देश में लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार जोरों पर है। पहले चरण का चुनाव पूरा हो चुका है और दूसरे चरण के चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में देश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रवाद की लहर पर सवार चुनावी वैतरणी पार करना चाहती है। तो वहीं विपक्षी लगातार भाजपा पर सेना के राजनीतिकरण के आरोप लगा रहे हैं। भाजपा पलटकर विपक्षियों पर 'देशद्रोहियों' का साथ देने आरोप लगाती है। इसके अलावा पिछले पांच साल में कश्मीर में हालात चिंताजनक स्तर पर पहुंच गए हैं। आए दिन हो रही जवानों की शहादत इस बात के पुख्ता संकेत हैं घाटी में शांति नहीं है। भाजपा को इसका समाधान 370 और 35ए के रूप में दिखता है तो वहीं अलगाववादी ताकतें इनकी आड़ में भाजपा को चुनौती देती हैं। देश की जनता इन सब सवालों के जवाब तलाश रही है। ऐसे में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से एबीपी गंगा के संपादक राजकिशोर ने इन्हीं सब मुद्दों पर भाजपा का पक्ष जानना चाहा। गृहमंत्री ने भी बड़ी ही बेबाकी से सब सवालों के जवाब दिए।


राजद्रोह को लेकर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस के कानून समाप्त करने की बात को लेकर उन्हें सख्त आपत्ति है। उन्होंने पूछा कि अगर देश में अराजकता का माहौल खड़ा करने की कोशिश करे तो क्या उस पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। ये सही है कि राजद्रोह कानून का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए लेकिन कानून को खत्म कर देना ठीक नहीं। राजनाथ ने स्पष्ट किया कि अगर वे चाहते हैं देशद्रोह कानून को और सख्त किया जाए।


भाजपा के शासन में दंगे नहीं हुए

कांग्रेस के शासनकाल में लाए जा रहे कम्यूनल वायलेंस बिल को लेकर राजनाथ सिंह ने कहा कि उनके समय में सांप्रदायिक दंगे होते थे लेकिन भाजपा के शासनकाल में सांप्रदायिक दंगे शायद हुए ही नहीं हैं। वे कहते हैं कि कन्नौज जैसी कुछ घटनाओं को सांप्रदायिक दंगों का नाम नहीं दिया जा सकता है। राजनाथ सिंह आरोप लगाते हैं कि कांग्रेस के शासनकाल में तो हर साल दंगे होते थे।


जम्मू-कश्मीर और अनुच्छेद 370 को लेकर राजनाथ सिंह ने कहा कि जब महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला सरीखे नेता अलग प्रधानमंत्री की बात करते हैं तो 370 और 35 ए हटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है। वे दोहराते हैं कि 370 को हटाना भाजपा के एजेंडे में है लेकिन कुछ कारणों से पिछले पांच वर्षों में यह संभव नहीं हो पाया।  राजनाथ सिंह ने कहा कि डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने दो विधान, दो प्रधान, दो निशान नहीं चलेंगे का नारा दिया था और इसी मुद्दे को लेकर उन्होंने बलिदान दिया। उनके बलिदान को भाजपा भुलाने वाली नहीं है। वे कहते हैं कि पिछले पांच साल में भाजपा भले अनुच्छेद 370 न हटा पाई हो लेकिन लोगों का माइंड मेकअप किया है और एक वक्त आएगा जब इसे हटाने के सिवा कोई विकल्प नहीं बचेगा। कश्मीर में शांति बहाली के सवाल पर राजनाथ ने कहा कि दूसरी बार उनकी सरकार सत्ता में आ रही है, ऐसे में पिछले पांच सालों में जो उनकी सरकार का जो कुछ भी अनुभव रहा है और जो करना चाहिए उसके लिए वे तैयार हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में यथा स्थित नहीं रहेगी।


देखिए, कश्मीर मसले पर क्या बोले गृहमंत्री राजनाथ सिंह 



पीडीपी के साथ सरकार बनाने को लेकर राजनाथ सिंह ने कहा कि उस वक्त जो जनादेश था, उसका सम्मान करते हुए भाजपा ने एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम के साथ सरकार बनाई। हालांकि अपेक्षाकृत कामयाबी नहीं मिली तो उन्हें बीच में ही गठबंधन तोड़ना पड़ा। उन्होंने कहा कि उनका ये प्रयोग सफल नहीं रहा। महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला के बयानों को लेकर राजनाथ सिंह ने कहा कि चुनाव नजदीक आने के कारण संभवतः अलगाववादी ताकतों के इशारे पर वे ऐसे बयान दे रहे हैं, ताकि समर्थन जुटा सकें। लेकिन यह सब चलेगा नहीं।


