UP Politics: उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटों के लिए 27 फरवरी को मतदान होना है. इससे पहले समाजवादी पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. शुक्रवार को कानपुर की एक अदालत द्वारा सपा विधायक इरफान सोलंकी की याचिका खारिज कर दी जिसमें यह मांग की गई थी कि उन्हें वोट करने की अनुमति दी जाए. इससे पहले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के विधायक और सपा नेता अब्बास अंसारी को भी अदालत ने अनुमति नहीं दी थी. ऐसे में अब नंबरगेम बदलता नजर आ रहा है.
403 विधायकों वाली यूपी विधानसभा में पहले ही 399 विधायक मतदान के लिए योग्य थे क्योंकि 4 सीटें खाली हैं. अब जबकि जेल में बंद दो विधायकों को वोट करने की अनुमति नहीं दी गई है ऐसे में यह संख्या घटकर 397 रह गई है. हालांकि 1 राज्यसभा सांसद के लिए अभी भी 37 वोट की ही जरूरत है लेकिन सपा पर दबाव बढ़ता नजर आ रहा है.
कांग्रेस सपा के साथ...
विधानसभा में फिलहाल सपा की विधायकों की संख्या 108 है लेकिन इरफान को अनुमति न मिलने के बाद संख्या 107 हो गई है. सपा को अगर अपने सभी प्रत्याशियों को जीत दिलाना है तो उसे 111 वोट की जरूरत होगी. अब चूंकि यूपी में सपा और कांग्रेस में अलायंस हो गया है ऐसे में कांग्रेस के 2 विधायक भी सपा के प्रत्याशियों को वोट कर सकते हैं जिसके बाद कुल विधायकों का आंकड़ा 109 तक पहुंच रहा है. अभी भी 2 विधायकों की कमी है.
ऐसे में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के राज्यसभा प्रत्याशियों की नैया, राजा भैया के हाथ में आती दिख रही है. जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के दो विधायक हैं. माना जा रहा है कि अगर सपा प्रमुख और राजा भैया के बीच सियासी अदावत खत्म हुई तब तो अखिलेश की मुश्किलें कम हो सकती हैं लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो यूपी के पूर्व सीएम को अन्य दलों की क्रॉस वोटिंग पर निर्भर रहना होगा.
विधानसभा में निषाद पार्टी के 6, सुभासपा के 6, अपना दल एस के 13, बीजेपी के 252, कांग्रेस के 2, बसपा के 1 विधायक हैं. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राजा भैया अपने एक अन्य साथी विधायक के साथ किसको वोट करेंगे. अगर उन्होंने 6 साल पुरानी कहानी दोहराई तो सपा का तीसरा प्रत्याशी के हारने की आशंका ज्यादा है. अगर उन्होंने सपा का साथ दिया तो बीजेपी के 8वें उम्मीदवार संजय सेठ के लिए भी मुश्किलें कम नहीं होंगी.