UP Politics: सपा को चुनौती नहीं दे रही बीजेपी! जयंत चौधरी के साथ आने के बाद भी नहीं भर रही दम, जानें क्यों?
UP Politics: रालोद चीफ जयंत चौधरी का साथ हासिल करने के बाद भी बीजेपी, समाजवादी पार्टी को सीधी चुनौती देने से बच रहा है. ऐसे क्यों? यहां जानें- 3 बड़ी वजहें.
UP Rajya Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में इस साल राज्यसभा की 10 सीटें खाली हैं, जिनके निर्वाचन की प्रक्रिया जारी है. इन 10 सीटों में से 7 पर भारतीय जनता पार्टी और 3 सीटों पर समाजवादी पार्टी की जीत तय मानी जा रही है. हालांकि भारतीय जनता पार्टी अगर 8वां कैंडिडेट भी मैदान में उतार दे तो सपा के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी और 1 उम्मीदवार के लिए इलेक्शन होगा.
हर सीट पर जीत के लिए राजनीतिक दलों को 37 वोटों की जरूरत होगी. बात सपा की करें तो फिलहाल उसे 111 विधायकों की जरूरत है. 108 विधायक सपा के पास हैं और 2 विधायक कांग्रेस के पास है. ऐसे में सपा को 1 वोट की जरूरत होगी. यूपी की 403 सीटों वाली विधानसभा में फिलहाल 399 विधायक हैं. 4 सीटें खाली हैं.
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राजनीतिक जानकारों की मानें तो सपा के लिए 1 वोट का जुगाड़ करना बड़ी बात नहीं है. जानकारों का यह भी मानना है कि भारतीय जनता पार्टी नहीं चाहती है कि राज्यसभा में निर्वाचन और मतदान की स्थिति आए. माना जा रहा है कि बीजेपी को यह बात पता है कि अगर सिर्फ 1 वोट की बात हुई तो बहुजन समाज पार्टी, सपा के प्रत्याशी की मदद कर सकती है.
इतना ही नहीं आशंका इस बात की भी है कि ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से भी वह विधायक सपा की मदद कर सकते हैं जो साल 2022 में नेता तो अखिलेश यादव की पार्टी के थे लेकिन सुभासपा के सिंबल पर चुनाव लड़ा था.
रालोद में भी टूट के आसार?
उधर, राष्ट्रीय लोकदल भले ही बीजेपी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए का रुख कर रहा हो लेकिन खबरें हैं कि उसके भी कुछ विधायक इस फैसले से नाराज हैं. ऐसे में वह भी सपा के प्रत्याशी को राज्यसभा की एक सीट पर चुनाव की स्थिति में मदद कर सकते हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर लोकसभा चुनाव के पहले सुभासपा या रालोद में टूट की आशंका बनी तो यूपी में उसके गठबंधन बनाने की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है. इसके अलावा बसपा अगर सपा को राज्यसभा में मदद करेगी तो भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (I.N.D.I.A.) में उसके भी एंट्री संभावना है जो कि बीजेपी के लिए लोकसभा चुनाव में मुश्किल खड़ी कर सकता है.