Aligarh News: जम्मू कश्मीर के राजौरी में सुरक्षाबलों की आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में अलीगढ़ के लाल ने बलिदान दिया. टप्पल क्षेत्र के गांव नगरिया गौरोला निवासी सचिन लौर 20 मार्च 2019 को आर्मी में भर्ती हुए थे. 2021 में वह स्पेशल फोर्स में कमांडो बन गए. इन दिनों वो राजौरी के पैरा टू रेजीमेंट में तैनात थे. बड़े भाई विवेक लौर नेवी में हैं.


स्पेशल फोर्स कमांडो सचिन लौर की आठ दिसंबर को मथुरा के मांट तहसील के गांव जैसवां निवासी युवती से शादी होने वाली थी. घर में शादी की तैयारियां चल रही थीं. घर में खुशी का माहौल था. बुधवार रात को सचिन ने पिता रमेश व बड़े भाई विवेक से फोन पर बात की और कहा कि सब ठीक है. ऑपरेशन चल रहा है, दो लोग और बचे हैं. उनको और निपटा दूं, लेकिन आज सुबह परिवार को उसकी मौत की खबर मिली.


सुबह करीब सात बजे भी सचिन ने वाट्सएप पर मैसेज करके भाई से यही कहा कि सबकुछ ठीक है. वह आपरेशन में है, फ्री होकर वह बात करेंगे. इसके बाद बात नहीं हुई और यह दुखद खबर आई. सचिन के पिता रमेश चंद किसान हैं. पिता रमेश व मां भगवती देवी खुद को संभाल नहीं पा रहे हैं. शहीद सचिन का पार्थिव शरीर शुक्रवार दोपहर तक उनके गांव पहुंचेगा. पूरे के पूरे गांव में मातम का माहौल है. सचिन अपने तीन भाई बहनों में सबसे छोटा था.


पिता को फोन पर कही थी ये बात
सचिन के पिता ने बताया कि "शाम को फोन आया था वह बोला था कि पापा दो और रह गए हैं उनको और निपटा लूं तभी आऊंगा. मैंने बोला कि मैं परेशान हूं बोला कि मैं निपटाकर ही आऊंगा. आप तैयारी करो मैं आ जाऊंगा. सुबह उसके साथी ने बताया कि वो शहीद हो गया है.  सुबह-सुबह 7:15 बजे के पास कुछ मैसेज भी किया है, लड़के को बस यही बात हुई थी. "


रोते-रोते मां ने कही ये बात
सचिन की मां भगवती देवी ने बताया कि "कल उसने अपने पापा से बात की मुझसे बात करने की कह रहा था पर मैं खाना खा रही थी. बोला थोड़ी देर बाद फोन करूंगा. मुझसे उसकी बात नहीं हुई. उसकी अपने पापा से ही बात हुई थी. उसको दूध दही खाने का बहुत शौक था घी खाता था. घर पर झंडा लगवाया था, आर्डर करके गमले भेजे थे." 


शहीद के घर पहुंचे बीजेपी के जिला अध्यक्ष कृष्ण पाल सिंह ने बताया कि सचिन पारिवारिक भतीजा था और वह इतना बेहद शालीन था जब कभी गांव में आता था तो हर घर जाता था. अभी जब गया था यहां से तब भी वह मुझसे मिलकर गया कि चाचा जी मैं जा रहा हूं. 6:30 फुट उसकी हाइट थी इतना मेहनती मैंने नहीं देखा. आर्मी में लगने के बाद भी उसका व्यवहार बहुत अच्छा था. 


ग्राम प्रधान यादवेंद्र सिंह ने कहा कि सचिन के पिता किसान है और उसका एक बड़ा भाई है जो नेवी में है. वो बचपन से ही कमांडो बनना चाहता था. वो कहता था कि मैं अपने गांव का नाम रोशन करूंगा. 8 दिसंबर को उसकी शादी होने वाली थी, सारी तैयारियां हो की जा चुकी थीं.