केंद्रीय गृहमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह ने राष्ट्रवाद, पुलवामा, बालाकोट एयर स्ट्राइक, कश्मीर समस्या से लेकर लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे वरिष्ठ नेताओं को चुनावी राजनीति से विराम देने समेत तमाम मुद्दों पर बेबाकी से बात रखी। राजनाथ सिंह ने एबीपी गंगा के संपादक राजकिशोर के तीखे सवालों के स्पष्ट जवाब दिए। नीचे पढ़िए राजनाथ सिंह के साथ हुए सवाल-जवाब का पूरा सिलसिला।


राजकिशोरः पिछली बार आप राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, यूपी से तब पार्टी 73 सीटें जीतकर आई थी, इस बार क्या अनुमान है?
राजनाथ सिंहः इस बार भी टारगेट हमारा यही है कि 73 से कम नहीं होनी चाहिए बल्कि 73 में एक प्लस (जुड़) जाए कोशिश हमारी यही है।


राजकिशोरः लेकिन पहले चरण के जो रुझान आ रहे हैं, 8 की 8 सीटों आपके पास पिछली बार थी, उससे बहुत अच्छे संकेत नहीं मिल रहे हैं? 
राजनाथ सिंहः जो रुझान आ रहे हैं वो पूरी तरह से स्पष्ट हैं। उनमें संदेश करने की कोई गुंजाइश नहीं है। मैं बहुत ही आश्वस्त हूं कि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी बहुत ही अच्छा परफॉर्म करेगी। हमारा प्रयत्न यही है कि जो पिछली बार 73 सीटें हमको मिली थी, उससे किसी भी सूरत में कम न हों।


राजकिशोरः ये ज्यादा आशावाद तो नहीं है?, क्योंकि पिछली बार आपके सामने कोई गठबंधन नहीं था। इस बार आपके सामने महागठबंधन है और सपा-बसपा का गठबंधन पहले भी भाजपा को पूरी तरह परास्त कर चुका है ?
राजनाथ सिंहः देखिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन का जहां तक प्रश्न है। वोट हासिल करने के लिए किसी भी राजनीतिक दल अथवा गठबंधन की विश्वसनीयता चाहिए। एक तो वैसे ही सपा और बसपा, दोनों राजनीतिक पार्टियों के समक्ष, अलग-अलग... हाल-फिलहाल विश्वास का संकट... जनसामान्य में उनके प्रति पैदा हुआ था। दोनों के गठबंधन के बाद लोग मान रहे हैं कि यह बिल्कुल अस्वाभाविक है, यह केवल कुछ समय के लिए है... यह केवल भारतीय जनता पार्टी सत्ता में न आने पाए.. मोदी किसी भी सूरत में भारत के प्रधानमंत्री न बनने पाएं.. मोदी रोको..एक इस नेगेटिव अप्रोच के तहत यह एलायंस हुआ है। इस एलायंस की भी कोई विश्वसनीयता जनसामान्य में नहीं है। इसीलिए मैं नहीं मानता कि इन दोनों के जो वोट बैंक हैं, थोड़े बहुत जो बचे हैं..वे एक-दूसरे को पूरी तरह से ट्रांसफर हो पाएंगे।


राजकिशोरः लेकिन राजनाथ जी, उत्तर प्रदेश.. कितना भी आप कहिए, वो जातिवाद के मकड़जाल से पूरी तरह उभर नहीं पाता है। जाति और धार्मिक समीकरण हैं, वो पूरी तरह से सपा-बसपा के पक्ष में जाते दिखाई पड़ते हैं..और इससे पहले भी ऐसे नतीजे आ चुके हैं.. तो इतने भरोसे की आपकी वजह ? क्योंकि 2014 जैसी कोई लहर भी दिखाई नहीं पड़ रही है। और पांच साल का आपकी केंद्रीय सरकार की सत्ता विरोधी लहर है और दो साल आपको उत्तर प्रदेश में भी हो चुके हैं। तो आपको लगता नहीं कि ये सारे फैक्टर मिलकर आपकी चुनौती बहुत ज्यादा बढ़ा रहे हैं?
राजनाथ सिंहः मैं ऐसा नहीं मानता कि 2014 की अपेक्षा हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी की लोकप्रियता में कोई कमी आई है। मैं ये मानता हूं कि विगत पांच वर्षों के अंदर हमारे प्रधानमंत्री के प्रति जन सामान्य की विश्वनीयता और भरोसा बढ़ा है। जहां तक लहर का प्रश्न है, चूंकि पहली बार वह नए थे और कोई नया फिगर आता है तो बहुत नैचुरल की बहुत तरह-तरह की क्यूरिओसिटी रहती है। अब लोग देख चुके हैं.. लोगों का भरोसा है.. लोग आश्वस्त हैं अब इनके प्रति। इसीलिए कोई बहुत ज्यादा हलचल नहीं दिखाई दे रही है। समर्थन पहले की अपेक्षा बढ़ा है। इसीलिए मैं आश्वस्त हूं कि हमारी नंबर ऑफ सीट्स (सीटों की संख्या) पिछली बार की अपेक्षा घटने नहीं पाएंगी।


राजकिशोरः अभी एक और फैक्टर जुड़ गया है, उत्तर प्रदेश की सियासत में.. कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा बनकर आ गई हैं। प्रियंका गांधी वाड्रा को पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान दी गई है। जो आपके क्षेत्र से भी जुड़ा हुआ है और वहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चुनाव लड़ रहे हैं। चर्चा ये भी है कि प्रियंका गांधी उनके सामने भी चुनाव लड़ सकती हैं। कितनी बड़ी चुनौती है ?
राजनाथ सिंहः नहीं, नहीं कोई बड़ी चुनौती नहीं है। कोई राजनीति में आना चाहता है.. राजनीति में आए, अपना काम करे उसका स्वागत है। उसको लेकर कोई परेशानी है किसी को, मैं ऐसा नहीं मानता। बहुत सारे लोग राजनीति में आते हैं.. प्रियंका जी भी राजनीति में आई हैं। राजनीति में काम करना चाहती हैं, राजनीति में काम करें.. इस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं है।


