बॉलीवुड में राजेंद्र कुमार का जब-जब नाम लिया जाता है तब-तब उनके गीतों और फिल्मों को याद किया जाता है। फिल्म इंडस्ट्री में राजेंद्र कुमार ने कई सुपरहिट फिल्में दी हैं। गीतकार राजेन्द्र कृष्ण की मदद से 150 रुपए की तनख्वाह पर डायरेक्टर एचएस रवैल के सहायक के तौर पर भी राजेंद्र कुमार ने काम किया। राजेंद्र को फिल्मों में काम तो मिल गया था, लेकिन इसके बाद भी पहचान बनाने में उन्हें सात साल लग गए।
साल 1963 में आई फिल्म ‘मेरे महबूब’ सुपरहिट हुई और फिर राजेन्द्र कुमार का सिक्का चल पड़ा। रामानंद सागर ‘आरजू’ फिल्म बनाने जा रहे थे। इसमें उन्होंने बतौर हीरो राजेंद्र कुमार को साइन कर लिया था, लेकिन वो चाहते थे कि फिल्म में हीरोइन साधना ही हों, क्योंकि उन दिनों साधना का किसी भी फिल्म में होना सफलता की गारंटी माना जाता था पर वे राजेंद्र कुमार से ज्यादा फीस मांग रही थीं।
जब राजेंद्र कुमार को ये बात पता चली तो उन्होंने रामानंद सागर से कहा कि मैं आधी फीस में भी काम कर लूंगा आप साधना की डिमांड पूरी कर दें। रामानंद सागर ने राजेंद्र कुमार का ये अहसान उतारने के लिए दिल्ली टेरिटरी की आमदनी उनके नाम कर दी। इस तरह राजेंद्र कुमार को अपनी फीस से कई गुना ज्यादा पैसे मिल गए।
राजेंद्र कुमार शादीशुदा और तीन बच्चों के पिता थे। उन दिनों सायरा बानो के साथ उनकी ‘आई मिलन की बेला’, ‘झुक गया आसमान’ और ‘अमन’ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में आईं। दोनों की जोड़ी दर्शकों को खूब पसंद आ रही थी। दोनों का अफेयर भी चर्चा में रहा। कहा तो ये भी जाता है कि राजेंद्र और सायरा एक दूसरे से शादी करना चाहते थे।
राजेंद्र कुमार जब मुंबई हीरो बनने आए थे, तो बांद्रा स्टेशन के पास ही एक पुरानी बिल्डिंग में एक गेस्ट हाउस में ठहरे थे। जिसका नाम था बॉम्बे गेस्ट हाउस। इसमें धर्मेंद्र से लेकर राज कुमार जैसे लोग आकर रुके थे। राजेंद्र भी यहीं रुके और फिर बड़े स्टार बन गए।
राजेंद्र कुमार ने 80 से ज्यादा फिल्मों में काम किया और उनमे से 35 फिल्में जुबली हिट रहीं। राजेंद्र कुमार को सामाजिक कार्यों के लिए लाल बहादुर शास्त्री नेशनल अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था। साल 1969 में राजेंद्र कुमार को पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया।