लखनऊ, एबीपी गंगा। भारतीय जनता पार्टी के लखनऊ लोकसभा सीट से उम्मीदवार राजनाथ सिंह ने पर्चा दाखिल कर दिया है। नामांकन से पहले उन्होंने मंदिर में पूजा अर्चना की। इसके बाद वे प्रदेश बीजेपी कार्यालय पहुंचे। राजनाथ के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहें। इनमें जेडीयू के केसी त्यागी, बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुधांशु त्रिवेदी, प्रदेश के दोनों डिप्टी सीएम केशव मौर्य, दिनेश सिंह भी साथ रहे। राजनाथ का नामांकन जुलूस प्रदेश बीजेपी कार्यालय से कचहरी तक निकाला गया। इस दौरान रास्ते में कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया।


राजनाथ सिंह ने कहा कि आज मैंने नामांकन कर दिया है और मैं आश्वस्त हूं कि लखनऊ की जनता फिर मौका देगी। मैं ये नहीं मानता कि मोदी लहर कम हो रही है बल्कि पीएम मोदी की विश्वसनीयता और बढ़ी है।



नामांकन से पहले राजनाथ सिंह ने सेतु मंदिर में हनुमान जी के दर्शन किए। इसके अलावा राजनाथ ने शिवलिंग पर दूध भी चढ़ाया। राजनाथ सिंह पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ शुभ मुहूर्त में जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे और नामांकन दाखिल किया।राजनाथ सिंह के प्रस्तावक उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता हाईकोर्ट एलपी मिश्रा, सेवानिवृत्त हाईकोर्ट जज पूर्व लोकायुक्त सुधीर चंद्र वर्मा वर्मा व पूर्व राज्यसभा सदस्य राम नारायण साहू थे। राजनाथ सिंह के साथ मोहनलालगंज से पार्टी के प्रत्याशी कौशल किशोर ने अपना नामांकन दाखिल किया। नामांकन से पहले राजनाथ सिंह ने हनुमान सेतु मंदिर में बजरंग बली का दर्शन करने के साथ शिवजी के मंदिर में जलाभिषेक किया।



योगी ने किया हनुमान चालीसा का पाठ
राजनाथ से पहले सीएम योगी आदित्यनाथ भी बजरंग बली की शरण में पहुंचे।  योगी मंगलवार सुबह हनुमान सेतु मंदिर पहुंचे.. उन्होंने यहां हनुमान चालीसा का पाठ भी किया। बतादें कि  चुनाव आयोग ने विवादास्पद बयानों को लेकर सीएम योगी के चुनाव प्रचार पर तीन दिन की रोक लगा दी है।


लखनऊ सीट का इतिहास
80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में लखनऊ बेहद ही महत्तवपूर्ण सीट मानी जाती है। लखनऊ पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की कर्मभूमि रही है। अटल जी का लखनऊ से खास लगाव रहा है। यहां से अटल जी पांच बार सांसद चुने गए और यहीं से सांसद रहते हुए भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने।


1991 में हुए आम चुनावों में अटल जी को पहली बार इस सीट पर जीत हासिल हुई थी, तब उन्होंने कांग्रेस के रंजीत सिंह को मात दी थी, उसके बाद तो अटल जी और लखनऊ का साथ हमेशा-हमेशा के लिए हो गया। हालांकि 1991 से पहले भी अटल जी दो बार इस सीट से चुनाव लड़ चुके थे। पहला चुनाव 1957 में लड़े थे लेकिन जीत नहीं मिल पाई थी, फिर 1962 के चुनाव में भी मैदान में उतरे लेकिन हार का सामना करना पड़ा।