राजकिशोरः नहीं आपत्ति तो नहीं है लेकिन प्रियंका गांधी के बारे में कहा जाता है कि राहुल गांधी शायद वो इंपैक्ट नहीं पैदा कर पाए लेकिन प्रियंका गांधी के आने के बाद से कांग्रेस में एक थोड़ी सी अंगड़ाई है.. और आने के बाद जिस तरीके उन्होंने वोट यात्रा और तमाम रोड शो किए हैं. उससे भीड़ भी वहां उमड़ी है.. तो उससे लग ये रहा है कि भाजपा के लिए थोड़ी समस्या हो सकती है?
राजनाथ सिंहः पहली बार ये सब यात्राएं नहीं हो रही हैं.. पहले भी ये यात्राएं हुई थीं और ये सिलसिला लगातार चलता रहता है। लेकिन मैं समझता हूं कि हमारे वोट बैंक को यह प्रभावित कर पाएगा या जनसामान्य को इनकी गतिविधियां प्रभावित कर पाएंगी मुझे नहीं लगता। पहले के कंपैरिज़न में मैं यह अनुभव करता हूं कि जैसे पढ़े लिखे लोगों को संख्या बढ़ती जा रही है.. लोगों के अंदर राजनीतिक जागरुकता भी बढ़ती जा रही है। अब कोई बहुत इधर-उधर की .. आपने देखा होगा ग्लैमर.. अथवा ये .. इन सब सारी चीजों पर लोग मतदान नहीं करते हैं। हो सकता है कि थोड़ा बहुत परसेंट करता हो। मतदान लोग करते हैं कि लीडरशिप किसके पास है, जो भरोसेमंद हो.. जो कुछ कर सकती हो.. और हमारे पास वह लीडरशिप है। जो कर सकती है। कोई छोटी बात नहीं है। साढ़े चार वर्षों के अंदर भारत की साख सारे विश्व में बढ़ जाए। विश्वनीयता सारे विश्व में बढ़ जाए। प्रतिष्ठा सारे विश्व में बढ़ जाए। इंटरनेशन मॉनिटरी फंड जैसी भी एक संस्था कह दे कि इस समय विश्व की सर्वाधिक तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था यदि किसी देश की है तो वह भारत की है। तो ये छोटा अचीवमेंट नहीं है।


राजकिशोरः पर प्रियंका गांधी से जुड़ा हुआ ही मैं सवाल पूछ रहा हूं.. प्रियंका गांधी लगातार आरोप लगा रही हैं..कभी बालाकोट..कभी पुलवामा.. इन सब मुद्दों की आड़ में भाजपा छिप जाती है..और.. जो रोजगार और जनता से जुड़े मुद्दे हैं वहां पर भाजपा पूरी तरह से फ्लॉप हो चुकी है। इसीलिए वो इन मुद्दों की ओट में छिप रही है ?
राजनाथ सिंहः देखिए मुझे आश्चर्य होता है कि कौन से ऐसे आंकड़े हैं जिनके आधार पर उन्हें लगता है कि बीजेपी फ्लॉप कर चुकी है। और मैं विश्वास के साथ कहना चाहता हूं कि आजाद भारत के इतिहास में इस सरकार ने जितने रोजगार के अवसर सृजित किए हैं. या जितने लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है..पांच वर्षों के अंदर किसी के भी कार्यकाल में इतने रोजगार के अवसर न सृजित हुए. न इतना रोजगार लोगों को प्राप्त हुआ है। मैं आपसे पूछना चाहता हूं ... यह सभी स्वीकार करते हैं कि कांग्रेस के शासनकाल में नेशनल हाईवे 12 किलोमीटर प्रतिदिन बनती थी.. लेकिन अब 29 किलोमीटर नेशनल हाईवे प्रतिदिन बन रही है। तो रोजगार के अवसर सृजित होते हैं कि नहीं ?.


राजकिशोरः लेकिन NSSO का जो डाटा आया है?
राजनाथ सिंहः NSSO को छोड़िए जो मैं कह रहा हूं पहले उसका मुझे जवाब चाहिए। दूसरी चीज, लगभग 8 करोड़ से अधिक लोगों ने पहली बार जो है मुद्रा योजना के तहत बैंक लिया है.. काम धाम करने के लिए.. रोजगार करने के लिए.. 8 करोड़ रोजगार न भी करते होंगे तो 4 करोड़ या 5 करोड़ वो सब भी तो अपना रोजगार करते होंगे। इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट अन्य भी बहुत सारे हो रहे हैं। एयरपोर्ट्स का कंट्रक्शन तेजी के साथ चल रहा है. बहुत सारे पोस्ट्स बन रहे हैं.. तेजी के साथ हो रहे हैं।. और भी बहुत सारे बुनियादी ढांचाओं को विकास तेजी के साथ हो रहा है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भी हम काफी आगे जा रहे हैं। एक उदाहरण दूंगा, स्टील के मामले में अभी तक भारत, जो है.. जापान से पीछे था। अब भारत, जापान से आगे निकल गया स्टील प्रोडक्शन में। क्या उसमें जॉब क्रिएट नहीं हुए। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत.. जब कांग्रेस की सरकार थी. उस समय 5 वर्षों में केवल 25 लाख मकान बने.. और हमारे यहां साढ़े चार वर्षों में एक करोड़ तीस लाख मकान बने। तो क्या इसमें रोजगार के अवसर सृजित नहीं हैं। अच्छा मैं सब छोड़ देता हूं .. गरीबी के मामले में भी .जैसे अमेरिका का एक माना-जाना थिंक टैंक है.. इसे कहते हैं ब्रूकिंग इंस्टीट्यूट... उसकी एक रिपोर्ट आई है। आप उसे उठाकर देख लीजिए.. उसने कहा कि 2016 में भयंकर गरीबी के संकट से जूझने वालों की संख्या लगभग साढ़े 12 करोड़ थी.. लेकिन अब जो सर्वे किया.. उसने कहा कि अब साढ़े सात करोड़ से लोग भयंकर गरीबी के संकट से बाहर हो चुके हैं। अब भारत में उनकी संख्या केवल पांच करोड़ रह गई है। ये बताइए, अगर उनको कोई न काम मिला, न रोजगार मिला. न आर्थिक स्थिति में थोड़ा-बहुत इंप्रूवमेंट हुआ तो कैसे बाहर हो गए?, मतलब केवल जनता की आंखों में धूल झोंककर यह कांग्रेस के लोगों ने जनता को ठगा है.. इनका विश्वास हासिल किया है। मेरा मानना है कि राजनीति वही होती है.. जो जनता की आंखों में धूल झोंककर न की जाए बल्कि जनता की आंखों में आंख डालकर राजनीति की जाए।


राजकिशोरः जब इतनी चीजें राजनाथ जी, गिनाने के लिए सरकार के पास हैं तो फिर चुनावी मुद्दों में ये मुद्दा क्यों नहीं बन पा रहा, पूरा जो चुनावी प्रचार है. उसमें बजरंग बली- अली, पुलवामा-बालाकोट, ये सब करने की जरूरत क्यों पड़ रही है। और आपके मुख्यमंत्री जो संवैधानिक पद पर बैठे हुए हैं, उनको माफी मांगनी पड़ती है चुनाव आयोग के समक्ष, तो ये क्यों करना पड़ रहा है, कहीं न कहीं इससे विपक्ष को मौका मिल रहा है वो कह रहा है कि चूंकि बीजेपी के पास कुछ बताने को नहीं है इसीलिए वे इन मुद्दों की आड़ में छिप जाते हैं ?
राजनाथ सिंहः जहां तक भारतीय जनता पार्टी का जहां तक प्रश्न है। मैं दो टूक शब्दों में कहना चाहता हूं, हम जाति, पंथ, मजहब, धर्म के आधार पर भेदभाव पैदा करके देश को चलाना नहीं चाहते। हम सभी को साथ ले करके देश चलाना चाहते हैं। हम इस सच्चाई को समझते हैं। भारत को एक सशक्त भारत बनाना है, स्वावलंबी और स्वाभिमानी भारत बनाना है, समृद्धिशाली भारत यदि बनाना है तो जब तक चाहे हिंदू हो या मुसलमान हो, सिख हो इसाई हो, पारसी हो, जो भी भारतमाता की कोख से पैदा हुए हैं। जब तक हम सबको साथ लेकर नहीं चलेंगे। जब तक हम सभी की भारत को सशक्त भारत बनाने में, कॉन्ट्रीब्यूशन करने की क्षमता पैदा नहीं करेंगे तब तक हम इस लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकते। इसीलिए ये तो कभी हो ही नहीं सकता। और दूसरी चीज, हम भारतीय जनता पार्टी के लोग सांस्कृतिक राष्ट्रवाद में विश्वास करते हैं। भारत की संस्कृति, यही सब देती है। वसुधैव कुटुंबकम, 'The whole world is a family'.


