Ram Mandir Inaugration: बनारस को धर्म और ज्ञान की नगरी कहा जाता है. देश-विदेश में किसी भी धार्मिक और प्रमुख आयोजन में काशी के धर्माचार्य और विद्वानों की अहम भूमिका होती है और इस परंपरा का निर्वहन आज तक होते चले आ रहा है. भारत भूमि के उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम किसी भी क्षेत्र में होने वाले धार्मिक अनुष्ठान सहित कोई भी प्रमुख कार्य के शुभारंभ को भी काशी के वेद पुराण ज्ञाताओं के हाथों से शुरू करवाने को प्राथमिकता दी जाती है.
इसके पीछे प्रमुख वजह है कि काशी के ज्यादातर घरों में प्राचीन समय से ही वेद पुराण शास्त्रों के जानकार रहते हैं. जिन्होंने अपनी परंपरा का निर्वहन करते हुए अपना संपूर्ण जीवन सनातन संस्कृति को अध्ययन करने और उनकी विविध परंपराओं को सवारने में ही न्योछावर कर दिया है. इस बार भी भगवान रामलला के प्राण प्रतिष्ठा में काशी के विद्वान अहम भूमिका निभाने जा रहे हैं. हम बात कर रहे हैं काशी के पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित की, जो महाराज शिवाजी का राज्याभिषेक कराने वाला गागाभट्ट के परिवार से हैं.
लगभग 350 वर्ष पूर्व छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक करवाने वाले काशी के महापंडित गागाभट्ट के परिवार द्वारा ही राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा आयोजन में मुख्य पुजारी की भूमिका निभाई जा रही है. पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित और उनके बेटे जय कृष्ण दीक्षित प्राण प्रतिष्ठा पूजन करने वाले 121 ब्राह्मण का नेतृत्व कर रहे हैं. जय कृष्ण दीक्षित ने एबीपी लाइव से बातचीत में बताया कि हमारे पूर्वजों द्वारा छत्रपति शिवाजी से लेकर भोपाल, नागपुर, मुंगेर, जयपुर राजघराने का राज्यअभिषेक कराया गया है. यह हमारे लिए अत्यंत हर्ष का विषय है कि हम प्रभु श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा आयोजन में शामिल हो रहे हैं. भगवान काशी विश्वनाथ, मां गंगा और हमारे पूर्वजों का आशीर्वाद है जो हम इस परंपरा का निर्वहन करते हुए आ रहे हैं.
काशी के घर-घर में वेद के ज्ञाता
देश दुनिया के प्रमुख आयोजन में काशी के विद्वानों की प्रमुख भूमिका होती है. इन सवालों को लेकर एबीपी लाइव से बातचीत में जय कृष्ण दीक्षित ने कहा कि देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी ज्ञान की जननी है. यहां लोग हमारे देश से ही नहीं बल्कि दुनिया से अध्ययन करने के लिए आते हैं और सनातन संस्कृति तो सबसे प्राचीन है. ऐसा नहीं कि सिर्फ हमारे ही घर में बल्कि काशी के ज्यादातर घरों में आपको वेद-शास्त्रों के जानकार मिलेंगे. काशी में आज भी इन परंपराओं का निर्वहन किया जाता है. अपने पूर्वजों और पूर्व पीढ़ियों के मार्गदर्शन में हम निरंतर उन सनातन संस्कृतियों को आगे बढाते चले आ रहे हैं .
उन्होंने कहा, ब्रह्माघाट स्थित इस क्षेत्र में ही अनेक ऐसे घर हैं जहां पर लोगों द्वारा पुराने शास्त्रों का विधि विधान से अध्ययन किया गया है और वह भारतीय सनातन संस्कृति के प्रकांड विद्वान हैं और यही वजह है कि देश दुनिया के किसी भी प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन में काशी के विद्वानों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है.