Ayodhya News: उत्तर प्रदेश के अयोध्या (Ayodhya) में निर्माणाधीन मंदिर के लिए भगवान राम की मूर्ति को तराशने के लिए और चट्टानों को लाए जाने की संभावना है. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सचिव चंपत राय ने कहा, हम चट्टानों का तकनीकी अध्ययन करेंगे ताकि यह जांचा जा सके कि परिवहन के दौरान इन्हें कोई नुकसान, मलिनकिरण या डेंट नहीं हुआ है. यदि ऐसा है, तो ये चट्टानें किसी काम की नहीं होंगी. हम जल्द ही इस उद्देश्य के लिए इसी तरह की तीन और चट्टानें ला रहे हैं.


राम मंदिर ट्रस्ट ने कहा कि वे इस उद्देश्य के लिए अलग-अलग जगहों से इसी तरह की तीन और शिलाएं लाएंगे. राय ने कहा, अयोध्या में शालिग्राम शिलाओं को भेजना नेपाल के संतों का निर्णय था. इन शिलाओं को राम जन्मभूमि के परिसर के अंदर नहीं ले जाया गया है और विश्व हिंदू परिषद के एक स्थल राम सेवक पुरम में रखा गया है.


अगले साल जनवरी में तैयार हो जाएगी राम लला की मूर्ति
इससे पहले, ट्रस्ट के सदस्यों ने कहा था कि वीएचपी के पदाधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल, इसके राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र सिंह पंकज के नेतृत्व में, 25 जनवरी को नेपाल के मस्तंग जिले से रवाना हुए शिलाओं के साथ आया था और 2 फरवरी की देर रात अयोध्या पहुंचा था, जिसने छह दिनों में 350 किलोमीटर से अधिक की यात्रा की. राम के बाल-रूप की मूर्ति अगले साल जनवरी में मकर संक्रांति तक तैयार होने की उम्मीद थी.


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इससे पहले अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर के लिए शिलाएं नेपाल से लाई गई हैं. इनका नाम शालिग्राम शिलाखंड हैं जो कि नेपाल की गंडकी नदी (बड़ी गंडक) में पाए जाते हैं. शालीग्राम को भगवान विष्णु की प्रतिमूर्ति माना जाता है. इसी पत्थर से हिंदू घरों और मंदिरों में पूजे जाने वाले ठाकुरजी बनते हैं.