Farmers Protest: गाजीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत से एबीपी गंगा ने खास बातचीत की. आज 'किसान संसद' का दूसरा दिन है. पहले दिन कैसे संसद संचालित हुई इस पर राकेश टिकैत ने बताया कि कई बड़े नेता मौजूद हैं, युद्धवीर सिंह मौजूद हैं और किसान कानून वापसी की बात हुई है.

  
मीनाक्षी लेखी के बयान पर राकेश टिकैत ने कहा कि उसपर उन्होंने माफी मांग ली है, उन्होंने किसी के कहने पर बयान पढ़ा होगा लेकिन अब उनकी माफी के बाद मुद्दा समाप्त है. टिकैत ने कहा कि 25 तारीख तक भारी तादाद में ट्रैक्टर यहां पर पहुंचेंगे और किसान भारी तादाद में आएंगे. किसान दिल्ली का रास्ता नहीं भूलेंगे और सरकार को भी 26 तारीख भूलने नहीं देंगे. किसान पीछे हटने वाला नहीं है, किसान पीछे हटेगा भी नहीं. उन्होंने कहा कि दो जिलों से किसान पहुंचेंगे और किसान संसद में भी हमारे कई मुद्दों पर बातचीत चल रही है.


बता दें कि केन्द्रीय विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी की तरफ से गुरुवार की दोपहर प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान तीन नए कृषि कानूनों पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को मवाली कहने पर चौतरफा आलोचना की जा रही थी. इधर मीनाक्षी लेखी ने अपने बयान को तोड़मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया. उन्होंने अपने बयान पर गुरुवार की शाम को सफाई देते हुए कहा कि उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस का किसानों से कोई लेना-देना ही नहीं था.


टिकैत ने कहा, ''हमारा आंदोलन शांतिपूर्वक चल रहा है और चलता रहेगा. देश जब आजाद हुआ था तो 90 सालों तक आंदोलन चलता रहा. यह आंदोलन भी किसानों की आज़ादी का आंदोलन है.'' उन्होंने कहा कि विपक्ष को किसानों के मुद्दे, जासूसी के मुद्दे, महंगाई के मुद्दे उठाने चाहिए. जो भी सांसद मुद्दा नहीं उठाएगा हम उसका बहिष्कार करेंगे.


हमारे फोन भी टैप होते हैं- राकेश टिकैत


राकेश टिकैत ने कहा कि हमें पता है कि हमारे फोन भी टैप होते हैं, हम तो आंदोलन की बात करते है और चैंनल के माध्यम से बताकर करते हैं. वहीं पंचायत पर टिकैट ने कहा कि 5 सितंबर को बड़ी पंचायत होनी है, पंचायत में भीड़ पहुंचेगी. एक रूपरेखा बनाएंगे लेकिन अभी पंचायत में संख्या का कोई अनुमान नही है.


किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि जंतर मंतर पर जो संसद चल रही है, उसमे हमने किसानों की बात सुनी. हमने यह बता दिया है कि किसान भी संसद लगा सकता है. हम किसान संसद से बिल पास करेंगे. जो भी कानून बनाए हैं, उसे रिजेक्ट करेंगे और भारत सरकार को भेजेंगे. जब तक भारत सरकार की संसद चलेगी तब तक किसान संसद चलेगी.


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