यहां देखें, गृहमंत्री राजनाथ सिंह का पूरा इंटरव्यू



राजकिशोरः जो भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता, आरएसएस का स्वयंसेवक के सब जानते हैं. ये बात संवैधानिक पद पर बैठा हुआ व्यक्ति क्यों नहीं समझ पा रहा?, आपके हाथ में इतने बड़े सूबे की कमान है, उनको चुनाव आयोग के सामने माफी मांगनी पड़ रही है, ये कितना बड़ा एंबेरेसमेंट पार्टी के लिए मानते हैं आप?
राजनाथ सिंहः उस संबंध स्पष्टीकरण उन्होंने दे दिया है, जहां तक मेरी जानकारी है।


राजकिशोरः इसी से जुड़ा हुआ प्रश्न है राजनाथ जी, आपकी पार्टी की बड़ी नेता हैं, सुल्तानपुर लोकसभा से चुनाव लड़ रही हैं.. मेनका गांधी, उनका भी इसी तरीके का एक बयान आया है। तो आपको लगता नहीं है कि पार्टी के जब वरिष्ठ नेता इस तरीके की बयानबाजी करते हैं को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की और वसुधैव कुटुंबकम की बात कर रहे हैं, उसको कहीं न कहीं पीछे छोड़ देते हैं, ये एक नए तरीके की राजनीति सामने आती है। जिससे पार्टी को एंबेरेसमेंट होता है ?
राजनाथ सिंहः नहीं ये सब चीजें से कोई भी हो बचना चाहिए।


राजकिशोरः तो आप इनको कोई संदेश देना चाहेंगे?
राजनाथ सिंहः नहीं, मुझे इनको कोई संदेश देने की जरूरत नहीं है। सब लोग समझदार लोग हैं। किसी को संदेश नहीं देना चाहता।


राजकिशोरः तो जुबान इनकी क्यों फिसल जाती है, हैबिचुअल ऑफेंडर क्यों हो जाते हैं लोग ?
राजनाथ सिंहः होता है, सब व्यक्ति का स्वभाव होता है। कभी-कभी रहते होंगे कोई कारण। कभी आदमी कहना कुछ चाहता है. उसका इंटरप्रेटेशन भी कुछ गलत हो जाता है। कई कारण होते हैं।


राजकिशोरः आप जिस सीट से लड़ रहे हैं ना, लखनऊ से, वो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भी सीट रही है और अटल बिहारी वाजपेयी सामाजिक समरसता के बड़ा चेहरा माने जाते रहे हैं और आपकी भी छवि पूरे देश में लगभग इसी प्रकार की है, लखनऊ में आप चुनाव लड़ रहे हैं तो पहला सवाल ये है कि आपको तो घोषणा हो गई है लेकिन महागठबंधन और कांग्रेस की तरफ से किसी प्रत्याशी का नाम नहीं आ रहा, क्या बात कोई लड़ना नहीं चाह रहा ?
राजनाथ सिंहः (मुस्कुराते हुए) नहीं, लड़ेंगे लोग, और मुझे लगता है कि उन लोगों को भी जल्दी कर देनी चाहिए प्रत्याशी की घोषणा। मुझे लगता है कि कांग्रेस भी करेगी और समाजवादी पार्टी भी करेगी। जो भी आएगा चुनाव के मैदान में किसी भी राजनीतिक पार्टी का लेकिन इतना मैं आश्वस्त कर देना चाहता हूं कि लखनऊ का जो चुनाव होगा वो बहुत ही स्वस्थ माहौल में होगा। बहुत टीका-टिप्पणी और कीचड़ उछालना, इस प्रकार की राजनीति, कम से कम लखनऊ में तो मैं नहीं होने दूंगा।


राजकिशोरः आपको लगता है कि जिस तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कोई सशक्त प्रत्याशी ढूंढने की कवायद चल रही है महागठबंधन और कांग्रेस में, वैसी ही कोई कोशिश हो रही है आपके खिलाफ भी चुनाव लड़ाने की ?, क्योंकि उत्तर प्रदेश से अगर देखा जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आप दो सबसे बड़े चेहरे हैं। तो ऐसी बड़ी चुनौती दी जाए शीर्ष नेतृत्व को, ऐसी कोई तैयारी को लेकर आपमें कोई चिंता?
राजनाथ सिंहः नहीं, मैं ऐसा नहीं मानता कि मैं बहुत सशक्त हूं। सशक्त कोई क्या होता है.. जैसे जनसामान्य,वैसे मैं।


राजकिशोरः तो प्रत्याशी ढूंढने में इतनी देरी क्यों हो रही है ?
राजनाथ सिंहः हो सकता है.. किसी भी राजनीतिक पार्टी को प्रत्याशी उतारना चाहिए तो मजबूत ही प्रत्याशी उतारना चाहिए। हम उनसे अपेक्षा भी नहीं करते कि वो लोग कमजोर प्रत्याशी उतारेंगे।


राजकिशोरः राजनाथ जी, उत्तर प्रदेश में अभी कल एक घटना घटी है, वो महागठबंधन की है, उसको आप किस तरीके से व्याख्यायित करेंगे, मंच पर बसपा सुप्रीमो मायावती थीं और जो उनके महागठबंधन के सहयोगी थे, चौधरी अजित सिंह, आपके साथ भी रहे हैं, उनको जूते उतरवाकर मंच पर बुलाया गया। इसके पीछे क्या देखते हैं आप?
राजनाथ सिंहः पता नहीं, पहली बार इस प्रकार की घटना की जानकारी मुझे मिली है। वैसे सामान्यतः सभी लोग जूते पहनकर ही मंच पर जाते हैं, कोई मंदिर तो है नहीं, कोई मस्जिद तो है नहीं, कोई गिरिजाघर तो है नहीं। ये कैसे हो गया है, मुझे आश्चर्य है इस पर। अब आप इसका पता लगाइए कि कैसे हुआ ये सब?


