Raksha Bandhan 2022: गोरखपुर में इको फ्रेंडली टेराकोटा से बनी राखियों की प्रदर्शनी, डोरेमोन और मोटू-पतलू भी हैं खास
Raksha Bandhan 2022: गोरऱखपुर में पेशे से महिला डॉक्टर ने टेराकोटा की अलग ब्रांडिंग की है. उन्होंने टेराकोटा की राखियों की प्रदर्शनी लगाकर पर्यावरण को सुरक्षित रखने का संदेश दिया है.
Raksha Bandhan 2022: भाई और बहन के बीच अटूट रिश्ते का प्रतीक रक्षा बंधन पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है. भाई की कलाई पर राखी बांधकर बहन लंबी उम्र की कामना करती है. प्लास्टिक और चाइनीज राखियों से पटा बाजार इस बार इको-फ्रेंडली और स्वदेशी होने जा रहा है. बाजार में इको फ्रेंडली टेराकोटा से बनी राखियां छाने को तैयार हैं. गोरखपुर के पार्क रोड स्थित होटल में डॉ भावना सिंघल ने टेराकोटा से बनी राखियों की प्रदर्शनी लगाई है. टेराकोटा यानी मिट्टी से बने उत्पाद.
वन डिस्ट्रिक-वन प्रोडक्ट में टेराकोटा शामिल
उनका कहना है कि औरंगाबाद के शिल्पकारों ने मिट्टी से बने टेराकोटा शिल्प को देश और दुनिया में पहचान दी. लेकिन बाजार और शिल्प के अच्छे दाम नहीं मिलने से शिल्पकार महज जीवन-यापन तक ही सीमित रख सके. 2017 में बीजेपी की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद टेराकोटा को वन डिस्ट्रिक-वन प्रोडक्ट में शामिल किया गया. टेराकोटा शिल्पकारों के पास अब पारंपरिक टेराकोटा उत्पादों की भारी मांग आ रही है और शिल्पाकारों को बड़ा बाजार भी मिला है.
महिला डॉक्टर अलग पहचान दिलाने में जुटी
भावना सिंघल ने डिजाइन देकर टेराकोटा को नया रूप दिया है. उन्होंने डोरेमोन और मोटू-पतलू सरीखें अनेक किरदारों वाले चित्रों के साथ राखियों की प्रदर्शनी लगाई है. टेराकोटो की इको-फ्रेंडली राखियों को लेकर भावना सिंघल काफी संजीदा हैं. शिल्पकारों को बड़े पैमाने पर आर्डर देने के साथ ही टेराकोटा को अलग रूप में पहचान दिलाना मकसद है. गोरखपुर में पार्क रोड पर सिटी रिगालिया अपार्टमेंट निवासी मयंक अग्रवाल की पत्नी भावना मूल रूप से दिल्ली की रहने वाली हैं. हालांकि शादी के बाद भावना गोरखपुर सेटल हो गई हैं.
‘ईला अर्थ एंड आर्ट’ ब्रांड के तहत अनेक स्वदेशी प्रोडक्ट को लांच करने वाली भावना पेशे से डॉक्टर हैं. उन्होंने बताया कि टेराकोटा के हाथी-घोड़ा सरीखे पारंपरिक उत्पादों से थोड़ा अलग हटकर पहचान देने की कोशिश की है. उन्होंने बताया कि बाजार चाइनीज और प्लास्टिक की राखियों से पटा हुआ है. वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने टेराकोटा को अलग पहचान दी है. भावना मुख्यमंत्री की पहल को आगे बढ़ाना चाहती हैं. सरकार की तरफ से ब्रांडिंग का दायरा ग्लोबल होने पर पारंपरिक शिल्प में नवाचार की झड़ी लग गई है.
भाइयों की कलाइयों पर सजने को हैं तैयार
मिट्टी की ज्वेलरी के बाद भाइयों की कलाइयों पर सजने को टेराकोटा की राखियां भी तैयार हो गई हैं. डिजाइन, रंगत और फिनिशिंग देखकर यकीन नहीं होगा कि टेराकोटा की राखियां मिट्टी से बनाई गई हैं. भावना सिंघल ने बताया कि टेराकोटा शिल्पकारों को डिजाइन और आर्डर देकर राखियों को तैयार कराया. परंपरागत खूबसूरती के साथ बच्चों की पसंद को ध्यान में रखकर भी राखियां तैयार करवाई गई हैं. इको-फ्रेंडली राखियां मिट्टी से बनी हैं. इसलिए पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचता है.
टेराकोटा की राखियों को मिल रही प्रशंसा
मुख्य अतिथि के रूप में आईं पूर्व महापौर डॉ सत्या पाण्डेय ने डॉ भावना सिंघल की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने टेराकोटा की अलग ब्रांडिंग की है. ब्रांडिंग से शिल्पकारों को काम मिलने के साथ राखियों को देखकर यकीन नहीं होता है कि मिट्टी की बनी हुई हैं. मिट्टी की बनी टेराकोटा की राखियों की सबसे खास बात है कि न तो इसमें प्लास्टिक का इस्तेमाल हुआ है और न ही चाइनीज राखियों से किसी मायने में कम हैं. सबसे खास बात है कि टेराकोटा की राखियां इको-फ्रेंडली हैं और पर्यावरण के लिए भी हानिकारक नहीं हैं.
यूपी में स्वतंत्रता दिवस पर स्कूल, कॉलेज और दफ्तरों में छुट्टी नहीं, योगी सरकार का बड़ा फैसला
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ओडीओपी (वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट) में शामिल करके टेराकोटा को अलग पहचान दी है. अब भावना ने पहल को आगे बढ़ाकर टेराकोटा को पारंपरिक बाजार से अलग पेश किया है. प्रदर्शनी देखने आईं मल्लिका मिश्रा ने टेराकोटा से बनी राखियों को देखकर हैरानी जताई और कहा कि आमतौर पर बाजार में बिकने वाली राखियों से बिल्कुल अलग हैं. उन्होंने कहा कि टेराकोटा की राखियां लोगों को खूब लुभा भी रही हैं. सबसे खास बात है कि मिट्टी से राखियां बनी हैं और पर्यावरण को नुकसान भी नहीं पहुंचेगा.
चाइनीज और प्लास्टिक की राखियों के बीच निश्चित तौर पर टेराकोटा से बनी राखियां टेराकोटा को अलग पहचान देंगी. योगी सरकार कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) के जरिये टेराकोटा की ब्रांडिंग को और मजबूत करने जा रही है. गोरखपुर में दो सीएफसी बनाए जा रहे हैं. सीएफसी बनने से टेराकोटा शिल्पियों को एक ही छत के नीचे गुणवत्ता जांच, ट्रेनिंग समेत सभी सुविधाएं मिलने लगेंगी. इससे टेराकोटा के बाजार का और भी विस्तार होगा. सरकार के ही प्रयासों से टेराकोटा उत्पाद कई ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं.