Ram Mandir Opening: 1989 में कामेश्वर चौपाल ने रखी थी राम मंदिर की पहली आधारशिला, अयोध्या के संतों का जताया आभार
Ramlala Pran Pratishtha: राम मंदिर में सबसे पहली आधारशिला कामेश्वर चौपाल ने रखी थी. उन्होंने राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी. कामेश्वर ने अयोध्या के संतों का दिल से आभार व्यक्त किया है.
![Ram Mandir Opening: 1989 में कामेश्वर चौपाल ने रखी थी राम मंदिर की पहली आधारशिला, अयोध्या के संतों का जताया आभार Ram Mandir Inauguration Kameshwar Chaupal laid first foundation stone of Ram temple in 9 November 1989 ANN Ram Mandir Opening: 1989 में कामेश्वर चौपाल ने रखी थी राम मंदिर की पहली आधारशिला, अयोध्या के संतों का जताया आभार](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/01/18/8b14d3f8c21879c2577dd8a09a657a081705596602558664_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Ram Mandir Inauguration: भगवान श्री राम लला का दिव्य भव्य मंदिर बन रहा है और मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को की जाएगी. राम मंदिर आंदोलन में 9 नवंबर 1989 को पहली आधारशिला रखने वाले कामेश्वर चौपाल थे, जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन में बहुत ही अहम भूमिका निभाई थी और फिर 9 नवंबर 2019 को ही राम मंदिर के पक्ष में फैसला भी आया था. 5 अगस्त 2020 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर का भूमि पूजन किया था. 9 नवंबर वह तारीख थी, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई थी. क्योंकि 9 नवंबर को पहली आधारशिला रखी गई और 9 नवंबर को ही राम मंदिर के पक्ष में फैसला भी आया. अब 22 जनवरी 2024 को भगवान राम लाल के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी.
राम मंदिर आंदोलन में पहली आधारशिला रखने वाले कामेश्वर चौपाल ने कहा कि जब मैं पहली बार अयोध्या आया था तब वह स्थान जिस रूप में था, वह किसी भी राम भक्त के लिए दुखद था. दिल में दर्द पैदा करने वाला था और इसी को लेकर के हमलोग लौट करके गए थे. अब यह स्थान नहीं रहेगी. मैं अयोध्या के संतों का महान भावों का हृदय से आज आभार व्यक्त करता हूं. अयोध्या ने उस लड़ाई को 500 वर्षों तक जारी रखा अगर वह 500 वर्षों तक जारी नहीं रहता, तो हमारे जैसे लोग उसमें नहीं जुड़ पाते.
'राम मंदिर का इतिहास जन-जन तक पहुंचा'-कामेश्वर
उस समय हमारे संतों ने और विश्व हिंदू परिषद के लोगों ने आंदोलन को पूरे देश में जन-जन तक पहुंचा दिया था. देश में समृतन जागरण की स्थिति बन गई थी. संतो के आदेश से 1989 में कुंभ के बाद रामशिला का पूजन का कार्यक्रम हुआ था. शीला पूजित होकर के अयोध्या गई थी अयोध्या आने के बाद जो माहौल था हमारे जैसे कार्यकर्ता के हृदय में उत्साह और उमंग भरा हुआ था, लेकिन सरकार के हृदय में भय पैदा करने वाली थी. इसलिए वह अपने भय से भयभीत होकर के यहां पर शिलान्यास होने नहीं देना चाहते थे. हम लोग संकल्प लेकर आए थे कि शिलान्यास करेंगे. राम मंदिर के संघर्ष का दौर पर महाग्रंथ लिखा जा सकता है. वह 1528 से लेकर के आज तक का अगर विस्तार पूर्वक चर्चा करें तो कई दिन लग जाएगा. 76 बार हिंदू समाज को युद्ध लड़ना पड़ा. 3.50 लाख से अधिक लोगों का बलिदान हो चुका है.
राम मंदिर का इतिहास जन-जन तक पहुंच चुका है. वहीं संजय रावत के बयान पर कहा कि संजय रावत से पूछना चाहिए कि आप ही के संरक्षण में अयोध्या था. 1949 से अपने ही ताला लगा के रखा था. आपकी सारी सेना सुरक्षा में लगी थी. यह कैसे विश्व हिंदू परिषद वाले यहां से वहां पहुंच गए या मूर्खता से भरा हुआ बयान है. कुछ दिनों बाद यह भी कहेंगे कि यह जो बनाया गया है, वह यहां था ही नहीं. संपूर्ण देश में लोग देख रहे हैं कि अगर 1 इंच खिसक जाते तो कब का ही समाधान हो गया होता. इसी गर्भ ग्रह की लड़ाई लंबी चली भूमि तो हमको मिल रही थी, लेकिन जहां पर भगवान का जन्म हुआ था वह जन्म स्थल ही हमारे लिए पावन है. वह पवित्र है और उसकी लड़ाई लड़ी गई और उसी स्थान पर मंदिर है.
ये भी पढ़ें: UP News: कारसेवकों पर फायरिंग को शिवपाल यादव ने ठहराया जायज, अयोध्या के संत बोले- 'सत्ता के लिए गोली चलाई'
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)