Ayodhya News: अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर (Ram Mandir) में पहली मंजिल पर पांच साल के बच्चे के रूप में भगवान राम की मूर्ति स्थापित की जाएगी और गर्भगृह में मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा अगले साल 15 से 24 जनवरी के बीच किसी एक दिन होगी. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने इस संबंध में जानकारी दी है. 


चंपत राय ने सोमवार को यहां बताया, 'अक्टूबर महीने तक मंदिर की सबसे निचले तल का काम पूरा हो जाएगा. इसके बाद उसे सिर्फ अंतिम रूप देना बाकी रह जाएगा. दिसंबर तक यह पूरा हो जाएगा. पांच साल के बच्चे के रूप में भगवान राम की मूर्ति स्थापित की जाएगी.’’ राय ने कहा, 'राम मंदिर में पहली मंजिल पर स्थापित प्रतिमा और गर्भगृह में लगाई जाने वाली मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा अगले साल 15 से 24 जनवरी के बीच किसी एक दिन की जाएगी.'


महासचिव ने कहा कि भूतल पर पूरे परिवार के साथ भगवान राम की मूर्ति स्थापित की जाएगी. अभी दूसरी मंजिल पर कोई मूर्ति स्थापित करने की योजना नहीं है. राय ने कहा, 'दूसरी मंजिल केवल मंदिर को ऊंचाई देने के लिए बनाई जाएगी. वर्तमान में मंदिर के निर्माण में 21 लाख घन फुट ग्रेनाइट, बलुआ पत्थर और संगमरमर का उपयोग किया जा रहा है.'



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निचले तल का 80 फीसदी काम पूरा
उन्होंने कहा, 'राम मंदिर का ढांचा संगमरमर का है, जबकि दरवाजे महाराष्ट्र से लायी गयी सागौन की लकड़ियों से बने हैं. उन पर नक्काशी का काम भी शुरू हो गया है. मंदिर में 1000 साल से अधिक समय तक किसी मरम्मत कार्य की आवश्यकता नहीं होगी.’’ राय ने कहा कि राम मंदिर के निचले तल का 80 फीसदी काम पूरा हो चुका है. इसके 162 खंभे बनकर तैयार हैं और इन खंभों पर 4500 से ज्यादा मूर्तियां गढ़ी जा रही हैं. इसमें 'त्रेता युग' की झलक देखने को मिलेगी.


खंभों की नक्काशी के लिए केरल और राजस्थान के 40 कारीगरों को लगाया गया है. उन्होंने बताया, 'प्रत्येक स्तंभ को तीन भागों में विभाजित किया गया है. हर स्तंभ में 20 से 24 मूर्तियां बनाई जा रही हैं. ऊपरी हिस्से में आठ से 12 मूर्तियां बनाई जा रही हैं. मध्य भाग में चार से आठ मूर्तियां बनाई जा रही हैं. एक कारीगर को एक स्तंभ पर एक मूर्ति बनाने में लगभग 200 दिन लगते हैं.'


राय ने कहा कि मंदिर की नींव 15 फुट गहरी है और पत्थरों से बनी है और निर्माण में किसी भी लोहे या स्टील का उपयोग नहीं किया जा रहा है. 6.5 तीव्रता वाले भूकंप के दौरान भी मंदिर को कोई नुकसान नहीं होगा. सूर्य की किरणें लेंस और दर्पण के माध्यम से मूर्ति पर पड़ेंगी.