उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और प्रतापगढ़ के कुंडा से बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया किसी परिचय के मोहताज नही है.लेकिन इस बार राजा भैया अपने पारिवारिक कारणों को लेकर सुर्खियों में आ गए हैं.


दरअसल सोशल मीडिया पर उनका अपनी पत्नी भानवी को भेजा गया तलाक का नोटिस जमकर वायरल हो रहा है. राजा भैया ने अपनी पत्नी भानवी को तलाक देने के लिए दिल्ली की साकेत कोर्ट में डिवोर्स पिटीशन भी दायर की है. जिसपर आज यानी 10 अप्रैल को सुनवाई होने वाली थी लेकिन अब 23 मई तक के लिए टल गई है.


इन दोनों की शादी साल 1995 में हुई थी. अब दोनों के बीच का 28 साल का रिश्ता टूटने की खबर आ रही है. इस कथित सूचना पर प्रतापगढ़ में भी लोग हैरानी जता रहे हैं. हालांकि यह पहली बार नहीं है जब देश के राजपरिवारों का विवाद सुर्खियों में रहा है. कभी पती-पत्नी तो कभी बाप-बेटे को लेकर कई राजपरिवार सुर्खियों में आते रहे हैं.


भरतपुर में पूर्व राजपरिवार का विवाद


साल 2021 के अगस्त महीने में राजस्थान में भरतपुर के पूर्व राजपरिवार में चल रहा आपसी कलह पुलिस तक पहुंच गया था. दरअसल भरतपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य और कांग्रेस विधायक विश्वेंद्र सिंह के बेटे अनिरुद्ध सिंह ने अपने पिता के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवा कर खुद की सुरक्षा की मांग की थी.  


बेटे अनिरुद्ध ने कहा था कि उनके पिता से उनके जान को खतरा है. अनिरुद्ध ने शिकायत में आरोप लगाया कि विश्वेंद्र सिंह के निकटस्थ लोग उसे जान से मारने की धमकी दे रहे हैं. उन्होंने पुलिस से पूरे मामले में सुरक्षा की मांग की थी.


इसके अलावा उन्होंने ट्वीट कर अपने पिता पर गंभीर आरोप लगाए थे. अनिरुद्ध ने ट्वीट करते हुए कहा,'मैं अपने पिता से पिछले 6 सप्ताह से संपर्क में नहीं हूं. उनसे मेरे संबंध ठीक नहीं है क्योंकि मेरे पिता मेरी मां के प्रति हिंसक हो गये हैं. वह कर्ज और शराब में डूब गए हैं. इतना ही नहीं उन्होंने मेरे उन मित्रों को भी नुकसान पहुंचाया है, जो मेरा साथ देते थे, आखिर एक ही राजनीति की दो विचारधारा कैसे हो सकती है.'


दरअसल भरतपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य और कांग्रेस विधायक विश्वेंद्र सिंह का उनकी पत्नी दिव्या सिंह और बेटे अनिरुद्ध सिंह के साथ लगभग डेढ़ महीने तक विवाद चला था. पिता- पुत्र के बीच यह विवाद संपत्ति को लेकर हो रहा था.


जयपुर के राजपरिवार में विवाद 


राजस्थान की राजधानी जयपुर का पूर्व राजपरिवार संपत्ति विवाद को लेकर कई बार चर्चा में रहा है. इस परिवार की तरफ से शहर के बनीपार्क पुलिस थाने में मुकदमा भी दर्ज कराया जा चुका है. आरोप है कि पूर्व राजपरिवार की 100 करोड़ की संपत्ति को नकली दस्तावेज बनाकर 20 करोड़ रुपये में बेच दिया गया. 


इसके अलावा इस राजघराने में प्रॉपर्टी को लेकर करीब ढाई दशक से विवाद चल रहा है. जिसका फैसला दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट की मध्यस्थता से हुआ. जमीन को लेकर शुरू हुए इस विवाद की शुरुआत लगभग 24 साल पहले हुई थी. जयपुर राजघराने में साल 1997 में जगत सिंह की मौत के बाद संपत्ति को लेकर यह विवाद शुरू हुआ था. 