राजकिशोरः इंटेलीजेंस आपके पास है, आपका मंत्रालय है और उत्तर प्रदेश के आप बड़े नेता हैं, आपको पता होगा इस बारे में?
राजनाथ सिंहः अरे तो हमारा इंटेलीजेंस, हमारी आईबी ये नहीं ढूंढती है कि कौन जूता निकाला, कौन जूता निकालकर मंच पर गया और कौन उतारकर नीचे आया। ये सब काम आईबी का नहीं है।


राजकिशोरः चलिए उत्तर प्रदेश से आगे बढ़ते हैं, आजकल आपका लोगों का जो सबसे ज्यादा जोर है वो राजद्रोह को लेकर है। राजद्रोह कानून को सख्त करने को लेकर है, लोगों को चिंता हो रही है कि कहीं बीजेपी सरकार राजद्रोह को सख्त करके उसका दुरुपयोग तो नहीं कर सकती है?
राजनाथ सिंहः देखिए मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं जो कुछ भी मैंने कहा, जो कांग्रेस ने क हा कि राजद्रोह का कानून हम समाप्त करेंगे। इस पर हमको सख्त आपत्ति है। मैं सच बताऊं, मुझे इस पर नाराजगी भी लगी। कोई भी देश को डिस-इंटरग्रेट करने की कोशिश करे. डिस्टेबलाइज करने की कोशिश करे. यहां की सामाजिक समरसता को तार-तार करने की कोशिश करे। देश की प्रतिष्ठा गिराने की कोशिश करे. उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई तो होनी ही चाहिए। क्योंकि हम सारे लोग राजनीति कर रहे हैं तो केवल सरकार बनाने के लिए राजनीति नहीं कर रहे हैं। वो राजनीति कर रहे हैं, जो देश के लिए राजनीति कर रहे हैं। उसी की मान मर्यादा को तोड़ने की कोशिश करे, उस पर चोट पहुंचाने की कोशिश करे तो उसको हम कैसे मानेंगे। तो उस पर मैंने कहा था कि साहब देखेंगे तो राष्ट्रद्रोह के कानून को और सख्त बनाएंगे। एक दूसरी चीज, यह प्रीकॉशन लेना चाहिए चाहे कोई भी सरकार हो. कि राष्ट्रद्रोह का कानून का दुरुपयोग न हो। यह भी हम सुनिश्चित करेंगे और जानबूझ कर दुरुपयोग करता है उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जानी चाहिए। और राष्ट्रद्रोह का कानून ही क्यों चाहे कोई भी कानून हो, यदि जानबूझकर उसका दुरुपयोग करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। वह दंडित होना चाहिए।


राजकिशोरः राजद्रोह के कानून को लेकर जितना आप सख्त हैं, पिछली सरकार, यूपीए की जो सरकार थी, वो कम्यूनल हारमनी को लेकर प्रतिबद्ध दिखाई पड़ती थी, वो कम्यूनल वायलेंस बिल भी लाना चाहती थी। अब भी इसकी कोई चिंता ये सरकार नहीं कर रही है ?
राजनाथ सिंहः उनके समय कम्यूनल वायलेंस होते थे, सांप्रदायिक दंगे होते थे, अपने भाषण में सांप्रदायिक सौहार्द, कम्यूनल हारमनी की वो चर्चा जरूर किया करते थे। लेकिन आपने देखा होगा कि हम लोगों के शासनकाल में सांप्रदायिक दंगे भी शायद न के बराबर, हुए ही नहीं हैं.. जहां तक मेरी जानकारी है, शायद हुए ही नहीं हैं।


राजकिशोरः उत्तर प्रदेश में कुछ घटनाएं हुई हैं, कन्नौज की घटना थी जैसे?
राजनाथ सिंहः लेकिन उसे सांप्रदायिक दंगा नहीं कहेंगे। हो सकता है छोटी-मोटी कहीं हो गई हो, लेकिन कांग्रेस के समय तो शायद ही कोई साल गुजरा हो जिसमें कि सांप्रदायिक दंगे न हों। लेकिन सचमुच सांप्रदायिक सौहार्द बनाकर, भाईचारा बनाकर हम देश को आगे ले जाना चाहते हैं। और हमारी इसके प्रति प्रतिबद्धता है, क्योंकि हम जिस सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की दार्शनिक अवधारणा में विश्वास करते हैं वो हमको यही संदेश देता है।


राजकिशोरः राजद्रोह कानून को आप सख्त करने की बात कर रहे हैं, आपके सहयोगी रहे हैं पहले कभी.. चाहे वो, कश्मीर पर मैं जाना चाहूंगा, पीडीपी हो या नेशनल कॉन्फ्रेंस हो, इनके जो बयान हैं, हरकतें हैं बिल्कुल अलगाववादी हैं, आपको लगता है कि राजद्रोह कानून इन पर लागू किया जाना चाहिए ?
राजनाथ सिंहः देखिए, जैसा स्टेटमेंट इन्होंने दिया है, उस अपनी आपत्ति भी दर्ज कराई है और मैंने साफ कहा है, यदि कोई जम्मू-कश्मीर में कहेगा जम्मू-कश्मीर का अलग प्रधानमंत्री होना चाहिए और भारत का अलग प्रधानमंत्री होना चाहिए तो फिर धारा 370 और 35 ए, इसको समाप्त करने के अतिरिक्त हमारे पास कोई विकल्प नहीं रहेगा। ये नहीं चलेगा भारत में, जम्मू-कश्मीर, भारत का इंटेगरल पार्ट था, है और रहेगा, दुनिया की कोई ताकत उसे अलग नहीं कर सकती।


राजकिशोरः मैं आपसे पूछना चाहता हूं, बहुत उम्मीदें थीं, जिन लोगों ने भारतीय जनता पार्टी को वोट दिया था और जिस तरीके का बहुमत आपको मिला था, अकेले दम पर कई सालों बाद सत्ता में सरकार आई थी। अनुच्छेद 370 और 35 ए लगातार हटाने की मांग आप करते रहे हैं और आपके घोषणापत्र में भी ये बातें रही हैं। आप पांच सालों में हटा नहीं पाए. क्या ये असफलता नहीं है भारतीय जनता पार्टी की ?
राजनाथ सिंहः देखिए, असफलता इसको नहीं कहेंगे। कभी-कभी यह भी कोशिश की जाती है कि कुछ लोगों का, ज्यादा से ज्यादा, जितना हो सकते नेतृत्व बन जाए। कभी-कभी मजबूरी भी इस बात की रहती है कि यदि कोई चीज लोकसभा में पारित हो जाए तो राज्यसभा में कैसे पारित होगी। तो तरह-तरह की उसमें कठिनाइयां भी रहती हैं, लेकिन यदि इस प्रकार की डिमांड अब उठ रही है तो मैं समझता हूं कि धारा 370 समाप्त करना और 35ए समाप्त करना इसके अतिरिक्त कोई विकल्प शेष नहीं बचेगा। देश का कोई भी, चाहे हिंदू हो, मुसलमान हो, ईसाई हो, कोई नहीं चाहेगा कि दो-दो प्रधानमंत्री होने चाहिएं। कोई एक्सेप्ट (स्वीकार) नहीं करेगा।


