Rakesh Tikait Ultimatum: लखीमपुर खीरी हिंसा का मामला लगातार बढ़ता जा रहा है. इस मामले को लगभग 10 दिन हो चुके हैं, लेकिन मामला ठंडा पड़ता नहीं दिखाई दे रहा है. ऐसे में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने एक और बयान जारी किया है. लखीमपुर हिंसा के मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के इस्तीफे की मांग की है. राकेश टिकैत ने कहा है कि जबतक अजय मिश्रा अपने पद पर बने रहेंगे तबतक निष्पक्ष जांच होने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है, और अगर अजय मिश्रा अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे तो हम इसके लिए भी आंदोलन करने के लिए तैयार हैं.
केंद्रीय मंत्री की गिरफ्तारी ना होने पर पंचायत
राकेश टिकैत ने मंगलवार को लखीमपुर खीरी में कहा कि, “अगर केंद्रीय मंत्री का इस्तीफा नहीं होगा तो यहां से आंदोलन की घोषणा करेंगे, जिसको लेकर लखनऊ में किसानों की बड़ी पंचायत की जाएगी. लखीमपुर मामले में राकेश टिकैत ने बताया कि, हिंसा में मारे गए किसानों के अस्थि कलश देश के हर ज़िले में जाएंगे, लोग उन्हें श्रद्धांजलि देंगे.
24 अक्टूबर को किसानों की अस्थियां प्रवाहित की जाएंगी
24 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए किसानों की अस्थियां प्रवाहित होंगी. राकेश टिकैत ने कहा कि, हिंसा में मारे गए किसानों की अस्थियां 24 अक्टूबर को प्रवाहित की जाएंगी. वहीं, 26 तारीख को लोग लखनऊ पहुंचेंगे. बता दें कि, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के अलावा विपक्षी दल भी अजय मिश्रा के इस्तीफे की मांग कर चुके हैं. कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि, अजय मिश्रा के मंत्री रहते इस मामले में निष्पक्ष जांच मुमकिन नहीं है.
इस्तीफा लेने के मूड में नहीं है बीजेपी
अगर भाजपा की बात की जाए तो अजय मिश्रा गृह राज्य मंत्री भाजपा के सभी कार्यक्रमों में लगातार हिस्सा ले रहे हैं, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भाजपा अजय मिश्रा से इस्तीफा लेने के मूड में नहीं है. लेकिन लखीमपुर खीरी के हिंसा तो थम गई है लेकिन इस पर बवाल लगातार मचा हुआ है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि, उत्तर प्रदेश के 2022 विधानसभा चुनाव का मुद्दा अब लखीमपुर खीरी के हिंसा बनने जा रही है.
बहरहाल, किसान मुद्दे पर राजनीति गर्माती जा रही है, और इस बीच भारत के 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. जिसके चलते इस गरमाई हुई किसान की राजनीति का असर इन पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव पर पड़ना तय माना जा रहा है, जिसमें सबसे ज्यादा असर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के विधानसभा चुनावों को जोड़कर देखा जा रहा है.
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