दरअसल पूर्व महाराजा मानसिंह ने मरने से पहले अपनी पूरी संपत्ति महारानी गायत्री देवी के इकलौते बेटे जगत सिंह को सौंप दी थी. वहीं जगत सिंह की मौत के बाद प्रॉपर्टी विवाद को लेकर लगभग 24 साल से यह मामला अदालतों में चलता रहा.


देवास राजपरिवार का संपत्ति विवाद


मध्य प्रदेश का देवास राजपरिवार भी संपत्ति बंटवारे को लेकर चर्चा में आ चुका है. दरअसल साल 2021 में देवास राजघराना अलग अलग शहरों से जुड़े लगभग 1239 करोड़ रुपए की संपत्ति बंटवारे के विवाद को लेकर हाई कोर्ट पहुंच गया था. 


दरअसल पूर्व मंत्री स्व. तुकोजीराव पंवार की बहन शैलजा राजे पंवार ने देवास जिला कोर्ट में केस दायर कर परिवार की संपत्ति में हिस्सा मांगा था. 


मेवाड़ राजपरिवार में विवाद 


राजस्थान के मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार का संपत्ति विवाद कई बार सुर्खियों में आ चुका है. ताजा विवाद साल 2022 के नवंबर महीने में चर्चा में आया था. दरअसल मेवाड़ राज परिवार के पूर्व सदस्य ने G 20 की शिखर सम्मेलन शेरपा बैठक से पहले प्रधानमंत्री मोदी और विदेश मंत्री को एक पत्र लिखा. सिटी पैलेस में आयोजित होने वाले कार्यक्रम को स्थगित करने की मांग की थी.


दरअसल इस पूर्व राजपरिवार में संपत्ति को लेकर पिछले 39 सालों से विवाद चल रहा है. यह पूरा विवाद उदयपुर के सिटी पैलेस से जुड़ी हुई अलग-अलग प्रॉपर्टी पर है. इसमें राजघराने की शाही पैलेस, शंभू निवास, बड़ी पाल और घास घर शामिल है. मिली जानकारी के अनुसार साल 1955 से 1983 तक मेवाड़ राजघराने की सारी संपत्ति भगवत सिंह के पास रही. भगवत सिंह के दो बेटे महेंद्र सिंह और अरविंद सिंह, एक बेटी योगेक्षरी है. इन भाई बहनों में ही अलग-अलग संपत्तियों को लेकर विवाद चलता रहा है.  


काशी राजघराने में विवाद


काशी राजघराने में भाई बहन का आपसी विवाद काफी सुर्खियों में रहा है. दरअसल काशी स्टेट का प्रतीक चिह्न छापे जाने को लेकर भाई और बहन कई बार आमने- सामने आ चुके हैं. साल 2018 में काशी राजपरिवार के अनंत नारायण सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये तक कहा दिया का कि विवाह के बाद पुत्रियों का पिता के घर रहना कैसी परंपरा है.


उन्होंने पिता मीडिया में यहां तक कह दिया था कि बेटियों का विवाह संपन्न परिवार में करने के साथ ही उनके अलग-अलग रहने की अच्छी व्यवस्था भी की गई है. इसलिए बहनों को किले से बाहर चले जाना चाहिए. दरअसल ये पूरा विवाद पिता की मृत्यु के बाद राजपरिवार की संपत्ति से जुड़ा हुआ था. काशी राजपरिवार के अनंत नारायण सिंह ने अपनी बहनों पर आरोप लगाया था कि बहनों की नजर उनकी संपत्ति पर है. जिसके कारण उन्हें बार-बार परेशान किया जा रहा है.