राजनाथ सिंहः ये तो खैर आपका शुरू से रहा कि दो विधान, दो निजाम नहीं चलेंगे।
राजनाथ सिंहः हमारे डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने दो विधान, दो प्रधान, दो निशान नहीं चलेंगे। इसी मुद्दे को लेकर उन्होंने बलिदान दिया है। हम कैसे भूल सकते हैं उनके बलिदान को।


राजकिशोरः जी मैं, उनके बलिदान की बाबत पूछ रहा हूं कि आपको लगता नहीं है कि वो व्यर्थ गया इन पांच सालों में आप उसको लागू नहीं कर पाए?
राजनाथः नहीं, व्यर्थ नहीं गया है, ऐसा कोई बोलता था, जैसा मैं बोल रहा हूं, बोल तो रहा हूं। उनके बलिदान को व्यर्थ हम नहीं जाने देंगे। आपने देखा होगा कि पांच सालों में धीरे-धीरे माइंड मेकअप लोगों का हुआ है। अब धीरे-धीरे, कश्मीर में जो कोई भी स्थिति इस समय की है। आपने देखा होगा कि जब-जब भी मैं कश्मीर गया, मैं समझता हूं कि सबसे ज्यादा यदि कोई गृहमंत्री कश्मीर गया है तो मैं गया हूं। वहां पर जाकर जो भी हो सका है, दिली रिश्ता जोड़ने की, वहां के लोगों के साथ भरपूर कोोशिश की है।


राजकिशोरः लेकिन ये सारे उपक्रम व्यर्थ गए, क्योंकि मैं इसीलिए पूछ रहा हूं कि कश्मीर की स्थिति इतनी खराब कभी नहीं रही, जितनी इस समय है?
राजनाथ सिंहः कोशिश तो हम कर रहे हैं, मैं ये दावा नहीं करना चाहता कि हमने जो प्रयत्न किया वो बिल्कुल कामयाब होंगे ही होंगे। अब आने दीजिए, अब दूसरा टर्म आ रहा है।


राजकिशोरः तो अगली बार आप..?
राजनाथ सिंहः हां, समाधान होगा, इतना तो पक्का मान करिए। यथा स्थिति, हम जम्मू-कश्मीर में नहीं बने रहने देंगे। उसका समाधान निकालना ही होगा और उसका समाधान निकलेगा। ऐसा नहीं चलेगा।


राजकिशोरः क्या होगा समाधान ?
राजनाथ सिंहः वो निकलेगा, क्योंकि बहुत सारी चीजें अभी बतलाई नहीं जाती क्योंकि पहले यदि उसको बतला दीजिए तो मैं समझता हूं कि स्थिति बिगड़ जाती है।

राजकिशोरः आपने कहा कि अनुच्छेद 370, कई बार आपने कहा, लगातार आप कहते रहते हैं, कि अनुच्छेद 370 यदि हट जाए तो कश्मीर समस्या के समाधान में आसानी होगी लेकिन ये बात तीन तीन साल आपकी सहयोगी रही, पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती और उससे पहले उनके पिता उनको क्यों नहीं समझा पाए?
राजनाथ सिंहः अब देखिए, सब अलग-अलग विचार लोगों का हो सकता है। एक पक्ष यह भी कहने वाला है और यह तर्क उस वक्त भी हमारे सामने रखा गया था। देखिए ऐसा है कि जम्मू-कश्मीर की जनता ने सिंगल लार्जेस्ट पार्टी के रूप में पीडीपी को चुनकर भेजा है, उसके बाद भारतीय जनता पार्टी है, उसके बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस है, उसके बाद कांग्रेस है। तो वहां की जनता की अपेक्षाएं कि वहां सरकार बननी चाहिए। यदि किसी को बहुमत नहीं मिला है तो दो पॉलिटिकल पार्टी, आपस में मिलकर न्यूनतम साझा कार्यक्रमों के आधार पर कोई सरकार बनाती हैं तो बनाना चाहिए और इस जनादेश का सम्मान करना चाहिए। और यह एक्सपेरिमेंट भी एक बार करना चाहिए और हो सकता है इसके कारण भी जम्मू-कश्मीर की स्थिति सामान्य हो। इसके कारण जो हम चाहते हैं उस ओर हमारे कदम बढ़ें। लेकिन हमने किया यही सब सोचकर, कामयाबी नहीं मिली, आपने देखा, बीच में ही तोड़ना पड़ा।


राजकिशोरः तो आपको लगता है कि वो एक गलती थी, प्रयोग सफल नहीं हुआ?
राजनाथ सिंहः प्रयोग असफल था, तुरंत एकदम गलती मानना, ऐसा मैं नहीं कहूंगा। वो प्रयोग सफल नहीं रहा, इतना मैं कहूंगा।


राजकिशोरः आज ही मैं अखबारों में देख रहा था, पीडीपी के समर्थक, नकली गन्स, वो लहराते हुए दिखाई पड़ रहे हैं, वहां पर उसकी फोटो भी उन्होंने छपवाई है, तो अलगाववादियों के साथ बिल्कुल खड़े होने से जोड़ा जा रहा है। वो आपके सहयोगी रहे हैं तो आप उनको समझाएंगे कि या लगता है कि समझाने से बात बहुत आगे जा चुकी है?
राजनाथ सिंहः नहीं, बहुत-बहुत समझाया गया है। यह सब बहुत सारी अलगाववादी ताकतें, जो कश्मीर में काम कर रही हैं, पाकिस्तान के इशारे पर काम कर रही हैं और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो रही है।


राजकिशोरः सर, अभी भी वो लोग खुलेआम घूम रहे हैं ना?
राजनाथ सिंहः नहीं नहीं, सख्त कार्रवाई प्रारंभ हो गई है, आपने देखा होगा कई लोग बिहाइंड बार (सलाखों के पीछे) हैं। एजेंसीज़ कई लोगों से पूछताछ कर रही हैं। उनको फंडिंग होती है, बाहर से भी, ऐसी भी जानकारी प्राप्त हुई है।


राजकिशोरः उनकी भाषा, अब महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला जैसै लोग बोल रहे हैं। आपको क्या लगता है कि अलगाववादी अंदर गए तो उनको रिप्लेस करने के लिए ये लोग अपने आप को आगे कर रहे हैं, इनसे कैसे निपटेंगे?
राजनाथ सिंहः नहीं, नहीं, वो चुनाव हैं ना, तो शायद ये लोग समझते होंगे कि उनका समर्थन हासिल हो जाए। इस कारण बोल रहे हैं। लेकिन यह सब चलेगा नहीं, मैं समझता हूं कि बहुत इसके डिटेल में नहीं जाना चाहता लेकिन यह सब नहीं चलेगा।


