नई दिल्ली, एबीपी गंगा। लोकसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के गरीबों को 72 हजार वाली न्याय योजना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्रवाद का मुद्दा हावी रहा। चुनावी रैलियों के दौरान राहुल गांधी ने गरीबों को 72 हजार रुपये सालाना देने का जमकर प्रचार किया। कांग्रेस का नारा भी था, गरीबी पर वार, 72 हजार। हालांकि, नरेंद्र मोदी का राष्ट्रवाद का मुद्दा जनता को अपनी तरफ खींचने में कायमब रहा। 23 मई की सुबह जब वोटों की गिनती शुरू हुई तो इसका असर भी देखने को मिला। मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद और बालाकोट एयर स्ट्राइक का मुद्दा खूब उठाया। एक आध राज्य को छोड़कर ज्यादातर राज्यों की जनता ने बीजेपी पर जमकर वोट लुटाए। भाजपा ने गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में क्लीन स्वीप भी किया। वहीं, पश्चिम बंगाल में भाजपा की सीटें बढ़कर 2 से 18 पहुंच गई।
एनडीए शासित राज्यों में चार सीटों का फायदा
एनडीए शासित 16 राज्यों में राजग इस बार 216 सीटें जीतने में कामयाब रहा। जो पिछली बार से चार सीटें ज्यादा हैं। वहीं, इन राज्यों में यूपीए 26 से 15 सीटें पर आ गई। यूपीए को 11 सीटों का नुकसान हुआ।
यूपीए को अपने ही राज्यों में नुकसान
न्याय योजना का असर यूपीए शासित राज्यों में भी देखने को नहीं मिला। इन राज्यों की 107 सीटों में से कांग्रेस और उसके सहयोगियों के हिस्से महज 14 सीटें आईं। 2014 में यह आंकड़ा 16 था। इन राज्यों में पिछली बार एनडीए को 86 सीटें मिलीं थीं। इस बार उसे 6 सीटों का और फायदा हुआ।
गैर भाजपा-कांग्रेस शासित राज्यों में न्याय योजना का असर!
गैर भाजपा-कांग्रेस शासित 9 राज्यों में राहुल गांधी की न्याय योजना का असर देखने को मिला। इन राज्यों की कुल 178 सीटों में से भाजपा की सीटें बढ़कर 42 सीटें हो गई तो वहीं यूपीए का आंकड़ा 18 से बढ़कर सीधा 58 हो गया।