लखनऊ: विधानसभा की कार्यवाही के दौरान राज्यपाल के अभिभाषण पर बोलते हुए नेता विरोधी दल राम गोविंद चौधरी ने बयान दिया है. उन्होंने कहा कि, कोरोना काल में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा. जिसमें लिखा गया कि हमारे विधायक निधि से पत्रकारों, सफाईकर्मियों को कोरोना किट की मदद की जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. यही नहीं, उन्होंने आंदोलनजीवी को लेकर सरकार पर निशाना साधा.


आंदोलन न होता तो देश आजाद न होता


आगे उन्होंने आंदोलनजीवी पर बोलते हुए कहा कि, अगर लोगों ने आंदोलन नहीं किया होता तो यह देश आजाद नहीं हुआ होता. गांधी जी ने कहा था कि, इस देश का प्रधानमंत्री किसान होना चाहिए. सपा नेता ने कहा कि, किसान को अन्नदाता के रूप में माना जाए और MSP पर कानून बनाया जाए. वहीं, राम गोविंद चौधरी ने कानून व्यवस्था पर बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा था जीरो टॉलरेंस की नीति है, लेकिन अपराध के आंकड़ों को गिनाते हुए कहा कि, अपराध में एक चरम पर हैं.


इस सरकार में सिर्फ लाठी मिली


राम गोविंद चौधरी ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर, पत्रकार को 50 लाख का बीमा दिया जाए. हमने प्रधानमंत्री से मांग की है कि, पत्रकार को पेंशन क्यों नहीं है, यह चौथा स्तम्भ है. न्यायपालिका, कार्यपालिका विधायिका को पेंशन है तो पत्रकारों को क्यों नहीं? सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि इस सरकार में सिर्फ लाठी ही मिली.


एमएसपी पर घेरा 


वहीं, मजदूरों के पलायन पर चौधरी ने कहा, ''एक महिला अपने बच्चे को ट्रॉली पर लेकर जाने की तस्वीर सामने आई थी'. राम गोविंद चौधरी ने कहा कि, मैंने अपने पुरखों से सीखा है, सदन में असत्य प्रलाप नहीं किया जाता है. MSP पर किसी भी किसान का धान नहीं खरीदा गया. गन्ना किसानों को अभी तक दस रुपये की बढ़ोतरी की गई.


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