राजकिशोरः लेकिन कश्मीर में जो एक बात लगातार आती है, मंत्री जी, ठीक है आंतरिक सुरक्षा के मोर्चे पर कोई बड़ा हमला नहीं हुआ और उसको आप गिनाते भी नहीं और गिनाना भी नहीं चाहिए लेकिन कश्मीर में अगर आप देखेंगे तो चाहे हमारे सेना के जवान हों या अर्ध सैनिक बलों के जवान हों उनकी शहादत लगातार बढ़ती जा रही है, हालात विकट होते जा रहे हैं। तो इसकी जवाबदेही तो सरकार को लेनी पड़ेगी ना?
राजनाथ सिंहः नहीं, जवाबदेही क्या?, इसमें कोई दो राय नहीं, यह नंबर थोड़ा बढ़ा है, हम लोगों की चिंता का विषय है, लेकिन हमारे बहादुर जवानों, सेना के जवानों ने भी और हमारे अर्धसैनिक बलों, जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों ने भी आतंकवादियों को बड़ी संख्या में न्यूट्रलाइज करने (मार गिराने) में बड़ी संख्या में सफलता पाई है। वह नंबर भी देखना चाहिए। लेकिन बार-बार हम लोग भी अपनी तरफ से यही सुझाव देते हैं कि पूरा प्रीकॉशन लिया जाना चाहिए, लोग प्रीकॉशन लेते भी हैं लेकिन ऐसी स्थिति में कभी-कभी यह घटनाएं भी होती हैं, दुर्भाग्यपूर्ण होती हैं, दुखद होती हैं, इसीलिए मैं देशवासियों से कहता हूं कि यदि भारत सुरक्षित है, भारत यदि तेजी से आगे बढ़ रहा है तो यह सुरक्षा का माहौल जिन लोगों के कारण मिला है, चाहें हमारे सेना के जवान हों, चाहें अर्धसैनिक बल हों, चाहें हमारे जो बहुत सारे सुरक्षा से जुड़े हुए पुलिस या अन्य सारे जवान हों, इनके बलिदानों के कारण ही यह देश सुरक्षित है। उनके प्रति सम्मान का भाव सबके दिलों में होना चाहिए।


राजकिशोरः इसके बावजूद पुलवामा जैसी घटना हो जाती है, और इतने जवान शहीद हो जाते हैं, एक आरोप बार-बार विपक्ष की ओर से लगाया कि अगर एयरलिफ्ट उनको कर लिया होता तो शायद ये घटना नहीं होती, जिसकी वो (जवान) मांग कर रहे थे। 
राजनाथ सिंहः अरे नहीं, वो स्थिति नहीं थी। जो भी करते बना है, सब कुछ किया है, बेबुनियाद आरोप हैं। और मैं कहना चाहूंगा प्रतिपक्ष से भी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर राजनीति नहीं कर चाहिए। फिर से इस बात का दोहराना चाहता हूं कि राजनीति देश के लिए की जाती है, सरकार भी यदि हम बनाते हैं तो देश के लिए काम करने के लिए बनाते हैं, प्रतिपक्ष में रहकर भी देश के लिए काम किया जा सकता है, सरकारों को सही सुझाव देकर। दूसरी चीज जब कश्मीर की समस्या को लेकर हम लेकर दोषी ठहराया जा रहा है, मैं पूछना चाह रहा हूं कि कश्मीर की समस्या अनसुलझी क्यों रह गई?, कौन जिम्मेदार है, क्या उस वक्त भारतीय जनता पार्टी थी। शायद सरदार पटेल के हाथों में यह भी रहता कि जम्मू-कश्मीर की समस्या का समाधान करिए तो शायद उस समय हो गया होता।


राजकिशोरः राजनीति की बात कर रहे हैं गृहमंत्री जी, लेकिन राजनीतिकरण सेना का बीजेपी कर रही है और सरकार कर रही है ये आरोप लगातार विपक्ष लगा रहा है। मुख्यमंत्री का 'मोदी सेना' कहना और बार-बार रैली में चाहें प्रधानमंत्री हों, या आप हों या पार्टी अध्यक्ष हों ये लोग लगातार नाम लेते हैं सेना का, सेना के बगैर कोई रैली पूरी नहीं होती?
राजनाथ सिंहः नहीं-नहीं, उन्होंने उसमें अपना क्लैरिफिकेशन (सफाई) दे दिया है। उस पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। लेकिन ये सेना का राजनीतिकरण नहीं चाहिए और भारतीय जनता पार्टी करती भी नहीं है। लेकिन अब जो अपने शौर्य और पराक्रम का परिचय बालाकोट में जाकर हमारे एयरफोर्स के जवानों ने दिया, क्या आप चाहते हैं कि हम अपनी सार्वजनिक सभाओं में आम लोगों के बीच उसकी चर्चा न करें। क्या हम उनके शौर्य और पराक्रम की प्रशंसा न करें। क्या यही राजनीतिकरण है, राजनीतिकरण तो वो लोग कर रहे हैं, जो ये पूछते हैं कि जो हमारे सेना के जवानों के पराक्रम और शौर्य पर सवालिया निशान लगाते हैं और ये पूछते हैं कि बताइए कितनों को मारा। आप ये बतलाइए, हमारे जवान जब गए तो वहां बड़ी संख्या में जिन लोगों को मारा, आतंकवादियों को और यह प्रीकॉशन लेते हुए कि एक भी निर्देोष व्यक्ति पाकिस्तान का नहीं मरे,वहां की आर्मी के ऊपर, अरे पाकिस्तान की संप्रभुता पर भी हमने चोट नहीं पहुंचाई, हमारी आर्मी ने कोई हमला नहीं किया। अब वहां पर एक आतंकवादी ठिकाने पर , जो उन्होंने अटैक किया, बड़ी संख्या में लोगों को मारा तो उसके खड़े होकर जो है हमारे सेना के जवान ये गिनें कि कितनी डेड बॉडीज़ हैं, कितनी लाशें हैं, बहादुर कभी लाशें नहीं गिना करते।


राजकिशोरः पर विवाद शुरू हुआ गृहमंत्री जी, भाजपा अध्यक्ष के बयान के बाद से, उन्होंने कहा कि 250 आतंकवादी मारे गए तो नंबर तो आपकी पार्टी ने खुद दिया।
राजनाथ सिंहः नंबर का आप अब पता लीजिए कितना है, नंबर बहुत कम था तो पाकिस्तान इतना परेशान क्यों था। (राजकिशोर बीच में- नहीं पाकिस्तान तो कह रहा है कि कुछ हुआ ही नहीं), नहीं, नहीं पाकिस्तान का दिल जानता होगा कि क्या हुआ। अब उन्होंने दुनिया को दिखाने के लिए कुछ कार्रवाइयां भी तो की हैं। देखिए डिप्लोमेटिक फ्रंट पर भी, कूटनीतिक मोर्चे पर भी भारत कामयाब रहा है। इस मुद्दे पर सारी दुनिया हमारे साथ खड़ी रही है, पाकिस्तान के साथ कोई खड़ा न होने पाए। और एक कूटनीतिक दबाव भी उसके ऊपर पड़ा है। आपने देखा होगा कि कुछ आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई, उनके संगठनों के खिलाफ कार्रवाई यह भी पाकिस्तान ने किया है।