कौन हैं राजा भैया, जिनका तलाक सुर्खियों में है


राजा भैया का जन्म 31 अक्टूबर 1967 को कोलकाता में हुआ था. उनके पिता प्रतापगढ़ की भदरी रियासत के उत्तराधिकारी थे.  राजा भैया के पिता का कद प्रतापगढ़ में काफी ऊंचा रहा और वो हमेशा चर्चा में रहे. ठीक इसी तरह उनके बेटे यानी राजा भैया को आज भी उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ की जनता कुंवर रघुराज प्रताप सिंह बुलाती है और अपना राजा मानकर पूजती है.


राजा भैया का पूरा नाम रघुराम प्रताप सिंह है लेकिन राजनीति में उन्हें राजा भैया के नाम से जाना जाता है. वह विधानसभा क्षेत्र कुंडा से एक स्वतंत्र विधायक हैं. उनके राजनैतिक जीवन की शुरुआत साल 1993 में हुई थी. इस साल उन्होंने फैसला किया था कि वह प्रतापगढ़ की कुंडा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे. उस वक्त कुंडा सीट पर कांग्रेस के नियाज हसन का दबदबा था. नियाज कुंडा वहीं नेता हैं जिन्होंने इस सीट पर पांच बार जीत दर्ज की थे, लेकिन राजा भैया ने अकेले न सिर्फ नियाज को चुनौती दी बल्की जीत भी दर्ज की.


साल 1996 के विधानसभा चुनाव में राजा भैया बीजेपी समर्थित उम्मीदवार के रूप में अपनी जीत दर्ज कि तो वहीं साल 2002, 2007 और 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के समर्थन से जीते.  


साल 2017 में कुंडा विधानसभा सीट पर हुए चुनाव में राजा भैया लगातार सातवीं बार विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए. निर्दलीय उम्मीदवारी पर मैदान में उतरे राजा भैया ने साल 2017 के चुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बीजेपी प्रत्याशी जानकी शरण पांडेय को एक लाख से अधिक वोट के बड़े अंतर से हरा दिया.


उस वक्त राजा भैया को 1,36,223 वोट मिले थे. वहीं दूसरी तरफ जानकी शरण पांडेय केवल 32870 वोट पर ही सिमट गए थे. बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार परवेज अख्तर 17176 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे.


राजा भैया अपनी दबंगई के लिए भी हमेशा चर्चा में रहे हैं. कुंडा से लगातार पांच बार निर्दलीय विधायक चुने गए राजा भैया पर अब तक आठ मुकदमे दर्ज हैं, इसमें हत्या की कोशिश, डकैती-चोरी-चकारी, लूट-पाट, बलवा, मारपीट, शांति भंग करना, दंगा करवाने की मंशा जैसे मामले शामिल हैं.


पत्नी भी रखती हैं राजघराने से संबंध


भदरी रियासत के राजा रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की पत्नी भानवी भी बस्ती के राजघराने से संबंध रखती हैं. राजनीति में भले ही राजा भैया की पकड़ हो लेकिन कारोबार में उनकी पत्नी यानी भानवी की अच्छी-खासी उपस्थिति है.


बस्ती राजघराने के कुंवर रवि प्रताप सिंह की तीसरी बेटी भानवी सिंह ने लखनऊ में अपनी पढ़ाई की है. उनका जन्म 10 जुलाई 1974 को जन्म हुआ था और साल 1995 में रघुराज प्रताप सिंह से उनकी शादी हुई. दोनों के चार बच्चे हैं, जिनमें दो बेटे शिवराज प्रताप सिंह, बृजराज प्रताप सिंह और दो बेटियां राघवी और बृजेश्वरी सिंह हैं.


कहा जाता है कि भले ही राजा भैया को प्रतापगढ़ के लोक आज भी राजकुमार मानते हैं लेकिन उनकी पत्नी भानवी सिंह के पास उनसे ज्यादा संपत्ति है. साल 2017 में चुनाव में दौरान रघुराज प्रताप सिंह ने अपने हलफनामे में बताया था कि उनके पास कुल 14 करोड़ की संपत्ति है. जिसमें से उनकी पत्नी के नाम 7.2 करोड़ की संपत्ति थी जबकि 6 करोड़ की संपत्ति राजा भैया के नाम थी.