Ram Mandir Pran Pratishtha: रामलला के नाम पर मुकदमा दायर करने के बाद अब निर्वाणी अनि अखाड़ा के महंत धर्मदास का बयान आ रहा है. उन्होंने एलान किया है कि रामजन्मभूमि मुकदमे का फैसला जिस 70 साल से चली आ रही जिस रामलला नाम की मूर्ति के हक में आया है. उसी मूर्ति कि स्थापना गर्भगृह में होगी. उसके अलावा किसी मूर्ति की स्थापना गर्भगृह में नहीं हो सकती. हालांकि इससे दो साल पहले भी उन्होंने आरोप लगाया था.


महंत धर्मदास से ट्रस्ट को लेकर सवाल किया गया था तो उन्होंने कहा था, 'राजनीतिक वर्ग से अभी भी झेल रहे हैं और पहले भी झेल रहे थे. अभी ये है कि ट्रस्ट बनाया है ये राजनीति बना है. ट्रस्ट में वैष्णव को नहीं रख कर अपने लोगों को रखकर पैसा वसुली करने लगे और अपना ही अधिकार जमाने लगे. 100 फीसदी में 80 फीसदी राजनीति हुई है. ट्रस्ट को सामाजिक परंपरा के बारे में मालूम नहीं है. जिसका राम जन्मभूमि से कोई लेना देना नहीं है उन लोगों को ट्रस्ट में बैठा दिया गया है.'



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इन्हें नहीं मिली कमेटी में जगह
निर्वाणी अनि अखाड़ा के महंत ने कहा, 'वहां अपना अस्तित्व बनाने की कोशिश की जा रही है. मैंने केंद्र सरकार को नोटिस दिया है. हमको राज्य सरकार से कोई मतलब नहीं है. कोर्ट के ओर से नोटिस गया है. यह जो ट्रस्ट बना है वो मनमानी है. 1949 में बाबा अभिराम जी द्वारा मूर्ति रखा गया था. अभी तक उन्हीं की परंपरा से पूजा हो रहा है. उनको कमेटी में नहीं रखा गया और निर्मोही अखाड़े के महंत यहां बैठे हैं उन्हें नहीं रखा गया.'


उन्होंने कहा था, 'इनको ट्रस्ट में नहीं रखकर बाहरी आदमी को ट्रस्ट में लाकर बैठा दिया गया. कोई चाहता है कि धर्म पर अंकुश लगाएं तो धर्म पर अंकुश लगाने वाले लोग बैठे हुए हैं.' बता दें कि अब महंत धर्मदास ने कहा है कि पुरानी मूर्ति की स्थापना गर्भगृह में नहीं होती है तो ये गैर कानूनी होगा और इसके खिलाफ मैं मुकदमा करूंगा और बाहर भी संघर्ष करूंगा.