राजकिशोरः तो पाकिस्तान तो कह रहा है कि उसके यहां तो कुछ खेत खराब हुए हैं, कुछ पेड़ गिरे हैं, उसका जवाब क्यों नहीं सरकार की तरफ से दिया जाता है। उसके प्रोपगेंडा का जवाब तो तथ्यों और तर्कों के आधार पर ही दिया जा सकता है ना तो क्यों नहीं भारतीय जनता पार्टी की सरकार ये जवाब दे देती ?
राजनाथ सिंहः अरे तो क्या कहे, ये न कहे तो करे क्या। लेकिन जब हमारे जवान वहां गए थे, वहां के विदेश मंत्री सवेरे पांच बजे ही बयान जारी कर रहे, क्यों इतना परेशान थे, यदि कुछ हुआ ही नहीं।


राजकिशोरः पर बार-बार एक जो ट्रेंड सा चल गया है, भाजपा के कार्यकर्ता हों चाहें तो नेता हों, अगर कोई सवाल पूछता है कि सेना ने कितने मारे तो, यह देशद्रोह कैसे हो गया?, आप तुरंत देशद्रोही क्यों ठहरा देते हैं?
राजनाथ सिंहः नहीं, कोई यह पूछता है तो हम उसकी बुद्धि पर तरस तो खा सकते हैं, लेकिन देशद्रोही नहीं कहेंगे।


राजकिशोरः पर ये (देशद्रोही) कहा जाता है?, सवाल पूछना कैसे देशद्रोह हो सकता है, मैं ये जानना चाहता हूं चूंकि आप तो बड़े नेता हैं, पार्टी के?
राजनाथ सिंहः मैं नहीं कहूंगा। बुद्धि पर तरस तो जरूर आएगी हमको लेकिन ये नहीं कहेंगे कि हमारे सेना के जवान से पूछे कि मारने के बाद तुमको खड़े होकर गिन लेना चाहिए था कि वन, टू, थ्री, फोर, फाइव, कितने मरे.. तब वहां से चलना चाहिए था। हमारे बहादुर जवानों का काम लाशें गिनना नहीं हैं।


राजकिशोरः राजनाथ जी, एक सवाल पूछना चाहूंगा उस मुद्दे पर जिसको लेकर आप सबसे ज्यादा सख्त भी रहे और सबसे ज्यादा काम भी आपने किया, नक्सलवाद। नक्सलवादियों के खिलाफ जितनी सख्त कार्रवाई पिछले चार-साढ़े चार साल में हुई है, शायद पहले कभी हुई हो..लेकिन उसके बाद भी हेरम घाटी जैसे घटना हो जाती है, जिसमें भाजपा के विधायक मारे जाते हैं, दंतेवाड़ा में। और ये वही ग्रुप कहा जा रहा है जिसने हेरम घाटी की घटना को अंजाम दिया था। तो क्या ये नक्सलवाद के खिलाफ भी सरकार की असफलता नहीं मानेंगे आप?
राजनाथ सिंहः देखिए काफी हद तक हम लोगों को कामयाबी मिली है। लेकिन नक्सलवाद पर फ्रंट पर रहकर लड़ाई लड़ना और उस समस्या का समाधान निकालना, यह राज्य सरकारों की जिम्मेदारी होती है। हां, मैंने भरपूर सहयोग जो है, केंद्र सरकार की तरफ से दिया है। फोर्स को लेकर भी दिया है, स्ट्रैटेजी को लेकर भी दिया है। इंटेलीजेंस इनपुट के आधार पर जो भी चीजें होती रही हैं, उसमें भी मैंने पूरी तरह से सहयोग दिया है। इसमें पूरी रूचि रही है, इसमें कोई दो मत नहीं हैं और आप भी ये महसूस करेंगे कि जो भारत के लगभग 126 जिलों तक फैला हुआ नक्सलवाद था, काफी सिमटकर अब कुछ 7-8-9 जिलों तक रह गया है। अभी थोड़ा और समय लगेगा क्योंकि चालीस सालों से यह चला आ रहा है। लेकिन इसमें भी (भाजपा विधायक की हत्या वाले) में राज्य सरकार को इंटेलीजेंस इनपुट मिला था। हमारी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से बात हुई, उन्होंने कहा कि मैंने लोगों को आगाह भी किया था, लेकिन यह घटना हो गई।


राजकिशोरः कहीं आप ये तो नहीं कहना चाह रहे चूंकि अब छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार नहीं है तो अभियान चलाने में दिक्कत हो रही है?
राजनाथ सिंहः देखिए मैं किसी को दोष नहीं देना चाहूंगा। सुरक्षा के मामले पर मैं बिल्कुल राजनीति नहीं करूंगा। मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि भले ही कांग्रेस की सरकार हो लेकिन नक्सलवाद पर कामयाबी हासिल करने के लिए हमको जिस हद तक जाकर भी मदद करनी होगी, राज्य सरकार की मदद करेंगे, भले ही कांग्रेस की सरकार हो। हम सुरक्षा के सवाल पर, राष्ट्रीय स्वाभिमान के सवाल पर कभी राजनीति नहीं करते।


राजकिशोरः अब थोड़ा राजनीति पर आते हैं, राजनाथ जी, महागठबंधन को आप महामिलावट कह रहे हैं। आप भी गठबंधन कर रहे हैं और तमाम, आपने तो पीडीपी जैसी पार्टी से गठबंधन किया जिसमें कोई वैचारिक ओर-छोर नहीं, एक नॉर्थ तो एक साउथ पोल, उसके बाद भी आपने किया तो, महागठबंधन कैसे मिलावट हो गया और आपका गठबंधन कैसे सही हो गया ?
राजनाथ सिंहः देखिए लगभग हम लोगों को देखा जाए तो लोग थे, वो आज भी बने हुए हैं। मिलावट ये कि लगता ही नहीं कि इनमें कोई गठबंधन नहीं है। वो अपनी, जिसको कहा जाए ना कि सब एक-दूसरे से घुल मिल जाएं, वो गठबंधन है, बंधन एक बंधन है। मिलावट ये है कि सब मिलजुल कर अपना खड़े हैं, लेकिन कब कौन अलग हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता, शायद यह तात्पर्य होगा कहने के पीछे।


