Rajya Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने राज्यसभा चुनाव का एलान कर दिया है. नामांकन 8 फ़रवरी से 15 फ़रवरी के बीच किया जाएगा और वोटिंग 27 फरवरी को वोटिंग होगी और उसी दिन वोटों की गिनती भी हो जाएगी. उत्तर प्रदेश की दस और उत्तराखंड की एक सीट पर चुनाव होना है. जिसके लिए सियासी हलचल तेज़ हो गई है. पक्ष-विपक्ष के दावेदार अपना नाम पक्का करने के लिए अब पार्टी दफ़्तर के चक्कर काटने शुरू हो गए हैं.
उत्तर प्रदेश की जिन दस सीटों पर राज्य सभा चुनाव होना हैं, उनमें से एक सीट पर सपा और बाक़ी नौ सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. 2022 के विधानसभा चुनाव में जिस तरह से सपा की सीटें बढ़ी हैं उससे सपा को फ़ायदा होगा और सपा के पास अपनी एक सीट को दो या तीन करने का मौक़ा है. उत्तराखंड में एक बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता अनिल बलूनी की सीट पर चुनाव होना है.
इनका कार्यकाल होगा पूरा
उत्तर प्रदेश में बीजेपी की बात करें तो यहां से अशोक वाजपेयी, अनिल जैन, अनिल अग्रवाल, कांता कर्दम, सकलदीप राजभर, जीवीएल नरसिम्हा राव, सुधांशु त्रिवेदी, हरनाथ सिंह यादव और विजय पाल तोमर का कार्यकाल अप्रैल 2024 में खत्म होने जा रहा है. इसके साथ ही समाजवादी पार्टी की राज्यसभा सांसद जया बच्चन का कार्यकाल भी अप्रैल में खत्म होगा. ऐसे में सवाल ये भी उठाए जा रहे हैं कि क्या बीजेपी और सपा अपने पुरानी ही प्रत्याशियों पर दांव चलेगी या फिर कोई नए चेहरे दिखाई दे सकते हैं.
नए चेहरों पर दांव लगा सकती है बीजेपी
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक़ बीजेपी अपने आधे से ज़्यादा चेहरों में बदलाव कर सकती है. सपा के पीडीए फ़ॉर्मूले की काट के लिए पार्टी कोई जातीय समीकरण यहां बिठा सकती है. ख़बरों के मुताबिक़ राज्यसभा चुनाव में सोशल इंजीनियरिंग देखने को मिल सकती है. आँकड़ों के मुताबिक बीजेपी की एक सीट तो पहले से ही कम हो सकती हैं. ऐसे में उन मौजूदा सदस्यों को दोबारा मौका मिलने की संभावना कम हो जो पार्टी के सामाजिक समीकरण में फ़िट नहीं होते.
सूत्रों के मुताबिक मौजूदा सदस्यों में से बीजेपी की ओर से सुधांशु त्रिवेदी और विजयपाल तोमर को दोबारा राज्यसभा भेजा जाना लगभग तय है. जबकि डॉ. अशोक बाजपेयी, डॉ. अनिल जैन, सकलदीप राजभर और हरनाथ सिंह यादव की जगह नया उम्मीदवार दिख सकता है वहीं जीवीएल नरसिम्हा राव, डॉ. अनिल अग्रवाल का टिकट कट सकता है. इधर सपा की बात करें तो सपा एक बार फिर जय बच्चन पर दांव लगा सकती है. इसके अलावा दो अन्य सीटों पर दलित, ओबीसी या अल्पसंख्यक वर्ग से किसी को मौका दे सकती है.