अयोध्या. राम जन्मभूमि परिसर में भव्य राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गई है. यह पूरी प्रक्रिया चरणों में बांटी गई है, यानि राम मंदिर निर्माण के लिए किस चरण में क्या क्या कार्य होंगे, इसकी पूरी कार्य योजना तैयार कर ली गई है. हम आपको चरणबद्ध ढंग से खींचे गए इस पूरे खाके को और राम मंदिर निर्माण की पूरी प्लानिंग को समझाते हैं और यह भी बताते हैं कि आखिर राम मंदिर निर्माण की शुरुआत कब और कैसे होगी ?


समतलीकरण का काम


अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के पहले चरण का कार्य शुरू हो गया है. इस चरण में 20 अप्रैल से ही राम जन्मभूमि परिसर के 70 एकड़ भूमि का समतली करण किया जा रहा है. समतलीकरण के साथ-साथ उग आये झाड़-झंखाड़ और पेड़ पौधों की कटाई और छंटाई का काम भी किया जा रहा है. इसी के साथ-साथ राम मंदिर दर्शन मार्ग पर राम जन्मभूमि परिसर में बनी बैरिकेटिंग को पूरी तरह हटा दिया गया है, जिससे भूमि के समतलीकरण का कार्य समुचित ढंग से किया जा सके.


वहीं इस बीच एलएनटी का 5 सदस्यीय इंजीनियरों का दल भी राम जन्मभूमि परिसर में भूमि के परीक्षण का कार्य कर रहा है. एलएनटी की टीम भूमि की स्वायल टेस्टिंग का कार्य कर रही है. इस परीक्षण से इस बात का अनुमान लगाया जाता है कि किस स्तर पर उक्त भूमि कितना भार उठाने में सक्षम है. इस परीक्षण के पूर्ण होने के बाद एलएनटी का 50 सदस्यों का श्रमिक दल आएगा, जिसके रहने के लिए राम कारसेवक पुरम में आवास बनाया जाएगा, जिस भूमि पर श्रमिकों का आवास बनेगा उसका निरीक्षण भी कर लिया गया है. एलएनटी परीक्षण के बाद राम मंदिर निर्माण के लिए नींव फाउंडेशन तैयार करेगा.


नींव तैयार करने में लगेंगे 6 से 7 महीने


राम जन्मभूमि परिसर में समतलीकरण और साफ सफाई का काम पूरा होने के साथ ही एलएनटी अपने परीक्षण का कार्य भी पूरा कर लेगी और इसके बाद राम मंदिर निर्माण के बेस फाउंडेशन का काम शुरू करेगी. बताया जाता है कि फाउंडेशन तैयार करने में एलएनटी को लगभग छह से सात महीने का समय लगने वाला है.


इसी बीच दूसरे चरण में राम मंदिर निर्माण कार्यशाला के तराशे गए पत्थरों को राम जन्मभूमि परिसर में रखने के लिए एक शेड का निर्माण किया जाएगा. इसी शेड के नीचे तराशे गए पत्थरों को रखा जाएगा, जिससे तराशे गए पत्थर बरसात में और धूल मिट्टी से खराब ना हो जाएं. यही नहीं राम मंदिर के लिए पत्थरों के तराशने का काम अब राम जन्मभूमि परिसर में ही नव निर्माणाधीन कार्यशाला में किया जाएगा. इसके लिए जिन रास्तों से इन पत्थरों को राम जन्मभूमि परिसर के भीतर ले जाया जाएगा उन रास्तों के किनारों के पेड़ों की छंटाई भी की जा रही है.


विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता के मुताबिक शरद शर्मा ने बताया कि जिस प्रकार से श्री राम जन्मभूमि न्यास का काम चलता रहा, जिस प्रकार से लोग लगे रहे और उन्होंने पत्थरों को ले जाने की जो प्रक्रिया बताई थी कि राम जन्म भूमि जो कार्यशाला है, यहां से चाहे नया घाट होकर ले जाया जाए या पंचकोसी परिक्रमा मार्ग से ले जाए, इस प्रकार से दो मार्गों को उन्होंने चिन्हित किया था. अब वर्तमान में न्यास किस प्रकार से निर्णय लेता है. उसके ऊपर निर्भर करता है. फिलहाल हमारा मानना है कि ट्रस्ट की कार्यशाला अगर वहीं पर स्थापित हो तो मंदिर निर्माण में गति आएगी और गति अगर आएगी तो जो बहुत समय लगने वाला है, वह कम हो जाएगा. उन्होंने कहा कि हमारे संत धर्माचार्य कर रहे हैं कि दो वर्ष लगना चाहिए तो दो से ढाई वर्षों में बन सकता है, अगर कार्यशाला वहीं स्थापित हो.


राम जन्म भूमि परिसर के चारों तरफ विश्व हिंदू परिषद के भगवा झंडे लगा दिए गए हैं. राम मंदिर निर्माण के लिए सामग्री भीतर ले जाने के लिए 17 अक्टूबर 2002 से बंद सड़क मार्ग को 18 वर्षों बाद खोल दिया गया है. यह रास्ता काफी चौड़ा है और अयोध्या की मुख्य सड़क से सीधे राम मंदिर तक पहुंचता है. इस मार्ग के किनारे लगे पेड़ों की टहनियों को काटा जा रहा है, जिससे तराशे गए पत्थरों और तराशने वाले पत्थरों की शिलाओं को भीतर ले जा रही क्रेनो और मशीनों को कोई समस्या ना आए. वहीं इस बात का भी ख्याल रखा जा रहा है कि दर्शन मार्ग से रामलला के दर्शन को जा रहे श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत ना आए और उस मार्ग से सामान ले जाने के बजाय इस चौड़े मार्ग से सामान को लेकर भीतर बिना किसी असुविधा के ले जाया जा सके.


अब आपको हम यह भी बता दें कि राम मंदिर के लिए फाउंडेशन का कार्य कब से शुरू होगा या यूं कहें कि राम मंदिर की नींव कब पड़ेगी ! सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लॉक डाउन 5 के दौरान ही राम मंदिर निर्माण के लिए फाउंडेशन तैयार करने के लिए नींव खुदने और उसके बाद निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा. इसके लिए जून माह के दूसरे सप्ताह में ही एलएनटी के 50 मजदूरों का दल अयोध्या पहुंच जाएगा


प्राचीन शिव मंदिर का होगा निर्माण


राम मंदिर निर्माण शुरू होने से पहले राम जन्मभूमि परिसर के कुबेर टीला में स्थापित प्राचीन शिव मंदिर जिन्हें शशांक शेखर भगवान कहा जाता है, उनकी आराधना और अनुष्ठान किया जाएगा. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी और राम जन्मभूमि न्यास में सदस्य रहे कमल नयन दास की मानें तो यह अनुष्ठान 10 जून से शुरू होगा और इस अनुष्ठान में वह खुद शामिल होंगे.


इस अनुष्ठान के पीछे की कहानी सीधे तौर पर श्री राम के शिव भक्ति से जुड़ी हुई है. लंका विजय के पहले स्वयं श्री राम द्वारा भगवान शिव की आराधना और स्थापना की गई थी. उसी तर्ज पर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के पहले राम जन्मभूमि परिसर में भगवान शिव यानि शशांक शेखर की आराधना और अनुष्ठान किया जाएगा. इसका मकसद यह है कि ऐसा करने से राम मंदिर निर्माण में कोई बाधा नहीं आएगी.


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