आंतरिक सुरक्षा और जम्मू कश्मीर में जवानों की शहादत की बढ़ती संख्या पर राजनाथ सिंह ने कहा कि ये जरूर चिंता का विषय है लेकिन सुरक्षाबलों ने आतंकियों को मार गिराने में जो बड़ी सफलता पाई है, उसे भी देखना चाहिए। पुलवामा हमले के बाद विपक्ष के जवानों को एयरलिफ्ट ने करने के आरोपों पर राजनाथ ने कहा कि उनकी सरकार पर बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं। उन्होंने वो सब कुछ किया जो किया जाना चाहिए था। साथ ही राजनाथ ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर विपक्षी पार्टियों को राजनीति नहीं करनी चाहिए।


सरदार पटेल होते तो कश्मीर समस्या होती

राजनाथ सिंह ने कहा कि कश्मीर की समस्या को लेकर भाजपा को दोषी ठहराया जा रहा है, लेकिन ये भी देखना चाहिए कश्मीर की समस्या अनसुलझी क्यों रह गई, उसके लिए कौन जिम्मेदार है। उन्होंने पूछा कि क्या उस वक्त (आजादी के बाद) भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी। राजनाथ ने कहा, 'शायद सरदार पटेल के हाथों में यह भी रहता कि जम्मू-कश्मीर की समस्या का समाधान करिए तो शायद उस समय हो गया होता।'


सेना की सफलताओं का श्रेय लेने और राजनीतिकरण के आरोपों पर गृहमंत्री ने कहा कि भाजपा सेना का राजनीतिकरण नहीं करती है। उन्होंने पूछा कि सेना और सुरक्षाबल के जवान जब पाकिस्तान में शौर्य और पराक्रम दिखाकर लौटते हैं तो क्या सकी चर्चा आम लोगों के बीच नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राजनीतिकरण तो वो लोग कर रहे हैं, जो ये पूछते हैं कि कि बताइए कितनों को मारा। उन्होंने कहा कि बहादुर कभी लाशें नहीं गिना करते।


भाजपा अध्यक्ष की ओर आतंकियों के मारे जाने की संख्या के ऐलान पर राजनाथ ने कहा कि अगर नंबर बहुत कम था तो पाकिस्तान क्यों परेशान था। क्यों वहां के विदेश मंत्री सुबह पांच बजे ही बयान जारी कर रहे थे।


सरकार से सवाल करने वालों को देशद्रोही कहने को लेकर राजनाथ सिंह ने कहा कि सवाल करने वाले को वे देशद्रोही नहीं कहेंगे। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों की बुद्धि पर तरस तो खा सकते हैं लेकिन देशद्रोही नहीं कहेंगे।


नक्सलवाद की समस्या पर राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत के लगभग 126 जिलों तक फैला हुआ नक्सलवाद अब सिमटकर 7-8 जिलों तक रह गया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि चालीस सालों से चली आ रही इस समस्या से निपटने में अभी थोड़ा वक्त और लगेगा। हाल ही में नक्सली हमले में हुई भाजपा विधायक की हत्या पर राजनाथ सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने इस प्रकार की घटना के लिए आगाह किया था लेकिन दुर्भाग्वश यह घटना घट गई। उन्होंने कहा कि राज्य में भले ही कांग्रेस की सरकार हो लेकिन नक्सलवाद पर कामयाबी हासिल करने के लिए जिस हद तक जाकर भी मदद करनी होगी, वे राज्य सरकार की मदद करेंगे।


महागठबंधन को महामिलावट कहने और भाजपा के गठबंधन को मजबूत बताते हुए राजनाथ ने कहा कि एनडीए के साथी आज भी उनके साथ बने हुए हैं, जबकि महागठबंधन के लिए साथ आए दलों को देखकर कोई गठबंधन नहीं बल्कि मिलावट का अहसास होता है। उन्होंने कहा कि भाजपा के लिए गठबंधन विपक्ष की तरह मजबूरी नहीं बल्कि प्रतिबद्धता है। इसीलिए शिवसेना और जेडीयू जैसे दल आज भी उनके साथ बने हुए हैं।


लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे वरिष्ठ नेताओं को टिकट न देने को लेकर राजनाथ सिंह ने कहा कि चुनावी राजनीति से अलग करने का मतलब ये नहीं कि उनको किनारे कर दिया गया है। राजनाथ ने कहा कि उम्र के लिहाज से एक दिन बाकी नेताओं की भी आयु होगी और तब सबको चुनावी राजनीति से अलग हो जाना चाहिए।