राजकिशोरः पर आपके साथ भी तमाम लोग थे, शिवसेना की अगर बात करें तो चाहें तो आप नूरा कुश्ती करें या धींगा मुश्ती कहें वो लगातार चलती रही। अब बिल्कुल चुनाव से ऐन पहले, एक तरीके से बीजेपी को बिल्कुल सॉफ्ट होना पड़ा, गठबंधन के लिए?
राजनाथ सिंहः शिवसेना का ये, देखिए एक परिवार होता है, उसमें चार भाई होते हैं, उनमें चलती रहती है कुछ न कुछ, अब उसको ये कहेंगे कि परिवार टूट गया। तो ऐसे ही यह परिवार है, चल रहा है। और मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं, जहां तक गठबंधन का सवाल है। गठबंधन कभी हमारे लिए कंपल्शन नहीं है, गठबंधन हमारे लिए कमिटमेंट है। ये हमारे लिए गठबंधन मजबूरी नहीं है, ये हमारे लिए प्रतिबद्धता है। जैसे अटल बिहारी वाजपेयी भी थे, उस समय भी बहुत ही सफलतापूर्वक 6 वर्ष तक 24 दलों को मिलाकर सरकार चलाई थी। और इस समय 2014 में स्पष्ट बहुमत हासिल करने के बावजूद जितने भी हमारे एलाइज (सहयोगी दल) थे, सबको साथ लेकर सरकार चलाई और आगे भी भले ही भारतीय जनता पार्टी को संसद में स्पष्ट बहुमत मिल जाए, जिन सहयोगियों के साथ हम चुनाव लड़ रहे हैं, सबको साथ लेकर ही सरकार चलाएंगे। इसीलिए मैंने कहा ना कि गठबंधन हमारे लिए कंपल्शन नहीं है, ये हमारा कमिटमेंट है।


राजकिशोरः लेकिन अगर आप देखें तो पिछले पांच सालों में गठबंधन को लेकर सवाल उठे और जितनी तल्ख बयानबाजी हुई, चाहे वो शिवसेना की ओर से हो, जेडीयू भी आपके पास से चला गया फिर वापस आया?
राजनाथ सिंहः आ गया ना (जेडीयू की ओर इशारा), परिवार ऐसा ही होना चाहिए। परिवार ऐसा ही होना चाहिए, थोड़ा बहुत हुआ तो हुआ, फिर उसके बाद आना चाहिए साथ, अब हैं साथ।


राजकिशोरः आप परिवार की बात कर रहे हैं, एनडीए का वृहद परिवार हुआ, संघ और भाजपा का जो परिवार है, उसमें आप पर जो आरोप लग रहा है, सत्ता में मौजूदा जो पीढ़ी है, जो पुराने नेता थे, उनको पहले मार्गदर्शक मंडल में भेजा, अब उनको बिल्कुल किनारे कर दिया। समझ गए होंगे, मैं लालकृष्ण आडवाणी जी की और मुरली मनोहर जोशी की बात कर रहा हूं। तो ये कौन सी परंपरा है जो बुजुर्गों को किनारे कर दिया जाए?
राजनाथ सिंहः किनारे करने का सवाल नहीं, उनके प्रति बेहद सम्मान है, उनके कॉन्ट्रिब्यूशन को हम कभी भूल नहीं सकते। उनके प्रति बराबर सम्मान रहा है। अभी हम एक, हम लोगों की भी आयु होगी, मोदी जी की भी आयु होगी। सब लोग अगर एक बार चुनावी राजनीति से अलग हो जाएंगे तो क्या ये कहा जाएगा कि उनको किनारे कर दिया गया है। होना ही चाहिए, होंगे ही।


राजकिशोरः पर राजनीति में माना जाता है कि VRS होता है, वॉलंटरी रिटायरमेंट होता है। लेकिन ये कंपल्सिव, एक तरीके से कंपल्शन था, जबरन उनको रिटायर कर देने का ये नियम बनाया गया, ये बीजेपी की परंपरा के खिलाफ नहीं है। आपको नहीं लगता कि इससे बहुत गलत संदेश जा रहा है?
राजनाथ सिंहः नहीं, नहीं गलत संदेश नहीं। उनके प्रति भरपूर सम्मान है, उनके सम्मान को हम कभी भूल नहीं सकते। उनके कॉन्ट्रिब्यूशन को हम कभी भूल नहीं सकते। आगे भी उनका सम्मान बना रहेगा।


राजकिशोरः इसी से जुड़ा हुआ सवाल, 2019 के बाद 2024, 2024 में क्या आप और नरेंद्र मोदी जी चुनाव लड़ेंगे?
राजनाथ सिंहः आएगा देखेंगे, नहीं, उस समय हमारी आयु 75 साल नहीं होगी। मैं बता दूं, क्लियर कर दूं। शायद रहेगी 2-3 आयु शेष। उस समय हम लोग बैठकर फैसला कर लेंगे, क्या करना है। तो 75 नहीं होगी।


राजकिशोरः सुरक्षा से जुड़ा एक और सवाल, 2019 में जब आप आएंगे पिछले पांच सालों के जो सबक हैं, उससे सबक लेकर आप क्या करेंगे। खासतौर से नक्सलवाद के मुद्दे पर, आपको लगता है कि वहां सेना के इस्तेमाल की जरूरत भी पड़ सकती है। और कश्मीर पर आपने जैसा कहा कि अब बता देंगे, अब बात नहीं करेंगे। तो क्या रहेगी, कैसे ये दो बड़ी दिक्कते हैं, कैसे उनसे पार पाएंगे?
राजनाथ सिंहः नहीं, जो कुछ भी पांच वर्षों का अनुभव रहा है, जो करना चाहिए उसके लिए माइंड मेकअप है, वो करेंगे।


राजकिशोरः क्या करेंगे, उसका कुछ सूत्र तो दीजिए?
राजनाथ सिंहः नहीं, सूत्र बतलाया नहीं जाता।


राजकिशोरः एक बात और आ रही राजनाथ जी, जैसा कि आपने अभी कहा कि अगर हमारी पूर्ण बहुमत की सरकार आई तो भी गठबंधन को नहीं जाने देंगे। तो अगर में कहीं न कहीं विश्वास की कमी तो है?
राजनाथ सिंहः अगर नहीं कहा मैंने। स्पष्ट बहुमत मिलेगा ही मिलेगा। फिर भी हम एनडीए की सरकार बनाएंगे ये कहा।


राजकिशोरः पर एक बात कही जा रही है अगर बहुमत नहीं मिलता तो शायद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जगह, एनडीए का प्रधानमंत्री कोई और हो?, उसमें आपका और नितिन गडकरी का नाम आता है। वो लोग भी दावेदार माने जाते हैं।
राजनाथ सिंहः ये दिवास्वप्न किसी को नहीं देखना चाहिए। नहीं बिल्कुल भी नहीं। इतना छोटा मुझे मत मानो भैया।


राजकिशोरः बात छोटे की नहीं, राजनीतिक कंपल्शन भी कुछ होते हैं, तो अगर ऐसी स्थिति बनती है फिर?
राजनाथ सिंहः राजनाथ सिंह को इतने छोटे मन का मत मानो आप। इसकी तो कल्पना भी नहीं की जा सकती।


राजकिशोरः बस आखिर में ये पूछना चाहता हूं कि अगर बहुमत से दूर रह जाती है बीजेपी और इस तरीके की परिस्थितियां आती हैं कि प्रधानमंत्री किसी और को चुनना पड़े तो राजनाथ सिंह क्या करेंगे?
राजनाथ सिंहः नहीं, नहीं, ऐसी नौबत आएगी ही नहीं। आपका प्रश्न ही काल्पनिक है तो उत्तर देने का भी कोई औचित्य नहीं है।