Ram Mandir: राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में 4000 संतों को किया जाएगा आमंत्रित, PM मोदी भी होंगे शामिल
Ram Mandir News: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने यह साफ कर दिया है कि प्राण प्रतिष्ठा के दिन आमंत्रित लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने के पहले ही पहुंचना होगा.
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UP News: उत्तर प्रदेश के अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर (Ram Mandir) के गर्भ गृह में भगवान रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान लगभग 4000 संतों को आमंत्रित किया जाएगा. पूजा पद्धति और जितनी गुरु परंपराएं हैं, उन सभी के समायोजन से इस कार्यक्रम में साधु-संतों को आमंत्रित किया जाएगा. हालांकि, इन सभी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के चले जाने के बाद ही रामलला के दर्शन होंगे. इसी के साथ इनका सुरक्षा नियम कायदों का पालन भी करना होगा.
साधु-संत अपने साथ कोई प्रतीक चिन्ह भी लेकर कार्यक्रम में नहीं जा सकते. यही नहीं श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने साफ कर दिया है कि वयोवृद्ध और उम्रदराज साधु-संतों को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में नहीं आना चाहिए. इसी के साथ अलग-अलग क्षेत्रों में नाम कमाने वाली हस्तियों को भी आमंत्रित किया जाएगा. इसमें वह लोग भी होंगे, जिनके घर के किसी ने किसी सदस्य ने राम मंदिर आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति दी.
महमानों की सूची की जा रही तैयार
इसी के साथ राम मंदिर ट्रस्ट ने यह भी साफ कर दिया कि जो सूची तैयार हो रही है, वह प्राण प्रतिष्ठा के दिन राम जन्मभूमि परिसर के 70 एकड़ में प्रवेश करने वाले लोगों की है, शेष लोग बाहर रहेंगे. ज्यादातर लोग प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद आए. प्राण प्रतिष्ठा के दिन अपने आस-पास के मंदिरों और स्थान पर इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन करें, जैसा अयोध्या में हो रहा है.
राम मंदिर ट्रस्ट ने यह साफ कर दिया है कि प्राण प्रतिष्ठा के दिन आमंत्रित लोगों को पीएम के आने के पहले ही पहुंचना होगा. पीएम के चले जाने के बाद ही वह रामलला के दर्शन पूजन कर सकेंगे. उसी दौरान पीएम की सुरक्षा होगी इसलिए आमंत्रित संत अपने साथ चवर, छत्र, चरण पादुका जैसे प्रतीक चिन्ह साथ नहीं ले जा सकेंगे. इसी के साथ राम मंदिर ट्रस्ट ने वयोवृद्ध और उम्रदराज साधु-संतों से अनुरोध किया है कि वह प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में मत आए और आना है तो फरवरी 2024 में आए, तभी उनका सम्मान किया जा सकेगा.
पीएम के जाने के बाद ही दर्शन कर सकेंगे लोग
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का कहना है कि चार घंटे बैठना भी पड़ सकता है, जहां कहीं पीएम और सीएम जाते हैं तो वहां पर लोगों को पहले आना पड़ता है, इसलिए बैठने की अवधि भी हम कल्पना कर रहे हैं. तीन से चार घंटे हो सकती है. पीएम के चले जाने के बाद ही अंदर बैठे लोग दर्शन करेंगे. फिर समय लगेगा तो सामर्थ्य अंदर बैठने, पैदल चलने का, यह सब चाहिए. चवर, छत्र और चरण पादुका इस पर हमारा अधिकार नहीं चलेगा, हमारा आदेश नहीं चलेगा.
चंपत राय ने कहा कि प्रशासन सुरक्षा का मतलब एसपी नहीं होता है, पीएम जब आते हैं तो सुरक्षा स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप उस पर किसी का अधिकार नहीं. हम सभी से निवेदन कर रहे हैं और सही बात है कि अधिक आयु के संत महात्मा को आना नहीं चाहिए, वह आए फरवरी में आए, थोड़ा गर्मी आ जाए मौसम में जब आए, तब सम्मान हो पाएगा.
कुछ देशों के राजदूतों को भी किया जाएगा आमंत्रित
रामलला की प्रमाण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में हिंदुस्तान के सभी राज्यों और सभी भाषाओं के साथ पूजा की अलग-अलग पद्धतियों और परंपराओं से जुड़े 4000 विशिष्ट साधु संतों को आमंत्रित किया जाएगा. इसके अलावा खेल जगत, कला जगत, कवि, लेखक, साहित्यकार, अनुसूचित जाति, जनजाति, घुमंतू जाति, सेवा निमित्त प्रशासनिक पुलिस और सेना के अधिकारियों के साथ कुछ देशों के राजदूतों को भी आमंत्रित किया जाएगा.
इन आमंत्रित सदस्यों में वह लोग भी शामिल होंगे, जिनके घर के किसी ने किसी सदस्य ने राम मंदिर आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति दी थी. इसी के साथ इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि देश के सभी ख्याति प्राप्त मंदिरों के प्रतिनिधि शामिल हो. ट्रस्ट ने साफ कर दिया है कि जो सूची आमंत्रित सदस्यों की बनाई जा रही है, वही राम जन्मभूमि परिसर के 70 एकड़ में प्रवेश करेंगे बाकी लोग राम जन्मभूमि परिसर में प्रवेश नहीं कर सकेंगे.
ट्रस्ट के महासचिव ने और क्या कहा?
चंपत राय का कहना है कि जो प्रवेश नहीं कर सकेंगे, ऐसे लोग अपने घरों, आश्रमों और मंदिरों में टेलीविजन स्क्रीन लगाकर कार्यक्रम का आनंद लें और अयोध्या में जैसे आरती हो रही है, जैसे घंटा-घड़ियाल बज रहे हैं, जैसे प्रसाद बन रहा है, वैसा ही सब कुछ करें. मंदिर किसी भी देवी-देवता का हो, वहां की प्रतिमा देखे बिना वैसा ही कार्यक्रम करके, उनको प्रसन्न करने की कोशिश करें क्योंकि सभी देवी-देवताओं के प्रसन्न होने पर ही प्रसन्नता से सारे काम होंगे.
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