Ayodhya Ram Temple: अयोध्या में बनने वाले श्री राम जन्मभूमि मंदिर कितना अलौकिक होगा, यह मंदिर में लगने वाले पत्थरों को देखकर ही पता चलता है. इस मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण पत्थरों पर उकेरी जाने वाली नक्काशी होगी. दक्षिण भारत की नागर शैली पद्धति से पत्थरों पर की जाने वाली नक्काशी अपने आप में अभूतपूर्व होगी. इसके लिए खास तौर पर राजस्थान के बंशी पहाड़पुर के पत्थरों का उपयोग किया जा रहा है. 1000 से 1200 वर्ष की आयु क्षमता वाले यह पत्थर कच्चे और अपेक्षाकृत मुलायम होते हैं, जिसके कारण इस पर महीन से महीने नक्काशी आसानी से की जा सकती है. 


राजस्थान से आए पत्थरों होते हैं सॉफ्ट


कारीगरों को नक्काशी के दौरान डिजाइन उभारने में ना तो कोई समस्या आती है और ना ही कलाकृति को उभारने में इसके विकृत होने का खतरा होता है. जबकि मिर्जापुर के पत्थर कठोर होते हैं और इस पर महीन नक्काशी करना बहुत मुश्किल होता है. इसीलिए मिर्जापुर के पत्थरों का मंदिर की बुनियाद स्ट्रक्चर में तो प्रयोग होगा लेकिन जमीन की सतह के ऊपर दिखाई देने वाला मंदिर राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से आए पत्थरों से तैयार होगा.


लगभग 300 फिट लंबा 255 फिट चौड़ा और 161 फिट ऊंचाई वाला यह मंदिर बाहर से 3 मंजिल दिखाई देगा जिसमे नीचे गर्भगृह होगा तो ऊपर राम दरबार इसीलिए विश्व हिंदू परिषद के जुड़े लोग इस बात का दावा करते नहीं थक रहे हैं कि, जब अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर बनकर तैयार होगा तो उसकी औलोकिकता को देखने पूरी दुनिया से लोग अयोध्या पहुंचेगे जिसमे इसकी अभूतपूर्व नक्काशी इसको और अधिक दर्शनीय बना देगी.


बंसी पहाड़पुर की खदानों से आए पिंक सेंड स्टोन कच्चे और लंबी आवश्यक सुरक्षित रहने वाले पत्थर हैं. कच्चे पत्थर होने के कारण आसानी से इन पत्थरों पर नक्काशी आसानी से की जा सकती है. राम जन्मभूमि परिसर के गर्भ गृह में इन्हीं पत्थरों का इस्तेमाल किया जाना है. 


नागर शैली की नक्काशी


रामलला के मंदिर के मुख्य गेट का मॉडल देखने योग्य है. संपूर्ण मंदिर नागर शैली की नक्काशी के पत्थरों पर आधारित है. राजस्थान के बंसी पहाड़पुर के पिंक स्टोन पर नागर शैली में नक्काशी की गई है. आशीर्वाद मुद्रा में देवी की प्रतिमा मुख्य गेट के स्तंभ पर बनी है. साथ ही सनातन धर्म से जुड़ी हुई शिखर भी इसी एक ही सिला में प्रदर्शित दिखेंगे. सनातन धर्म से जुड़ी हुई मान्यताएं जैसे कि तेज का प्रतीक सिंह भगवान के चिन्ह के तौर पर शंख और वैभव के प्रतीक गज का उल्लेख भी मुख्य गेट पर एक ही सिला में प्रदर्शित मिलेगा.


पांच शिखर पर मंदिर होगा स्थापित


रामलला के मंदिर निर्माण में और भव्यता देने के लिए बदलाव किया गया. पहले जहां चार गुंबद पर रामलला का भव्य मंदिर बनना था तो वही संतों और धर्मआचार्यों की भव्य मंदिर की मांग पर अब 5 शिखर पर मंदिर स्थापित होगा, तो जाहिर सी बात है कि, पूर्व में जो पत्थर तराश कर के रखे गए थे वह पत्थर अब कम पड़ेंगे. पहले 2 लाख 60 हजार घनफुट पत्थरों की आवश्यकता थी और मान्यता थी कि प्रथम तल के सभी पत्थर तराश कर रख लिए गए हैं. अब शिखर बढ़ने के बाद 3 लाख 60 हजार घनफुट पत्थरों की आवश्यकता है और लगभग एक लाख फुट मंदिर के पत्थर पर नक्काशी करके सुरक्षित रख लिया गया है. इन पत्थरों की सफाई भी की जा चुकी है. शेष पत्थरों की तराशी राम जन्म भूमि की कार्यशाला में ही किया जाएगा. बंसी पहाड़पुर से पत्थर सीधे राम जन्मभूमि परिसर में ही आएंगे इन पत्थरों पर तराशी के लिए जल्द ही राजस्थान से मजदूर भी आने वाले हैं.


मंदिर की दीवारों पर प्रदर्शित कलाकृतियां लोगों के आकर्षण का केंद्र हैं. राम जन्मभूमि श्रद्धालु दर्शन करने के बाद जब मंदिर का अवलोकन करेंगे तो उन्हें रामलला के भव्य मंदिर की दीवारों पर बनी हुई कलाकृतियां भी अपनी तरफ सम्मोहित करेगी. तमाम महीन का राजस्थान के पिंक स्टोन पत्थरों पर किए जा रहे हैं कहीं पर फूल तो कहीं पर चक्र तो कहीं पर आमलक इन तमाम चीजों का प्रदर्शन शिलाओं पर मिलेगा, जो राम भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बनेगा.


पिछले दिनों राम जन्मभूमि परिसर में मंदिर निर्माण समिति की एक अहम बैठक हुई थी. जिसमें 2023 तक रामलला के गर्भ गृह को बनकर तैयार किए जाने की स्थिति श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने स्पष्ट की थी और चंपत राय ने कहा था कि 2025 तक संपूर्ण 70 एकड़ जो राम जन्म का परिसर है उसको विकसित किया जाएगा.


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