाइव ने राजनीतिक विश्लेषक राशिद किदवई से बात की. शैडो कैबिनेट के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा बिल्कुल होना चाहिए ताकि सरकार के काम काज पर निगरानी रखी जा सके. कांग्रेस के पास शशि थरूर, मनीष तिवारी सरीखे चेहरे हैं जो विदेश, वित्त और कानून जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों के कामकाज की निगरानी कर सकते हैं.


किदवई ने कहा कि मेरी एक सलाह है कि राहुल अगर शैडो कैबिनेट की योजना पर काम करते हैं तो उन्हें इसमें सिर्फ कांग्रेस नहीं बल्कि INDIA अलायंस के अलग-अलग दलों को इसमें शामिल करना चाहिए. सपा, एनसीपी, शिवसेना यूबीटी समेत अन्य सहयोगियों को इंफ्रा, रेलवे और आम जन से जुड़े दूसरे मंत्रालयों के कामकाज की निगरानी का काम सौंपकर वह न सिर्फ सरकार से बेहतर सवाल करने में सक्षम होंगे बल्कि उनका गठबंधन भी कई मायनों में निखरेगा.