गोरखपुर: भाईयों की कलाई पर नेह की डोर बांधने के लिए बहनें गोरखपुर के मंडलीय कारागार (जेल) पहुंची. जेल के बाहर सुबह से ही अंदर किसी न किसी जुर्म में विचाराधीन और सजा काट रहे बंदियों को राखी बांधने के लिए बहनों की लम्‍बी कतार लग गई. रक्षाबंधन के पावन पर्व पर भले ही भाई जेल में बंद हैं. ये इस पवित्र रिश्‍ते की ताकत ही है, जो बहनों को जेल तक खींच ले आई है. भले ही भाई जेल में है, लेकिन बचपन से ही जिसे राखी बांधती चली आईं, उन बहनों का मोह भला कैसे कम हो सकता है.


गोरखपुर के बिछिया में मंडलीय कारागार पर सुबह से ही दूर-दराज के ग्रामीण इलाके और अलग-अलग शहरों से आई बहनों की लंबी कतार लग गई. हाथ में आरती और पूजा की थाल में राखी, चंदन, रोली और मिठाई की थाल के साथ वे घंटों लाइन में खड़ी रहीं. साल में एक बार जेल के बाहर ये नजारा देखने को मिलता है. दूर से ही जेल के बाहर मेले जैसा माहौल दिखाई देता है. बहनें भी भाई-बहन के प्‍यार के प्रतीक इस पर्व को मनाने और राखी बांधने के लिए यहां पर आती हैं.


मंडलीय कारागार पर भाई को राखी बांधने के लिए कतार में लगी काजल डेढ़ साल बाद भाई को राखी बांधने के लिए आई हैं. वे कहती हैं कि सरकार की ये अच्‍छी पहल है. वे कहती हैं कि भाई-बहन के प्‍यार के रिश्‍ते को कायम रखने के लिए सरकार की पहल की वो सराहना करती हैं. काजल की आंखों में आंसू हैं, क्‍योंकि वे डेढ़ साल बाद भाई से मिलेंगी और वो भी रक्षाबंधन के दिन उनकी भाई से मुलाकात होगी. सवालों के जवाब देते हुए भी उनका गला रुंध जाता है.


पुष्‍पा भी गोरखपुर के बेनीगंज से यहां पर भाई को राखी बांधने के लिए आई हैं. वे कहती हैं कि सरकार ने आज भाईयों को राखी बांधने का अवसर दिया है. वे सरकार की इस पहल की सराहना करती हैं. उन्‍होंने कहा कि वे भाई से चार महीने बाद मिलने जा रही हैं. 


वहीं गोरखपुर के बलुआ से यहां पर भाई को राखी बांधने के लिए आईं रश्मि भी आज काफी खुश हैं. वे कहती हैं कि वे 22 मार्च के बाद भाई से मिलने के लिए आ रही हैं. उन्‍होंने बताया कि आज रक्षाबंधन का पर्व है. उन्‍हें काफी अच्‍छा लग रहा है. सरकार की इस पहल से बहनों को भाईयों को राखी बांधने का सौभाग्‍य मिला है.