UP Politics: राजस्थान में सियासी ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो रविवार यानी 3 दिसंबर को पता चलेगा लेकिन जयंत चौधरी और उनकी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल के लिए अब अहम पड़ाव है. राजस्थान के चुनावी रण की सियासी हवा का असर, पश्चिमी यूपी का राजनीतिक दशा और दिशा तय करेगा. माना जा रहा है कि राजस्थान की जनता के फैसले के आधार पर जयंत चौधरी, कोई बड़ा फैसला कर सकते हैं.


राजस्थान चुनाव में गुर्जर, जाट और दलितों की अहम भूमिका रही है. पश्चिमी यूपी में भी इन्हीं तीन का काफी असर है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राजस्थान विधानसभा चुनाव से न सिर्फ जयंत बल्कि चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी पर भी असर पड़ेगा और वह आगामी लोकसभा चुनाव के लिए नई सिरे से तैयारी करते दिख सकते हैं.


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एग्जिट पोल्स में आए ये परिणाम
यूं तो जयंत चौधरी केंद्र सरकार पर हमलावर रहे हैं लेकिन कांग्रेस से सीटों के मुद्दे पर वह उस तरह से मुखर नहीं हुए जिस तरह सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एमपी में अपने तेवर दिखाए थे. माना जा रहा है कि यूपी में लोकसभआ चुनाव के दौरान जयंत, राजनीति के नए रास्ते पर चल सकते हैं जो कांग्रेस और सपा दोनों से अलग होगी. हाालंकि अभी तस्वीर साफ नहीं है. जयंत कई मौकों पर पहले भी कह चुके हैं वह गठबंधन नहीं छोड़ेंगे. राजस्थान की 200 में से एक विधानसभा सीट भरतपुर पर चुनाव लड़ने वाली रालोद के प्रदर्शन पर सब कुछ निर्भर है.


दीगर है कि बीते 25 नवंबर को राजस्थान में 199 सीटों के लिए मतदान किए गए और अब 3 दिसंबर को मतगणना का इंतजार है. अब तक सामने आए चार एग्जिट पोल में से सभी में BJP को बढ़त बताई जा रही है. वहीं, सत्तारूढ़ कांग्रेस 60 से 90 सीट पर सिमटती नजर आ रही है. ‘पोल ऑफ पोल्स’ में BJP को 112 सीट, कांग्रेस को 77 सीट और अन्य को छह सीट मिलने की बारे में बताया गया है.