यूपी के 10 सीटों पर राज्यसभा चुनाव नौ नवंबर को, नामांकन शुरु हुआ, जातीय समीकरण साधने में जुटी बीजेपी
यूपी में 10 सीटों पर राज्यसभा चुनाव होने हैं. इसके लिये 9 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. बीजेपी 10 में से 9 सीट पर जीत का दावा कर रही है. ये पक्की भी समझी जा रही है. इसी को देखते हुये समीकरण साधे जा रहे हैं.
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में राज्यसभा के 10 सीटों पर चुनाव 9 नवंबर को होने हैं. हालांकि 10 सीटों का कार्यकाल वैसे तो 25 नवंबर को खत्म हो रहा है. लेकिन चुनाव आयोग ने जो कार्यक्रम भेजा है उसके मुताबिक 9 तारीख को ही वोटिंग होगी और उसके बाद उसी दिन नतीजे भी घोषित कर दिए जाएंगे. वर्तमान में इन 10 सीटों में से तीन पर बीजेपी का कब्जा है, लेकिन विधानसभा में विधायकों की संख्या के लिहाज से माना जा रहा है कि बीजेपी इस बार 9 सीटों पर कब्जा जमा लेगी. ऐसे में पार्टी उन तीनों उम्मीदवारों को तो दोबारा राज्यसभा भेजने की तैयारी में है लेकिन बाकी 6 सीटों के लिए 2022 के चुनाव को ध्यान में रखते हुए पार्टी जाति समीकरण भी साधने में जुटी है.
राज्यसभा के लिये नामांकन शुरु
राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया आज से शुरू हो गई है. उम्मीदवार 27 अक्टूबर तक अपना नामांकन कर सकते हैं. समाजवादी पार्टी ने एक सीट पर प्रोफेसर रामगोपाल यादव के उम्मीदवारी का ऐलान भी कर दिया है और वह बुधवार को अपना नामांकन भी कर सकते हैं. जबकि बीजेपी ने अभी अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान नहीं किया है. दरअसल पिछली बार इन 10 सीटों में से बीजेपी के कब्जे में 3 सीटें थी लेकिन इस बार यह संख्या बढ़कर लगभग 9 हो सकती है. यही वजह है कि बीजेपी इन राज्यसभा चुनाव को 2022 विधानसभा चुनाव से पहले जातीय समीकरण साधने की तैयारी कर रही है. वहीं, हाथरस की घटना से दलितों के बीच जो एक आक्रोश फैला है, पार्टी की कोशिश है कि दलित समाज के बड़े नेता को राज्यसभा भेजकर इस आक्रोश को भी कुछ कम किया जाए.
जातीय समीकरण का कार्ड
सूत्रों के मुताबिक जिन नामों पर पार्टी दांव लगा सकती है, उनमें तीन तो वर्तमान में राज्यसभा के सदस्य हैं, जिनमें केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर शामिल हैं. इसके अलावा लंबे समय से यह कहा जा रहा है कि ब्राह्मण बीजेपी से नाराज चल रहे हैं इसलिए पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेई का नाम जोर शोर से इस बार राज्यसभा भेजे जाने वाले उम्मीदवारों की लिस्ट में सबसे ऊपर है. इसके अलावा दलित वर्ग से भी किसी बड़े लीडर को राज्यसभा भेजा जा सकता है. वहीं, बैकवर्ड समाज से भी दो लोगों को उम्मीदवार बनाया जा सकता है.
साथ ही एक महिला उम्मीदवार को भी पार्टी राज्यसभा भेज सकती है. जिन नामों को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा है उनमें विजय सोनकर शास्त्री, उमा भारती, प्रदेश कार्यसमिति से गोविंद नारायण शुक्ला का नाम भी प्रमुख है. जबकि पिछली बार पार्टी ने उत्तर प्रदेश के बाहर के उम्मीदवार जफर इस्लाम को यूपी के कोटे से राज्यसभा भेजा तो ऐसे में इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि दो नाम केंद्रीय आलाकमान की तरफ से भी उत्तर प्रदेश भेजे जा सकते हैं. इनमें उड़ीसा से आने वाले संबित पात्रा और दूसरे हैं श्याम जाजू.
केंद्रीय आलाकमान तय कर सकता है नाम
पार्टी के प्रवक्ता कह रहे हैं कि जाहिर सी बात है जब सीटें ज्यादा हैं तो 12 नाम केंद्रीय आलाकमान भी तय कर सकता है. लेकिन ज्यादा तवज्जो प्रदेश के कार्यकर्ताओं को ही मिलेगी.
वहीं, राजनीतिक विश्लेषकों का भी यह साफ मानना है कि राज्यसभा के उम्मीदवारी 2022 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बीजेपी तय करेगी. इनमें जातियों का प्रभाव साफ तौर पर देखने को मिल सकता है।
बीजेपी ने राज्यसभा उम्मीदवारों को लेकर अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. हालांकि तमाम लोग अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए दिल्ली दफ्तर के चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन उम्मीदवारों के नाम पर आखिरी फैसला 23 अक्टूबर के बाद होगा. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बिहार में रैली हो जाएगी. संभावना इस बात की है कि 26 अक्टूबर को पार्टी के सारे उम्मीदवार एक साथ नामांकन करें.
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